Nitish Kumar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए (NDA) की सरकार बनते ही एक बार फिर राजनीति के नए किंगमेकर बनकर उभरे हैं। केंद्र की मोदी और एनडीए सरकार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का वर्चस्व किस कदर बढ़ा है ये प्रधानमंत्री के साथ नीतीश कुमार की हर तस्वीर से साफ नजर आने लगा है। जहां एक ओर राजनीतिक पंडित बिहारी की राजनीति से नीतीश का अंत समझ रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के नतीजों ने नीतीश कुमार की राजनीति ने जान डाल दी है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश बाबू एक बार फिर केंद की राजनीति में अपना अहम भूमिका निभाते हुए नजर आ रहे हैं।
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के परिणाम जब 4 जून को आये तो नतीजों ने हर किसी को हैरान कर दिया। जहां बीजेपी 400 पार का नारा चुनाव के दौरान लगाती रही और जब नतीजे आये तो बीजेपी बहुमत से 32 सीट पीछे 240 पर ही अटक गई। हालांकि एनडीए को कुल बहुमत से 20 सीट अधिक 292 सीट मिली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली।
लेकिन इस लोकसभा चुनाव ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की राजनीति को संजीवनी दे दी क्योंकि एनडीए में शामिल नीतीश कुमार की जदयू को बिहार में 12 सीटों पर जीत मिली जो एनडीए में बीजेपी आउट टीडीपी के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी।नीतीश कुमार की पार्टी ने 2024 में जिन 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 12 पर जीत हासिल की। पार्टी का स्ट्राइक रेट 75% रहा। बिहार में बीजेपी ने 12 सीटें जीतीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने बिहार में उन सभी 16 सीटों पर जीत हासिल की जिन पर उसने चुनाव लड़ा था।लेकिन इस बार 4 सीट पर हार मिली।
परिणाम के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को लेकर कई तरह की बाते की गई जिसमें कहा गया कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में जाएंगे और एनडीए की सरकार शपथ नहीं ले पाएगी। लेकिन राजनीति के काफी मझे खिलाड़ी नीतीश बाबू ने ऐसा कुछ नहीं किया और इंडिया के गठबंधन के द्वारा मिले पीएम पद को छोड़ अपने पुराने पार्टी के साथ वफादारी करना ही बेहतर समझा और बिना किसी संकोच के नरेंद्र मोदी सरकार को अपना पूरा समर्थन दिया।
सरकार में समर्थन देने के बाद हर किसी को उम्मीद थी नीतीश कुमार कोई पड़ा पद मांग सकते है लेकिन नीतीश कुमार ने ऐसा भी नहीं किया और जो मंत्रलाय मोदी सरकार ने उन्हें दिया उसी से नीतीश बाबू ने सन्तुष्टि भी कर ली।कैबिनेट विस्तार के बाद बिहार के विपक्षी नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार को सरकार ने झुनझुना थमा दिया है लेकिन जदयू के किसी भी नेता ने इसपर पलटवार तक नहीं किया। राजनीतिक पंडित अभी भी इस बात से संतुष्ट नहीं है कि नीतीश कुमार ऐसे कैसे आसानी से मान गए और केवल 2 मंत्रलाय लेकर ही अपना समर्थन दे दिया। तो आइये हम आपको बताते है नीतीश के शान होने की इनसाइड स्टोरी।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को समझने वाले बखूबी जानते है कि नीतीश जी कोई भी फैसला बिना सोचे समझे और बिना फायदे के नहीं करते है। नीतीश कुमार ने एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक खेल दिया जिसके एक ही शॉट में सभी विरोधी चित हो गए और बिहार में जिस जिस से नीतीश को थोड़ा बहुत खतरा था सबको एक ही शॉट में दिल्ली भेज दिया और खुद बिहार के किंग बनकर कुर्सी पर बैठ गए।
