Income Tax: नए आयकर कानून के तहत सोशल मीडिया और ईमेल की हो सकती है जांच
Income Tax: इनकम टैक्स रिटर्न में फर्जीवाड़ा करने वाले सावधान! सरकार (Government) ने पिछले महीने पेश किए गए बजट (Budget) में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स फ्री (Tax Free) कर दिया है, लेकिन इसके साथ ही आयकर विभाग (Income Tax Department) अब टैक्स चोरी पर कड़ी नजर रखने के लिए सख्त कदम उठाने जा रहा है। नए आयकर कानून के तहत अधिकारियों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे आपकी सोशल मीडिया अकाउंट, निजी ईमेल, बैंक अकाउंट, ऑनलाइन निवेश अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच सकते हैं।
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1 अप्रैल 2026 से लागू होगा नया प्रावधान
1 अप्रैल 2026 से आयकर विभाग (Income Tax Department) को आपके व्यक्तिगत डेटा और डिजिटल स्पेस तक पहुंचने का कानूनी अधिकार मिलेगा। हालांकि यह कदम ईमानदार टैक्सपेयर्स (Taxpayers) के लिए कोई परेशानी का कारण नहीं बनेगा, लेकिन टैक्स चोरी करने वालों के लिए यह मुश्किलें बढ़ा सकता है। नए कानून में अधिकारियों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट, बैंक और निवेश अकाउंट तक पहुंच प्राप्त कर सकें।
क्या होगा अधिकार का दायरा?
मौजूदा आयकर अधिनियम (Income Tax Act), 1961 की धारा 132 के तहत अधिकारियों को तलाशी और संपत्ति, खाता-बही जब्त करने का अधिकार है। यह तब होता है जब अधिकारियों के पास सूचना और कारण होते हैं कि किसी व्यक्ति के पास अघोषित आय, संपत्ति या दस्तावेज हैं, जिन्हें वह जानबूझकर आयकर से बचने के लिए छिपा रहा है। वर्तमान में इस अधिकार का इस्तेमाल तब होता है जब अधिकारियों को शक होता है कि व्यक्ति के पास काला धन या अघोषित संपत्ति हो सकती है।
कंप्यूटर और डिजिटल प्लेटफॉर्म भी आ सकते हैं जांच के दायरे में
नई व्यवस्था के तहत, यदि अधिकारियों को यह संदेह है कि किसी व्यक्ति के पास अघोषित आय है, तो वे अब आपके कंप्यूटर सिस्टम, ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट तक भी पहुंच सकते हैं। आयकर विधेयक के क्लॉज 247 के मुताबिक, अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी दरवाजे, बॉक्स, लॉकर, तिजोरी, अलमारी, या अन्य इंस्ट्रूमेंट का ताला तोड़ सकते हैं और आपके कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस को ओवरराइड करके एक्सेस प्राप्त कर सकते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर (हेड-टैक्सेशन) एस.आर. पटनायक (S.R. Patnaik) का मानना है कि ऐसी तलाशी और जब्ती केवल एक अपवाद के रूप में की जा सकती है, नियम के रूप में नहीं। इसकी वजह यह है कि जब वर्चुअल डिजिटल स्पेस की बात आती है तो किसी व्यक्ति को गोपनीयता की उचित अपेक्षा होती है। मतलब आपकी ऑनलाइन निजता का सम्मान किया जाना चाहिए।