Lucknow News: सशस्त्र बल अधिकरण, क्षेत्रीय पीठ, लखनऊ ने नायब सूबेदार धनंजय राय (सेवानिवृत्त) के मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि “अल्कोहल डिपेंडेंसी (शराब की लत) और मोटापा अपने आप में उच्च रक्तचाप (प्राइमरी हाइपरटेंशन) या डायबिटीज़ मेलिटस जैसी बीमारियों का स्वतः कारण नहीं हैं।
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यह मामला प्रोएक्टिव लीगल की वरिष्ठ अधिवक्ता टीम द्वारा लड़ा गया, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राज कुमार मिश्रा ने पक्ष रखा।
पीठ ने माना कि-
शांति क्षेत्र (Peace Posting) में भी सैन्य सेवा का तनाव और प्रशिक्षण का दबाव रहता है, जो बीमारियों को बढ़ा सकता है।
मोटापा केवल तभी कारण माना जा सकता है जब उसका असर स्पष्ट व महत्वपूर्ण हो, मात्र कुछ किलो अधिक वजन को बीमारी का कारण मानना उचित नहीं।
रक्षा सेवाओं में कार्य की प्रकृति, अत्यधिक दबाव, थकान एवं अन्य परिस्थितियों को देखते हुए सीमित मात्रा में शराब सेवन की अनुमति है। इसलिए केवल शराब सेवन की आदत के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना कि उससे उत्पन्न रोग सेवा से संबंधित नहीं है, उचित नहीं होगा। साथ ही, यह मान लेना भी तर्कसंगत नहीं कि अन्य बीमारियाँ, जैसे उच्च रक्तचाप या डायबिटीज़, स्वतः उसी कारण से उत्पन्न हुई हों।
अदालत ने आदेश दिया कि धनंजय राय को उनकी पहली बीमारी (प्राइमरी हाइपरटेंशन) को सैन्य सेवा से बढ़ी हुई मानते हुए 30% विकलांगता पेंशन दी जाए, जिसे राउंड-ऑफ कर 50% किया जाए, और चार माह में भुगतान किया जाए, अन्यथा 8% वार्षिक ब्याज देना होगा।
इस फैसले को सैन्यकर्मियों के पेंशन अधिकारों के संदर्भ में एक नज़ीर के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि चिकित्सा बोर्ड द्वारा दी गई राय विस्तृत, तर्कसंगत और कारणयुक्त होनी चाहिए, और केवल सामान्य धारणाओं के आधार पर पेंशन से इनकार नहीं किया जा सकता। “यह निर्णय उन हजारों पूर्व सैनिकों के लिए राहत का संदेश है, जिन्हें केवल मोटापा या शराब सेवन के आधार पर पेंशन से वंचित कर दिया जाता है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि हर मामले में वैज्ञानिक और तार्किक मूल्यांकन आवश्यक है।”

