Medicines: बाजार में खूब बिक रही है नकली दवा, जानिए कैसे करें पहचान
Identify Fake Medicines: जब भी आप दवा लेने मेडिकल स्टोर या हॉस्पिटल जाते हैं तो दवा लेते समय आपके मन में यह जरूर ख्याल आता होगा कि दवा असली है या नकली। हाल ही में एक रिपोर्ट भी सामने आई थी जिसमें कुछ बेसिक और जरूरी दवाएं क्वॉलिटी टेस्ट (Quality Test) में फेल पाई गई थीं। काफी समय से खांसी (Cough) सहित कई दवाओं में शिकायत की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में आम आदमी यह नहीं जान पाता कि कौन सी दवाएं खरीदू या कौन सी नहीं। अब न्यूरो और स्पाइन सर्जन डॉक्टर विकास ने अपने ट्विटर पर पोस्ट किया है कि दवाएं खरीदने से पहले हमें क्या सावधानी रखनी चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं…
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दवाओं का नकली या खराब क्वॉलिटी (Bad Quality) का होना बहुत ही डराने वाला है। खाने-पीने की चीजों में मिलावट का अंदाजा तो हर किसी को होता है। जिस दवा को हम जान बचाने के लिए खा रहे हैं अगर वही नकली हुई तो यह जिंदगी से खिलवाड़ हो सकता है। यहां जानें कैसे नकली-असली दवाओं की पहचान की जा सकती है।
जब भी आप दवाइयां लेने जाएं तो इसके लिए आपको हमेशा लाइसेंस दुकान पर ही जाना चाहिए (लाइसेंस दुकान में डिस्प्ले होना चाहिए )और बिल जरूर लें।
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ऑनलाइन दवाइयां खरीदने से थोड़ा बचना चाहिए इसमें फ्रॉड की संभावना ज्यादा होती है।
दवाई की कीमत और ऑफर -अक्सर नकली दवाइयां आपको काफी सस्ती और डिस्काउंट पर मिल जाती हैं तो इससे भी सावधान रहें।
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पैकेजिंग में फर्क-अगर आपको दवाई के प्रिंटिंग में कोई स्पेलिंग मिस्टेक या डिजाइन में फर्क दिखाई देता है तो सावधान हो जाइए वह दवाई नकली हो सकती है।
दवाइयां पर बैच नंबर ,मैन्युफैक्चर डेट और एक्सपायरी डेट जरूर चेक कर लें अगर न लिखी हो तो बिलकुल भी न खरीदें।
अगर आपको दवाइयों के पैकेट पर बारकोड, यूनीक कोड या क्यूआर कोड न दिखाई देता तो हमारी सलाह रहेगी ऐसे में उन दवाइयों को खरीदने से बचें।
अगर आप ध्यान से देखेंगे तो नकली दवाई की ऊपरी परत आमतौर पर सिकुड़ी हुई ,और खराब मिलेगी। ऐसी दवाइयों को खरीदना नहीं चाहिए।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने शीर्ष 300 ब्रांडेड नाम से बिकने वाली दवाओं को नोटिफाई भी किया है। साल 2023 के अगस्त के बाद बनी इन सभी दवाओं की पैकेजिंग पर बारकोड (Barcode) या क्यूआर कोड होता है। इसे स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी आपके फोन पर दिखने लगती है। नकली दवाओं के बारकोड या क्यूआर कोड को स्कैन करने पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता है। दवाएं खरीदते समय जांच लें कि उनकी सीलिंग सही है और पैकेजिंग भी ठीक है।
खूब मिल रही हैं नकली दवा
आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में नकली दवाओं का कारोबार सलाना 33 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ रहा है। यह 2005 में 67.85 करोड़ डॉलर (30 अरब रुपये) से बढ़कर 2020 में 40 अरब रुपये पर पहुंच गया। रिपोर्ट में यह बताया गया था कि सरकारी अस्पतालों में सबसे ज्यादा 38 प्रतिशत दवाएं नकली पाई गई थीं।