Jyoti Shinde, Editor
बड़ी ख़बर नोएडा के सेक्टर 33 स्थित ASSISI Convent School को लेकर है। एक पैरेंट्स ने आरोप लगाया है कि उनका बच्चा बीमार होने के बाद भी स्कूल प्रशासन ने ना सिर्फ लापरवाही दिखाई बल्कि बच्चे के लिए जरूरी टिफिन और दवा, बच्चे तक पहुंचाने से साफ इंकार कर दिया।
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क्या है पूरा मामला ?
कनिष्क चौहान Assisi Convent School का 11वीं A का छात्र है। कनिष्क की मां रेनू चौहान ने खबरीमीडिया को बताया कि कनिष्क का UT(Unit TEST) का पेपर था, लेकिन उसकी तबीयत ठीक नहीं थी। उसे बुखार हो गया था। इसके बावजूद कनिष्क पेपर देने की जिद की वजह से स्कूल गया। मैंने सोचा कि बच्चे को स्कूल भेज देते हैं, TEST के बाद ले आएंगे।
हुआ भी यही, टेस्ट के बाद बच्चे के पिता उसे लेने स्कूल गए लेकिन आरोप है कि स्कूल ने बच्चे को भेजने से साफ इंकार कर दिया। उसके बाद बच्चे की मां लंच और दवाई के साथ स्कूल पहुंचीं। लेकिन स्कूल गेट पर लंच और दवाई अंदर ले जाने की इजाजत नहीं दी गई। रेनू चौहान ने कई बार गार्ड से भी कहा कि बच्चे की तबीयत ठीक नहीं उसे लंच और दवाई की सख्त जरुरत है। आप जाकर दे आओ। लेकिन गार्ड ने साफ मना कर दिया।
इसके बाद रेनू चौहान ने कड़े शब्दों में बच्चे को क्लासरूम से बाहर बुलाने की बात कह डाली। बेटा कनिष्क बाहर आया तो रेनू उसे ले जाने लगीं। रेनू चौहान का आरोप है कि इसी बीच स्कूल की प्रिंसिलपल Sister शीबा भी बाहर आ गईं। उन्होंने साफ कह दिया है कि अगर आप बच्चे को स्कूल से ले जाना चाहें तो ले जा सकती हैं। लेकिन बच्चे ने जो UT एग्ज़ाम दिए हैं उसकी ना तो कोई मार्किंग होगी और ना ही नंबर दिए जाएंगे। आरोप ये भी है कि प्रिंसिपल ने बच्चे से Leave Application भी भरवाया। और कहा की TC(Transfer Certificate) भी साथ में ले जाना।
पूरे मामले पर ख़बरीमीडिया की टीम ने ASSISI Convent School की प्रिंसिपल Sister शीबा से बात की और उनका पक्ष जानना चाहा। प्रिंसिपल के मुताबिक जब बच्चा बीमार था तो पैरेंट्स ने उसे स्कूल क्यों भेजा। दूसरी बात ये कि स्कूल नियम के मुताबिक बच्चे का बाहर से खाना आना Allowed नहीं है। इसके लिए बच्चे को स्कूल की तरफ से ड्रिंक और बिस्किट दिए जाते हैं। तीसरी बात ये कि UT टेस्ट में नंबर नहीं दिए जाने की बात भी बेबुनियाद है।
आरोपों पर कनिष्क की मां रेनू चौहान का कहना है कि बच्चे को स्कूल की तरफ से ड्रिंक और बिस्किट दिए जाते हैं लेकिन सोचिए जिस बच्चे की तबीयत खराब है उसके लिए ड्रिंक और बिस्किट कितना फ़ायदेमंद है। रेनू चौहान का ये भी कहना था कि जिस बच्चे ने नर्सरी से लेकर 11वीं तक की पढ़ाई की हो उसके साथ स्कूल लिबरल क्यों नहीं हो सकता। वो भी तब, जब बच्चा पढ़ने में ब्रिलिएंट हो, पैरेंट्स हर महीने उसकी पूरी फीस पे करते हों।
इस पूरे मामले पर ANSPA के महासचिव के अरुणाचलम का कहना है कि ये पहला मौका नहीं है जब ASSISI Convent School पर इस तरह के आरोप लगे हैं। चूंकि ये दूसरी-तीसरी बार हो रहा है जो किसी भी लिहाज़ से सही नहीं है। अरुणाचलम ने नोएडा के डीएम और DIS से पूरे मामले पर दख़ल देने और स्कूल के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने इसके लिए क्रिश्चियन मिशनरी के हेड ब्रांच से भी बात कर स्कूल पर कार्रवाई की अपील की है।
वहीं दूसरी तरफ़ ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी सुपरटेक इकोविलेज-1 में रहने वाले रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी शशिभूषण साह का कहना है कि अगर इस तरह का मामला है तो ये वाकई संवेदनशील है। पूरे मामले की जांच जरूरी है। क्योंकि हाल ही में डीपीएस फरीदाबाद से भी एक घटना सामने आ चुकी है जिसमें स्कूल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगे और बच्ची की जान चली गई।