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Haryana Election: छोटी पार्टियों के विधायकों की बढ़ गई डिमांड, जानिए क्यों?

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Haryana Election से पहले बीजेपी और कांग्रेस समीकरण सेट करने में जुटी है।

Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। बीजेपी (BJP) के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) भी अब पूरा जोर लगाने में जुट गई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) के मतदान से पहले बीजेपी और कांग्रेस समीकरण सेट करने में जुटी है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले ही छोटी पार्टियों के विधायकों (MLAs) की डिमांड बढ़ गई है। आइए जानते हैं, आखिर क्या है माजरा?
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आपको बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले ही विधायकों की डिमांड बढ़ गई है। सिरसा से HLP के विधायक गोपाल कांडा की पार्टी के साथ जहां हाल ही में बीजेपी ने गठबंधन किया है। वहीं अब दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के 3 विधायकों के स्वागत के लिए कांग्रेस भी तैयार है। इन विधायकों ने चुनाव की घोषणा के बाद पार्टी छोड़ी है।

ऐसा कहा जा रहा है कि इन 3 विधायकों को जल्द ही कांग्रेस आधिकारिक तौर पर पार्टी में शामिल कर सकती है। हरियाणा में 1 अक्टूबर को विधानसभा की 90 सीटों के लिए मतदान प्रस्तावित है।

सिरसा से इस विधायक के साथ BJP ने किया समझौता

सिरसा से HLP के विधायक गोपाल कांडा से सत्ताधारी बीजेपी ने समझौता किया है। गोपाल कांडा भूपिंदर सिंह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2019 में जब बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला थी तो कांडा ने बीजेपी को समर्थन करने का ऐलान किया था।

गोपाल कांडा सिरसा की राजनीति में मजबूत नेता माने जाते हैं। सिरसा लोकसभा में विधानसभा की 9 सीटें हैं, जिसमें से 2019 में बीजेपी को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली थी। हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी यहां की किसी भी सीट पर बढ़त नहीं बना पाई।

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कांग्रेस 3 विधायकों के स्वागत के लिए तैयार?

जननायक जनता पार्टी को 2019 में 10 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा में चुनाव की घोषणा होते ही पार्टी के 10 में से 4 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें देवेंद्र बबली, अनूप धानक, रामकरण काला और ईश्वर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है।

ऐसा कहा जा रहा है कि अनूप धानक बीजेपी में और देवेंद्र बबली, रामकरण काला और ईश्वर सिंह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। ईश्वर सिंह और रामकरण काला के बेटे पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, जबकि देवेंद्र बबली ने लोकसभा चुनाव में खुलकर कुमारी शैलजा का समर्थन दिया था।

साल 2019 में ईश्वर सिंह कैथल के गुहला सीट से जीत दर्ज की थी। इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 2005 में जीत नसीब हुई थी। पिछली बार उसके प्रत्याशी 5 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे। इसी तरह देवेंद्र सिंह बबली फतेहाबाद के टोहना से विधायक हैं।

इस सीट पर भी कांग्रेस पिछले 10 साल से फाइट नहीं दे पाई है। 2019 में बबली ने टोहना से बीजेपी के सुभाष बराला को हराया था। अनूप धानक हिसार के उकलाना से विधायक हैं। बीजेपी यहां अभी तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है। राम करण काला कुरुक्षेत्र के शाहाबाद से विधायक हैं। कांग्रेस यहां पर पिछले चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी थी।

विधायकों की बढ़ गई डिमांड

हाल ही लोकसभा के चुनाव हुए हैं, जिसमें 10 में से 5 सीट पर कांग्रेस और 5 सीट पर बीजेपी को जीत मिली है। विधानसभा वाइज देखा जाए तो कांग्रेस को 42 और बीजेपी को 44 सीटों पर बढ़त मिली है। 90 सीटों वाली हरियाणा में बहुमत के लिए किसी भी दल को कम से कम 46 सीटों पर जीतना जरूरी है। 2019 के चुनाव में बीजेपी को 40 सीटों पर जीत मिली थी, जिसके बाद उसे पोस्ट पोल एलायंस करना पड़ा था। इन्हीं सब परिस्थितियों से बचने के लिए पार्टियां मजबूत विधायकों को अपने पाले में लाने में जुट गई है।