सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) एक जमीन के मनलिक को लगभग 100 करोड़ रुपये की मुआवजा देगी। और ये रकम को 6 हफ्ते में नोएडा प्राधिकरण को चुकाना होगा। जिस जमीन उसके मालिक रेड्डी वीराना ने 1997 में छलेरा बांगर गांव में एक करोड़ रुपये में 7400 वर्ग मीटर खरीदी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इसके तुरंत बाद नोएडा प्राधिकरण कर्मियों ने उन्हें भूमि पर कब्जा करने के लिए परेशान करना शुरू कर दिया। जिसके बाद उन्होंने साइन करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही प्राधिकरण के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करते हुए एक दीवानी मुकदमा दायर किया।
इस मामले ने प्राधिकरण का कहना है कि जमीन पर कब्जा अवैध है। हालांकि निचली अदालत ने वीराना के पक्ष में आदेश दिया और प्राधिकरण को भूमि पर कब्जा करने से रोक दिया।
हर एक वर्ग मीटर पर 1.10 लाख का मुआवजा
वीराना ने जब सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। उन्हें 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से संपर्क करने को कहा गया था। दो साल बाद हाई कोर्ट का आदेश उनके पक्ष में आया। इस नतीजे में हाई कोर्ट ने सर्किल रेट 1.1 लाख में 50 परसेंट काटकर प्राधिकरण को भुगतान करने को कहा।
जिसके बाद दोनों, याचिकाकर्ता और नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण से ब्याज के अलावा 1.10 लाख रुपये हर एक वर्गमीटर की दर से मुआवजे का भुगतान करने को कहा गया।
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