Ghaziabad News: गाजियाबाद में जीडीए (GDA) और विद्युत विभाग (Electrical Department) के विवाद में 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा कीमत के प्लैट खाली पड़े बेकार हो रहे हैं। जीडीए और विद्युत विभाग की रार के चलते जीडीए के 100 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के फ्लैट बेकार साबित हो रहे हैं। 59 परिवार छह साल से बिना घर के हैं। बिजली की सुविधा न होने से आवंटी फ्लैट पर कब्जा नहीं पा रहे हैं।
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दो विभागों के विवाद में फ्लैट बायर्स (Flat Buyers) पर लोन के ब्याज और किराये के रूप में दोहरी मार पड़ रही है। परेशान आवंटी 6 साल से जीडीए और विद्युत विभाग के अधिकारियों के पास चक्कर लगाकर थक गए हैं लेकिन इन सब के बाद भी उनकी समस्या हल नहीं हुई है, उन्हें बस आश्वासन देकर लौटा दिया जाता है।
2016 में निकली थी योजना
आपको बता दें कि जीडीए ने साल 2016 में 296 फ्लैटों की समाजवादी आवास योजना लांच की थी। 296 के एवज में लगभग 160 लोगों ने फ्लैट के लिए आवेदन किया था। सभी आवेदकों को फ्लैट आवंटित भी हो गए थे। जीडीए ने अब विद्युत निगम के एमडी को साक्ष्यों के साथ पत्र भेजकर हस्तक्षेप कर इस समस्या को हल करने की बात कही है।
तीन टावर में बने हैं 296 फ्लैट
जीडीए (GDA) ने कुल 47 करोड़ की लागत से तीन टावर में 296 फ्लैटों को तैयार किया है। साल 2017 में उत्तर प्रदेश में सरकार बदली तो योजना का नाम बदलकर अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम हो गया। जीडीए को साल 2018 में सुविधाएं विकसित कर फ्लैटों का कब्जा देना था, लेकिन बिजली कनेक्शन और पानी की समस्या के कारण 101 लोगों ने रिफंड ले लिया।
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इसके बाद जीडीए ने पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर फ्लैट बेचने के लिए योजना फिर से लांच की, लेकिन इस आधार पर भी 20-25 लोगों ने ही आवेदन किया और बाद में इन्होंने भी रिफंड करा लिया।
आपको बता दें कि बिजली कनेक्शन को लेकर जीडीए और विद्युत विभाग के बीच विवाद हो गया है। जीडीए के मुताबिक 30 अक्टूबर 2009 को स्वीकृत मधुबन-बापूधाम योजना की डीपीआर के मुताबिक विद्युतीकरण का कार्य जीडीए द्वारा कराया गया है।
उसी के क्रम में नियमानुसार विद्युत लोड के मुताबिक पांच प्रतिशत सुपरविजन चार्ज भुगतान कर कई सोसायटी में विद्युतीकरण हस्तांतरण की कार्रवाई हो गई है लेकिन जबकि समाजवादी आवास योजना यानी अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में विद्युतीकरण के कार्य के हस्तांतरण के लिए 15 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज की मांग विद्युत विभाग कर रहा है।
पांच प्रतिशत के हिसाब से आकलन कर जीडीए ने डीडी विद्युत विभाग को भेजा था लेकिन वह वापस कर दिया गया। जीडीए अधिकारियों के मुताबिक 15 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज की मांग सही नहीं है। इसी कारण विद्युत कनेक्शन नहीं हो पा रहा है और आवंटियों को कब्जा नहीं मिल पा रहा है।
जानिए क्या बोले आवंटी
वीके गौड़, आवंटी ने कहा कि जीडीए की योजना में फ्लैट निकलने की बहुत खुशी था लेकिन कुछ ही दिनों में जीडीए की कार्यप्रणाली देकर सारा भ्रम टूट गया। आज तक परेशान हूं। जीडीए और बिजली विभाग के ऑफिसों के सैकड़ों चक्कर लगा चुका हूं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।
यशस्वी खंडेलवाल, आवंटी ने कहा कि 6 साल में जीडीए के 50 से ज्यादा चक्कर लगा चुका हूं लेकिन हर बार दो माह में हो जाएगा, यह आश्वासन देकर वापस कर दिया जाता है। आज तक बिजली कनेक्शन नहीं है जिस कारण पानी की मोटर भी नहीं चल पाती है। योजना में काम पूरे नहीं हुए हैं। जीडीए की योजना में मकान लेकर फंस गया हूं।
मानवेंद्र सिंह, प्रभारी मुख्य अभियंता जीडीए ने बताया कि मामला जीडीए उपाध्यक्ष के संज्ञान में लाया गया है। विद्युत निगम के उच्चाधिकारियों को समस्या का समाधान कराने के लिए फिर से पत्र भेज दिया गया है। इसके साथ 2023 में ही पांच प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा कराकर कनेक्शन देने के साक्ष्य भी भेजे गए है।
नीरज स्वरूप, मुख्य अभियंता विद्युत निगम गाजियाबाद ने कहा कि 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष व विद्युत निगम के एमडी ने आपसी समहति से लिया था। उसमें भी स्पष्ट किया गया था कि मामला दो सरकारी विभागों और जनहित का है इसलिए फिलहाल कनेक्शन दे दिया जाए। बाद में मामले में जो फैसला सही हो वह मान्य होगा। मधुबन-बापूधाम की डीपीआर भी हमने जीडीए से मांगी है।