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नीतीश के मास्टर स्ट्रोक से ध्वस्त हुए पहले खिलाड़ी
नीतीश ने अपने मास्टर स्ट्रोक से सबसे पहले बिहार से दिल्ली जिन्हें भेजा वो है जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lallan Singh)। लल्लन सिंह को केंद्र में पंचायती राज, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्रालय दिया गया है। लल्लन सिंह नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते है लेकिन बीच में नीतीश कुमार ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया है और तेजस्वी का साथ छोड़ एक बार फिर बीजेपी के साथ जा मिले थे। दरअसल नीतीश कुमार को उस बात का डर था कि लल्लन सिंह कभी भी पार्टी में टूट का कारण बन सकते है और तेजस्वी या बीजेपी के साथ जदयू विधायक को तोड़कर ले जा सकते है। यहीं कारण है कि नीतीश बाबू लल्लन सिंह को केंद्र की राजनीति में भेज जदयू पर पूरा कंट्रोल अपने हाथ में रखना चाहते है।
नीतीश के मास्टर स्ट्रोक से ध्वस्त हुए दूसरे खिलाड़ी
नीतीश कुमार ने अपने मास्टर स्ट्रोक से बिहार की राजनीति से जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) का भी अंत कर दिया और केंद्र में उन्हें भेज कर अपना रास्ता 2025 के लिए पूरी तरह से साफ कर लिया।जीतन राम की पार्टी हम के पास कुल 4 विधायक है और अगर जीतन राम मांझी एनडीए बिहार से अलग हो जाते तो एनडीए की सरकार कमजोर पड़ जाती या यूं कहें कि सरकार गिर भी सकती है। लेकिन अब मांझी केंद्र में आ गए है ऐसे में वो कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले कई बार जरूर सोचेंगे।मांझी को 1 सांसद होने के बाद भी केंद्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME)का बड़ा मंत्रलाय दिया गया है।
नीतीश के मास्टर स्ट्रोक से ध्वस्त हुए तीसरे खिलाड़ी
नीतीश कुमार ने अपने मास्टर स्ट्रोक से लोजपा के चिराग पासवान (Chirag Paswan) को भी साइड लाइन करवा दिया और उन्हें केंद्र में भेज दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में भेल ही एक भी सीट न मिली हो लेकिन चिराग ने जनता के बीच एक नई उम्मीद जरूर जगाई। जिसका परिणाम रहा कि लोकसभा चुनाव में चिराग के सभी 5 सांसदों ने जीत दर्ज की और उन्हें केंद्र में फूड प्रोसेसिंग मंत्री बनाया गया। यबी चिराग के केंद्र में आने से नीतीश कुमार को 2025 में उनका सभी वोट भी मिलेगा और जिस चिराग को बिहार की जनता एक उम्मीद यानी मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती थी उससे उन्हें कोसों दूर कर दिया है।
नीतीश के मास्टर स्ट्रोक्स से ध्वस्त हुए चौथे खिलाड़ी
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने आखिरी मास्टर स्ट्रोक से एक ही शॉट में उन सभी बिहार के बीजेपी नेताओं को शांत कर दिया है जो बीच-बीच में नीतीश कुमार से खुद को ऊपर बताने लगे थे और उन्हें डूबता सूरज तक कहने लगे थे। लोकसभा परिणाम के बाद नीतीश कुमार को लेकर अब वहीं नेता ये कहते घूम रहे है कि हम 2025 का चुनाव अपने नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे। ऐसे में जो ये कह रहे है कि केंद्र ने नीतीश कुमार को झुनझुना थमा दिया तो वो नीतीश कुमार के इस मास्टर स्ट्रोक से पूरी तरह अंजान है क्योंकि नीतीश बाबू ने एक ही बार मे बिहार विधानसभा 2025 का सत्ता पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया है और खुद केंद्र में भी जबतक चाहेंगे किंग बन कर बैठे रहेंगे।