ग्रेटर नोएडा में तमाम ऐसे ब्रोकर हैं जो सस्ते में प्लॉट दिलवाने का झांसा देकर भोले-भाले लोगों को ठग लेते हैं। नतीजा..प्लॉट लेने वाला धोखे में फंसकर ज़िदगी भर की कमाई लुटा देता है। ताजा मामला ग्रेटर नोएडा के जलपुरा गांव का है।
आरोप है कि 20 ऐसे बड़े कॉलोनाइजर है, जो प्राधिकरण और निबंधन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर खरीदारों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। एक भूखंड को कई-कई बार बेचा जा रहे हैं। रजिस्ट्री कराने के बाद भी निवेशकों को भूखंडों पर कब्जा नहीं मिल रहा है।
देखते-देखते बसा दी अवैध कॉलोनी
जलपुरा गांव में सक्रिय 20 कॉलोनाइजरों के हौसले इतने बुलंद है कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 300 करोड़ रुपये से खरीदी गई जमीन पर भी अवैध कॉलोनी बसा दी। यह जमीन प्राधिकरण ने किसानों से 2012 में 3500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से खरीदी थी। प्राधिकरण ने मौके पर कब्जा नहीं लिया। जमीन लंबे समय तक खाली पड़ी रही।
कॉलोनाइजरों ने इसका लाभ उठाते हुए जमीन पर अवैध कालोनी बसा दी। किसान जमीन के कुल क्षेत्रफल में से कुछ जमीन अपने लिए बचा ली थी। बाद में इसी जमीन की रजिस्ट्री भूखंड के रूप में कई-कई बार खरीदारों के पक्ष में कर दी और कब्जा प्राधिकरण की जमीन पर दे दिया। प्राधिकरण ने अपनी जमीन से अभी तक अवैध निर्माण हटाने का प्रयास नहीं किया है। कॉलोनाइजरों के विरूद्ध भी कार्रवाई नहीं की गई है।
150 एकड़ जमीन पर भी अवैध कॉलोनी
जलपुरा गांव में कॉलोनाइजरों ने ग्राम समाज की करीब 150 करोड़ रुपये मूल्य की 15 एकड़ जमीन पर भी अवैध कॉलोनी बसा दी है। गांव के समीप से हरनंदी है। पानी के बहाव के अंदर की जमीन के अभिलेखों में किसानों के नाम दर्ज हैं। इस जमीन की भूखंड के रूप में 2016 से 2021 तक रजिस्ट्री कर दी गई, जबकि मौके पर कब्जा ग्राम समाज की जमीन पर दिया गया।
जनपद में पूर्व में तैनात रहे किसी भी जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम ने जमीन को खाली कराने का प्रयास नहीं किया। गांव के लेखपाल की जिम्मेदारी ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जा रोकने की है, लेकिन लेखपाल ने भी आंख मूंद ली है। इससे प्रदेश सरकार की संपत्ति पर कॉलोनाइजरों का अवैध तरीके से कब्जा हो गया।
निबंधन विभाग की मिलीभगत होता है सारा खेल
भूखंड की रजिस्ट्री के समय संपत्ति और खरीदार का फोटो लगता है। इसकी अनदेखी की जाती है। इसमें भी धोखाधड़ी कर कॉलोनाइजर तहसील परिसर में खाली पड़ी जमीन पर खड़े होकर संपत्ति बेचने वाले लोग फोटो खिचवा लेते हैं। डूब क्षेत्र की जमीन की रजिस्ट्री पर रोक के बावजूद निबंधन विभाग बैनामे कर देता है। एक ही व्यक्ति कई-कई बार भूखंड बेचने आता है, जानकारी होने के बावजूद उसे रजिस्ट्री करने से नहीं रोका जाता।