वैसे तो देश में सैंकड़ों मीडिया हाउस हैं और उसके सैंकड़ों मालिक। लेकिन कहते हैं ना कि दिल बड़ा होना चाहिए जो किसी-किसी के पास ही होता है। उनमें से एक हैं Ind24 न्यूज चैनल के फाउंडर नवीन पुरोहित
प्रसन्नचित मुद्रा में तस्वीर में हरी टीशर्ट और नीली जींस पहने गाड़ी की चाबी मुझसे लेते हुए युवा का नाम है Sumit Mishra कम लोग होते है, जो अपना काम बहुत जिम्मेदारी से करते है, जिनके होने का आप एक फर्क देखते हैं, और जिनके न होने पर एक निर्वात निर्मित हो जाता है, सुमित “सुमति” से भरपूर उसी प्रकृति के जिम्मेदार व्यक्तित्व हैं।
सुमित की ये IND24 में दूसरी पारी है। पहले कार्यकाल में भी सुमित ने इनपुट डिपार्टमेंट में बेहद जिम्मेदारी से कार्य किया था, दूसरी बार आए तो और ज्यादा जिम्मेदारी से काम करते दिखे।
चुनाव के समय मैंने एक सामान्य चर्चा में ये कह दिया था कि अगर फील्ड से चुनावी विज्ञापन अच्छे से प्रबंधित कर लेते हो तो और एक तय विज्ञापन राशि संग्रह कर लेते हो तो उसका 25% तुम्हें कार खरीदने के लिए दे दिया जायेगा। इस दौरान सुमित ने बहुत मेहनत की लेकिन विज्ञापन संग्रह बिल्कुल भी आशा के अनुरूप नहीं था।
लेकिन चुनाव के दौरान सुमित का ध्यान सिर्फ विज्ञापन संग्रह पर केंद्रित नहीं था बल्कि खबरों के संचालन में, चैनल से जुड़े हुए अन्य विषयों में सुमित की चिंता फिक्र स्पष्ट दिखी। चूंकि विज्ञापन राशि का संग्रह अनुमान से बहुत कम था तो सुमित ने मुझसे कार वगैरह की कोई चर्चा ही नहीं की! एक दिन मैंने सुमित से कहा कि सुमित क्या तुम्हें कार नहीं खरीदनी? सुमित को सहसा लगा कि शायद मैं मजाक कर रहा हूं, तो उसने हंसकर टाल दिया। मैंने जब कहा कि गंभीरता से कह रहा हूं कार खरीदना है, तो शोरूम जाकर कार पसंद करो, फायनेंस की प्रक्रिया शुरू करो रही बात कार के 30% डाउनपेमेंट की वह मैं कर दूंगा। मैंने हंसकर कहा कि भले ही विज्ञापन राशि का संग्रह कम हुआ हो लेकिन इतना तो हो ही गया है कि तुम्हारी कार का डाउनपेमेंट किया जा सके। इसी बीच सुमित को उनकी समर्पित और सहज कार्यशैली के कारण एक इंक्रीमेंट और प्रमोशन भी दिया ताकि डाउनपेमेंट के अलावा लोन की जो मंथली इस्टालमेंट आए उसका अतिरिक्त बोझ सुमित पर न पड़े।
हालांकि मेरी इस वृत्ति के कारण मैंने दुनियादारी के कुछ मानसिक संताप भी उठाए हैं, लेकिन फिर यही सोचकर अपने कर्मपथ पर निरंतर गतिशील हूं कि जब #कांटे अपनी चुभने की प्रकृति नहीं छोड़ते तो #फूल अपने महकने की प्रकृति क्यों छोड़ें!!
शुक्र है कि सुमित पुरुष है, अगर इस स्थान पर कोई महिला होती तो जो तथाकथित लोग रुदन, क्रंदन और हाहाकार करते और इसकी अपने विशिष्ट ज्ञानचक्षुओं से ऐसी व्याख्या करते कि अच्छे अच्छे कवि और कहानीकार उनके सामने बौने नजर आते। मेरे वह अति शुभचिंतक अकारण प्रथम दिवस से ही मेरे विषयों को लेकर अति संवेदनशील है। लेकिन “अति सर्वत्र वर्जयेत” सो उनकी वो जानें और मेरी राम जाने।
बताना लाजिमी होगा कि इसी दौरान सुमित की प्रकृति की ही हमारे चैनल की एक ईमानदार, कर्मठ और गर्वित महिला सदस्य, IND24 को छग में एक सम्मानित पहचान दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने बाली चैनल की छग ब्यूरो Nidhi Prasad के परिश्रम और निष्ठापूर्ण योगदान के लिए कुछ अतिरिक्त पारितोषिक देने का कमिटमेंट था जो अभी धनाभाव के कारण पूरा नहीं कर पाया! लेकिन यथासंभव यथाशीघ्र करने का प्रयास करूंगा।
लिंगभेद के सामाजिक दृष्टिकोण से भयाक्रांत होकर चैनल की एक निष्ठावान, मेहनतकश और समर्पित पूर्व सहकर्मी (फॉर्मर एसोसिएट एडिटर) Nazneen Naqvi के योगदान को उचित समय पर रेखांकित करने का भी साहस नहीं जुटा पाया, उसका मुझे दिल से अफसोस है और इस सोशल प्लेटफार्म (सार्वजनिक मंच) से उस नजरंदाजी के लिए माफी की भी गुजारिश हैं।
हो सके तो मेरी इस बात पर गौर करिएगा कि अच्छे और सच्चे लोग जहां रहेंगे वहां रोशनी लुटाएंगे, हर हाल में अच्छा करेंगे क्योंकि वही उनकी फितरत है। इसलिए अपने साथ के अपने आस आप अच्छे और सच्चे, कर्मठ, मेहनतकश लोगों की इज्जत करो, उनको अहमियत दो, उनको उनका बाजिब हक दो भले ही उनकी आड़ में चार नाकाबिल और नाकारा लोगों को फायदा हो जाए लेकिन एक भी सच्चे और अच्छे का नुकसान न हो यह बेहद जरूरी है।
बाकी मुझे अपनों में कुछ फूल की तरह दिखने वाले पत्थर भी मिले जिन्होंने साथ रहकर तोड़ने की कोशिशें भी की!!! लेकिन मैं उन सबसे बस इतना ही कहूंगा…..
मैं टूट भी गया तो मुझमें चमक रहेगी,
कहता है आईना ये पत्थर से मुस्कुरा के।