नोएडा के जेपी ग्रींस विशटाउन सेक्टर 128, 133 और 134 में इन दिनों बवाल मचा है। जेपी ग्रींस विशटाउन के बिल्डर की मनमानी के खिलाफ सोसायटी के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कई बरसों से जेपी बिल्डर की मनमानी झेल रहे सैकड़ों लोगों ने जेपी मैनेजमेंट का जबरदस्त घेराव किया। लोगों में गुस्सा इस कदर था कि जेपी को मनमाने तरीके से मैंटनेंस चार्ज में बढ़ोतरी का फैसला तत्काल वापस लेना पड़ा।
दरअसल, जेपी के मैनेजमेंट ने 11 जनवरी, 2024 को सोसायटी के लोगों को एक मेल भेजा, जिसमें 1 जनवरी, 2024 से मैंटनेंस चार्ज में 15 से 30 फीसदी तक एकतरफा बढ़ोतरी कर दी। प्रबंधन ने इसके लिए न तो विशटाउन के एओए से कोई बात की, और न हीं यहां के रेसिडेंट्स से कोई विचार-विमर्श किया। प्रबंधन का मेल जैसे ही आया सोसायटी के लोग आग-बबूला हो गए। उसी दिन रात में इमरजेंसी बैठक की। जिसके बाद नोएडा अथॉरिटी से शिकायत की गई।
अथॉरिटी ने 12 जनवरी को फैसला वापस लेने और सोसायटी के लोगों से बात करने के निर्देश दिए। लेकिन जेपी बिल्डर नहीं माना। जेपी की इस मनमानी के खिलाफ सोसायटी के लोगों ने जिसमें बड़ी संख्या में बड़े-बुजुर्ग और महिलाएं भी थीं, जेपी के दफ्तर पर धावा बोल दिया।
ये पहला मामला नहीं है, जब जेपी बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी को अंगूठा दिखाया है। इससे पहले भी जेपी को नोएडा अथॉरिटी से मेल आ चुका है, जिसमें मैंटनेंस चार्ज में कोई भी बढ़ोतरी सोसायटी के लोगों की सहमति के बगैर नहीं करने का निर्देश दिया गया है। बावजूद इसके, जेपी बिल्डर लगातार मनमानी कर रहा है। इस बार तो इसने सारी हदें पार कर दी। इसने केवल नोएडा अथॉरिटी को अंगूठा नहीं दिखाया, बल्कि यहां के सांसद महेश शर्मा को भी ठेंगा दिखा दिया। प्रदर्शन के दौरान महेश शर्मा भी पहुंचे थे, उन्होंने मैनेजमेंट से बात की, लेकिन जेपी नहीं माना। महेश शर्मा खाली हाथ लौट गए। महेश शर्मा बीजेपी के सांसद हैं। मोदी सरकार में मंत्री भी रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार है। जिसका सीधा मतलब है कि ये बिल्डर योगी सरकार को भी चैलेंज कर रहा है।
दरअसल, जेपी नोएडा में सबसे ज्यादा मैंटनेंस चार्ज वसूलता है। सोसायटी के लोग बताते हैं कि इसका मैंटनेंस चार्ज सेक्टर 93बी की एटीएस सोसायटी के मैंटनेंस चार्ज से भी ज्यादा है, लेकिन सर्विस के नाम पर कुछ नहीं देता है। यहां लोगों को बेसिक मैंटनेंस भी नहीं मिला पाता है। मैंटनेंस की कोई शिकायत होती है, तो उसका निपटारा किए बगैर फाइल को क्लोज करके मेल भेज देता है। ये बिल्डर मैंटनेंस चार्ज के अलावा, पानी का चार्ज, कूड़ा उठाने का चार्ज, शेयर्ड एरिया चार्ज और कॉमन एरिया चार्ज अलग से लेता है। ये सब मिलकर प्रति स्क्वॉयर फीट करीब 5 रुपये मैंटनेंस चार्ज बैठता है। यही वजह है कि लोग अब इसके खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। जेपी के खिलाफ कई केस अदालतों में चल रहे हैं। अगर जेपी का यही रवैया रहा, तो सोसायटी के लोग कई और मामलों को कोर्ट में ले जाने की तैयारी में है।