लखीमपुर खीरी से सुरजीत सिंह चानी की रिपोर्ट
सांपों से बचाव के लिए प्रसिद्ध देवकली तीर्थ स्थान
Lakhimpur Kheri: ख़बर यूपी के लखीमपुर खीरी जिले से जहां नागपंचमी के ख़ास मौके पर श्रद्धालुओं का तांता लगा है। यहां एक ऐसा स्थान है जिसको लेकर काफी मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि यहां की मिट्टी जहां भी रख दी जाती है वहां सांप नहीं आते. ये पवित्र स्थान है देवकली का विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर। कहते हैं यहां की मिट्टी सांपों के लिए काल है. इस जगह को महाभारत कालीन राजा जन्मेजय की नाग यज्ञ स्थली के रूप में भी जाना जाता है. कहा जाता है कि राजा जन्मेजय ने यहां पर सांपों का हवन किया था.
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इस मिट्टी को सर्पकुंड से निकाला जाता है, जो एक पवित्र कुंड है। लोग इस मिट्टी को लेकर अपने घरों में रखते हैं और मानते हैं कि इससे उनके घरों में सांप नहीं आते हैं। देवकली तीर्थ स्थान का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक स्थल भी है। यहां की मान्यताएं और परंपराएं लोगों को आकर्षित करती हैं और यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
कालसर्प दोष का होता है निदान: देवकली तीर्थ मंदिर के महंत सुमेर गिरी ने बताया, जिनकी कुंडली में कालसर्प योग होता है, वह यहां विशेष अनुष्ठान कराते हैं. इससे उनके कालसर्प दोष का निदान हो जाता है. इसके अलावा प्राचीन देवेश्वर नाथ शिवलिंग का जलाभिषेक करने और नाग पूजा के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. नागपंचमी को यहां मेला लगता है. भक्त यज्ञ कुंड की मिट्टी अपने घर ले जाते हैं, जिससे सांप नहीं आते हैं.
राजा जन्मेजय ने किया था सांपों का हवन : मंदिर के पुजारी विनोद कुमार ने बताया, महाभारत काल में राजा जन्मेजय ने अपने पिता राजा परीक्षित की तक्षक नाग के डसने से हुई मौत का बदला लेने के लिए यहीं पर सर्प यज्ञ किया था. यहां सर्पकुंड और कुंड की गहराई में मिलने वाली हवन की भस्म और अवशेष भी मौजूद हैं. इस जगह का नाम पहले देवस्थली था जो बाद में देवकली हो गया. नाग पूजा और काल सर्प योग निवारण के लिए तंत्र साधना का यह प्रमुख केंद्र है. नाग पंचमी के दिन लोग सर्पकुंड की मिट्टी अपने घरों में लेकर जाते हैं, जिससे उन्हें नागों और सर्पों का डर नहीं रहता.

