ग्रेटर नोएडा वेस्ट के Yatharth Hospital में हड़कंप
Greater Noida West: ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यथार्थ हॉस्पिटल (Yatharth Hospital ) से बड़ी और हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि किडनी रैकेट मामले में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच (Delhi Police Crime Branch) की टीम ने जांच-पड़ताल जारी रखी। क्राइम ब्रांच (Crime Branch) की टीम ने नोएडा सेक्टर-39 स्थित स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यथार्थ अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) से जुड़ी फाइलों की जांच की।
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इस मामले में गिरफ्तार अपोलो हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर ने बीते दो सालों में यथार्थ हॉस्पिटल (Yatharth Hospital) में 20 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए थे, जिनके संबंधित मरीजों और किडनी देने वालों के कागजातों का सत्यापन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम नोएडा में अपना जांच अभियान चला रही है। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. डी विजया राजकुमारी अपने साथ दिल्ली से 6 सदस्यों की टीम लेकर किडनी मरीजों के ट्रांसप्लांट के लिए नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ हॉस्पिटल में जाती थीं। उन्होंने सभी ट्रांसप्लांट यथार्थ अस्पताल में ही किए हैं। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट (International kidney transplant racket) के 7 आरोपियों से पूछताछ में यह जानकारी मिली है।
जांच में यह बात आई सामने
क्राइम ब्रांच की टीम ने किडनी रैकेट से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारियां एकत्र की है। जांच में कई अहम सुराग भी मिले हैं, जिससे जानकारी मिल रही है कि गिरफ्तार आरोपियों ने किडनी की मांग वाले 6 मरीजों की फाइल बना ली थी और 20 दूसरे मरीज भी उनके संपर्क में थे। यह मामला न सिर्फ दिल्ली बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब फैल गया है। बांग्लादेश के मरीजों और उनके घरवालों से जुड़े दस्तावेजों की जांच में सामने आया है कि इस गिरोह का नेटवर्क काफी बड़ा और संगठित है।
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20 दूसरे मरीज भी थे संपर्क में
जांच में यह भी पता चला है कि इस गिरोह के सदस्य बांग्लादेश के डायलेसिस सेंटरों पर मरीजों और उनके घरवालों से संपर्क कर उन्हें भारत लेकर आते थे। जहां फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से किडनी ट्रांसप्लांट कराते थे। गिरफ्तारियों के दौरान मिले दस्तावेजों में मरीजों से जुड़ी फाइलें भी शामिल थीं। इन फाइलों से जानकारी हुई कि आरोपियों ने 6 मरीजों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए थे। पूछताछ में आरोपियों ने जानकारी दी कि वे 20 दूसरे मरीजों के भी संपर्क में थे, जिनके लिए उन्हें डोनर की व्यवस्था करनी थी। ये सभी मरीज बांग्लादेश के थे और वहां के डायलेसिस सेंटर पर मिले थे।
गिरोह में सबका बटा था काम
किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह के सरगना रसेल को डोनर मुहैया कराने वाला इफ्ती मरीजों और उनके घरवालों से बातचीत करता था। इफ्ती और उसके गुर्गों का काम बांग्लादेश के कई डायलेसिस सेंटर पर मरीजों और उनके घरवालों से संपर्क बनाना था, लेकिन छापेमारी के बाद वह अंडरग्राउंड हो गया। जांच में यह भी बात सामने आई है कि जिन छह मरीजों की आरोपियों ने फाइल तैयार की थी, उनसे एडवांस में पैसे ले लिया गया था। पूरे पैसे का लेन-देन होना अभी बाकी था। गिरोह रिसीवर के तैयार होने के बाद ही उनके परिजनों से एडवांस में 25 से 50 फीसदी रकम ले लेता था और ऑपरेशन की डेट फाइनल होने के बाद बाकी के पैसे लेता था।
पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क की जांच कर रही है टीम
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के कब्जे से प्रमुख डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, वकील समेत दूसरे लोगों की मुहरें भी मिली हैं। आरोपी इन मुहरों का प्रयोग फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए करते थे। मौके से अलग-अलग अस्पतालों के नाम के जाली दस्तावेज भी मिले हैं। क्राइम ब्रांच की तकनीकी टीम पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क की जांच करने में लगी हुई है, जिससे और भी सुराग मिल सकें।
जानिए पूरा मामला
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले गिरोह के 7 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें 3 बांग्लादेशी नागरिक सहित दक्षिण भारत की रहने वाली डॉ. विजया कुमारी भी शामिल है। यह लोग डोनर से तो 4-5 लाख रुपये में किडनी खरीदते थे और उसे 30 लाख रुपये तक में बेचते थे। किडनी लेने के लिए बांग्लादेश के लोगों को फुसला कर लाते थे। दिल्ली एनसीआर के प्राइवेट अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट के काम को अंजाम देते। अब पुलिस इस मामले के जांच में जुटी है।
शासन को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में यथार्थ हॉस्पिटल के दूसरे ब्रांच में भी जांच की जाएगी। इस पूरी जांच की रिपोर्ट जल्द ही तैयार कर शासन को भी सौंपी जाएगी। ये पूरी जांच आरोपी महिला डॉक्टर विजया के प्रत्यारोपण संबंधित मामलों को लेकर की जा रही है।