Greater Noida में प्लॉट के 24 साल से संघर्ष लेकिन अभी तक नहीं मिला प्लॉट..
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आ रहा है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में प्लॉट के लिए एक आवंटी 24 साल से संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन अभी तक उनको प्लॉट नहीं मिल सका है। बता दें कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) ने साल 2000 के दिसंबर में ‘पहले आओ – पहले पाओ’ स्कीम के आधार पर औद्योगिक प्लॉट (Industrial Plot) की एक योजना लॉन्च की थी। इसमें दिल्ली के एक युवक ने स्वयं का रोजगार शुरू करने के लिए माता-पिता की मेहनत की कमाई से 20 हजार रुपये जमा करके आवेदन किया था। 24 साल बाद भी पीड़ित प्राधिकरण के चक्कर लगा रहा है और आज तक स्टार्टअप लगाने के लिए प्लॉट (Plot) का आवंटन नहीं हो पाया है।
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जानिए क्या है पूरा मामला
दिल्ली के सराय रोहिल्ला निवासी महेश मित्रा जानकारी देते हैं कि साल 1998 में – उन्होंने ऑटो मोबाइल का डिप्लोमा करके दिल्ली में वर्कशॉप खोली थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही सरकार ने उसे बंद करने का फरमान जारी कर दिया। वर्कशॉप बंद होने से पहले ही उन्होंने अपने माता-पिता की जीवन भर की कमाई से की गई बचत को लेकर 20 हजार रुपये ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की औद्योगिक प्लॉट की एक योजना में लगा दिए। पहले तो प्राधिकरण ने अपनी गलती से 25 – हजार वर्गमीटर का प्लॉट आवंटित कर दिया। जब पीड़ित ने प्राधिकरण के अधिकारियों को इसके बारे में बताया तो 2500 वर्ग मीटर कर दिया। बाद में जब प्लॉट मांगा तो हर बार प्राधिकरण से कुछ न कुछ बहाना बनाकर टकरा दिया जाता।
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महेश साल 2003 से जिला उपभोक्ता आयोग (Consumer Commission) से लेकर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में केस जीतकर प्राधिकरण के अधिकारियों से प्लॉट की मांग कर चुके हैं, लेकिन प्राधिकरण प्लॉट देने को तैयार नहीं है। महेश राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब इस कदर परेशान हो चुके हैं कि उनका करियर ही चौपट हो गया है और आर्थिक तंगी के कारण कुछ और कर भी नहीं पा रहे हैं। आपको बता दें कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने ग्रेनो अथॉरिटी को महेश को प्लॉट आवंटन का आदेश दिया। इस आदेश को भी ग्रेनो अथॉरिटी इतने साल से नजरअंदाज किए बैठा है।
सरकारी सिस्टम से परेशान हूं
महेश के पिता मनोहरलाल और माता कृष्णा ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को खत लिखकर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले को लागू करवाने की मांग की है। महेश कहते हैं कि देश के सरकारी सिस्टम का सबसे ज्यादा सताया इंसान में हूं। एक आम आदमी को न्याय के लिए 24 साल से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है, समस्या को बिना सुने और बिना हल किए निस्तारण किया जाना, अधिकारियों द्वारा जानबूझकर सबको गुमराह करना ही मेरे हिस्से में आया है लेकिन जिस प्लॉट के लिए संघर्ष कर रहा हूं वह अभी तक नहीं मिल पाया है।
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जिला अपभोक्त आयोग (District Consumer Commission) के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर ने ग्रेनो प्राधिकरण और महेश मित्र के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 21 जून को प्राधिकरण को 1000 वर्ग मीटर वाले प्लॉट को आवंटित करने के लिए आदेश दिए थे। इस आदेश से संतुष्ट न होने पर महेश ने लखनऊ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोज में अपील दायर की है।