Greater Noida के 40 हजार फ्लैट बायर्स के लिए अच्छी खबर
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा के फ्लैट खरीदारों के लिए अच्छी और बड़ी खबर है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) ने उन फ्लैट बायर्स का जुर्माना अस्थायी रूप से माफ कर दिया है, जो आंशिक अधिभोग प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate) जारी होने के बाद भी डेवलपर्स द्वारा बकाया राशि का भुगतान न करने की वजह से अपने फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं करा पाए थे। प्राधिकरण के इस फैसले से 60 परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले करीब 40,000 फ्लैट बायर्स (Flat Buyers) को लाभ होने की उम्मीद है। फ्लैट बायर्स (Flat Buyers) अब जुलाई 2024 से 6 महीने के अन्दर बिना पेनल्टी (Penalty) के रजिस्ट्री करा पाएंगे। आपको बता दें कि बीते एक साल से रजिस्ट्री (Registry) बंद होने से फ्लैट बायर्स को पर अब तक मोटा जुर्माना लग चुका है। 100 वर्गमीटर के फ्लैट पर 50 रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लग रहा था और इससे बड़े घरों पर 100 रुपये प्रतिदिन पेनल्टी लगाई गई, जो अब माफ कर दी गई है।
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साल 2018 में भी, GNIDA ने खरीदारों को बिना किसी जुर्माने के रजिस्ट्री कराने की अनुमति दे दी थी। प्राधिकरण के इस निर्णय से तब भी बहुत से फ्लैट बायर्स को लाभ हुआ था। लेकिन उस समय जिन लोगों के डेवलपर्स ने प्राधिकरण की बकाया राशि जमा नहीं किया था, उन्हें अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने की अनुमति नहीं मिली थी। इस साल की शुरुआत में फ्लैट बायर्स के एक एक संगठन ने जीएनआईडीए से फ्लैटों की रजिस्ट्री न कराने पर लगाए गए जुर्माने को माफ करने की गुजारिश की थी। प्राधिकरण ने 15 जून को अपनी बोर्ड मीटिंग में 6 महीने के लिए जुर्माने को माफ करने का निर्णय लिया।
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60 बिल्डरों ने चुना जीरो पीरियड लाभ का विकल्प
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर नोएडा में, 60 से अधिक परियोजनाओं के बिल्डरों ने कोरोना काल के दो सालों के दौरान लगाए गए ब्याज और जुर्माने पर जीरो पीरियड की छूट का विकल्प चुना है। इन बिल्डर्स ने पुनर्गणना कि गई बकाया राशि का 25 फीसदी अग्रिम भुगतान कर दिया है। प्राधिकरण की ओएसडी सौम्या श्रीवास्तव ने बताया कि इन परियोजनाओं के खरीदारों के पास अब अपने फ्लैटों को फिर से पंजीकृत करने का ऑप्शन था। लेकिन बहुत कम लोग आगे आए क्योंकि उनमें से प्रत्येक ने 2018 से 2 लाख से 2.5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया था।
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अधिकारियों ने जानकारी दी कि 2018 की छूट का उद्देश्य बिना रजिस्ट्री (Registry) फ्लैटों को बेचने पर रोक लगाना भी था। एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि कई मामलों में, लोगों ने जानबूझकर अपने फ्लैटों को रजिस्ट्री नहीं कराया और बाजार में तेजी आने पर उन्हें हाई रेट पर बेच दिया, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। लेकिन उनका उनमें रहने का इरादा नहीं था, इसलिए उन्होंने अपने फ्लैटों का रजिस्ट्री नहीं कराया। लेकिन पिछले साल दिसंबर में जब राज्य सरकार ने रुकी हुई परियोजनाओं के लिए अपनी पुनर्वास नीति पेश की, तो उलझनें कुछ हद तक कम होने लगीं।