कुमार विकास, ख़बरीमीडिया
बिहार की राजनीति में दिवंगत रामविलास पासवान की क्या अहमियत थी ये बात किसी से छिपी नहीं है। राम विलास पासवान का कद इतना बड़ा था कि उन्हें राजनीति के मौसम वैज्ञानिक की उपाधि भी दी गई थी। अब उनके बेटे चिराग पासवान धीरे धीरे कई पार्टियों की पसंद बन चुके हैं। क्योंकि बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के पास 6 फीसदी वोट बैंक है।
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पिता की मौत के बाद चाचा पशुपति पारस और चिराग पासवान में घरेलू विवाद शुरू हो गया जिसके बाद लोजपा के सभी सांसदों के साथ चाचा ने चिराग का साथ छोड़ दिया और खुद NDA सरकार में मंत्री बन बैठे।
लेकिन चाचा से अलग होने के बाद चिराग ने कभी भी जनता से दूरी नहीं बनाई और इसलिए 2020 के विधानसभा में चिराज पासवान की लोजपा को 6 फीसदी वोट मिले जो कभी पिता रामविलास पासवान का हुआ करता था और इससे ये भी साबित हो गया कि रामविलास पासवान के असली उत्तराधिकारी बेटे चिराग ही हैं।
लेकिन 3 साल NDA से दूर रहने के बाद भी चिराग ने कभी प्रधानमंत्री और BJP की बुराई नहीं कि और खुद को बिहार चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी का ‘हनुमान’ भी बताया।
प्रधानमंत्री से मोहब्बत ही है कि चिराग ने 2020 विधानसभा में अकेले चुनाव लड़ते हुए भी BJP की न बुराई करी और न ही उनके उम्मीदवार के सामने अपने उम्मीदवार उतारे। चिराग ने जो 135 MLA उम्मीदवार को मैदान में उतारा था जो ज्यादातर नीतीश कुमार के पार्टी जदयू के खिलाफ ही उतरे थे।
जिसके बाद नीतीश खेमे से ये इल्जाम भी भाजपा पर लगता रहा कि BJP ने रणनीति के तहत चिराग को पहले खुद से दूर किया और फिर अपनी B टीम के रूप में नीतीश को कम सीट दिलाने के लिए जदयू के खिलाफ ज्यादा उम्मीदवार उतराने को कहा।
लेकिन अब सूत्रों से ये खबर सामने आ रही है कि BJP एक बार फिर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए चिराग पासवान को अपने साथ लाने जा रही है क्योंकि BJP को भी बिहार में एक ऐसे सहयोगी पार्टी की जरूरत है जिसके पास खुद का 5-6 फीसदी जातीय वोट बैंक को और उसमे चिराग बिल्कुल फिट बैठते है।
क्योंकि जदयू के साथ छोड NDA के साथ आये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भले ही बड़े नेता हो पर उनके पास 1-2 फीसदी ही वोट है तो वही उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी अभी उतने प्रभावी बिहार में नहीं है जिसकी मदद से BJP बिहार में कुछ बड़ा कर सके लेकिन इन सबमे चिराग सबसे बेहतरीन है और उनके पास दूसरी जातियों के भी वोट है और प्रदेश के युवा भी अब यही चाहते है कि उनके भी राज्य में कोई युवा बड़ा मंत्री बने या बिहार का सीएम बने।
दिल्ली ने 18 जुलाई को होने वाली NDA की बैठक में चिराग पासवान के भी आने की संभावना है। कुछ दिनों पहले गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय से हुई मुलाकात के बाद ये और साफ हो गई है। बीजेपी के कुछ बड़े नेता चाचा पशुपति से चल रहे चिराग के विवाद को सुलझाने में भी लगे हैं और उम्मीद है कि ये पारिवारिक कलह जल्द ही समाप्त हो जाएगी। सूत्रों से ये भी खबर सामने आ रही है कि चिराग पासवान को नए कैबिनेट मंत्रियों की शपथ में उन्हें भी शामिल किया जाएगा और चाचा से मंत्रलाय लेकर चिराग को दे दिया जाएगा और चाचा को कुछ और जिम्मेदारी दी जाएगी।
बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के अलग हो जाने के बाद बिहार में अपना नया दोस्त तलाश रही है जिसके सहारे 2024 में बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीट मिल सके सके इसलिए बीजेपी चाचा और भतीजे की लड़ाई को खत्म करवाकर वो इन दोनों को साथ लेकर बिहार की लड़ाई लड़नी चाहती है।