Jammu Kashmir Election

Jammu Kashmir Election: क्या BJP के साथ आएंगे कश्मीरी मुसलमान?

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Jammu Kashmir में 3 चरणों में चुनाव होंगे

Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण में 24 सीटों पर 18 सितंबर, दूसरे चरण में 26 सीटों पर 25 सितंबर और तीसरे चरण में 40 सीटों पर 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। क्या BJP के साथ आएंगे कश्मीरी मुसलमान?
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जम्मू-कश्मीर में तीन चार पार्टियों के बीच में मुकाबला रहने वाला है- बीजेपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस। अब मुकाबला दो पार्टियों में भी हो सकता है अगर एनसी, पीडीपी और कांग्रेस गठबंधन कर ले। अभी के लिए तो सभी पार्टियां अपने समीकरण साधने में लगी हुई हैं, जम्मू-कश्मीर की जनता का दिल जीतने पर फोकस है।

BJP के लिए पहाड़ी आरक्षण के मायने

इस फैसले को सरकार की एक बड़ी कामयाबी के रूप में इसलिए देखा गया क्योंकि जम्मू-कश्मीर में ऐसा नेरेटिव सेट हुआ था कि पहाड़ी को आरक्षण देने की वजह से दूसरों के हक मारे जाएंगे। कुछ विपक्षी पार्टियों ने भी यही बोलकर बीजेपी पर हमला किया था। लेकिन अमित शाह ने 2022 में ही आश्वासन दिया था कि किसी का हक नहीं मारा जाएगा, अब उसी कड़ी में वैसा ही फैसला भी हुआ है। वैसे जम्मू-कश्मीर के लिहाज से यह सिर्फ एक आरक्षण देने वाला फैसला नहीं है बल्कि कहना चाहिए बीजेपी के लिए एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक है। इसे मास्टरस्ट्रोक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में इस पहाड़ी समुदाय की अच्छी खासी संख्या है।

कश्मीर में BJP कैसे होगी मजबूत?

असल में जम्मू-कश्मीर में अभी से नहीं पिछले कई सालों से मांग हो रही थी कि पहाड़ी समुदाय को भी आरक्षण दिया जाए। लेकिन वादे होते रहे, किसी ने भी अमलीजामा नहीं पहनाया। ऐसे में बीजेपी को पहला सबसे बड़ा फायदा तो यह नजर आ रहा है कि उसकी सरकार ने ही पहाड़ी समाज को उनका हक देने का काम किया है। इसके ऊपर क्योंकि किसी दूसरे समुदाय का हक नहीं मारा गया, बीजेपी इसे अपनी बड़ी जीत मानती है।

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वैसे बीजेपी के लिए यह पहाड़ी समुदाय इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह कोई एक धर्म तक सीमित नहीं है। असल में बीजेपी को जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की पार्टी के रूप में देखा जाता है, इसी वजह से जम्मू में तो पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है लेकिन कश्मीर में उसकी हालत पतली रह जाती है। अब पहाड़ी समुदाय बीजेपी की उस कमजोरी को ताकत में बदल सकता है।

आखिर कितना है पहाड़ी वोट?

समझने वाली बात यह है कि पहाड़ी समाज जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के कई इलाकों में भी निर्णायक भूमिका निभाता है। पूरे जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय की आबादी 10 लाख के करीब बैठती है। यहां भी कश्मीर के हंदवाड़ा, कुपवाड़ा और बारामुला में इसी समाज की संख्या निर्णायक मानी जाती है।

अभी तक तो क्योंकि बीजेपी ने इस समाज के लिए कुछ नहीं किया था, ऐसे में सारा वोट एनसी, पीडीपी और कांग्रेस के बीच में बंट रहा था। लेकिन अब जब बीजेपी के पास बताने के लिए इतना बड़ा मुद्दा है, माना जा रहा है कि इस वोट में कुछ सेंधमारी जरूर लगेगी।

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जम्मू और कश्मीर… कहां कितने बदलेंगे समीकरण?

वैसे बीजेपी को कश्मीर में अगर आशा की किरण दिख रही है, जम्मू में और ज्यादा मजबूत होने की कवायद है। असल में जम्मू के राजौरी, पुंछ जिले में भी यह पहाड़ी समुदाय हार-जीत तय कर जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बीजेपी को जम्मू की 4 और कश्मीर की कम से कम 8 सीटों पर इस पहाड़ी आरक्षण दांव की वजह से सीधा फायदा पहुंच सकता है।

अगर सही मायनों में यह रणनीति काम कर जाती है तो जम्मू-कश्मीर में बीजेपी सरकार बनाने के करीब पहुंच सकती है। अभी तक तो क्योंकि उसका सारा फोकस सिर्फ जम्मू के हिंदू वोटों पर था, ऐसे में वो सबसे बड़ी पार्टी तो बन सकती थी, लेकिन सरकार बनाने के लिए उसके पास नंबर नहीं थे। लेकिन यह दांव उस समीकरण को भी पार्टी के पक्ष में कर सकता है।

बीजेपी को इस बात का भी अहसास है कि उसका यह फैसला एक बड़े समुदाय को रोजगार देगा, उसका औद्योगिक विकास होगाा। ऐसे में एक दर्जन से तो ज्यादा ही सीटों पर पार्टी को फायदा मिल सकता है।