Exit Poll vs Opinion Poll: लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हो या कोई अन्य चुनाव हो, चुनाव नजदीक आते ही सबसे पहले जो शब्द सुनने को मिलता है वह है एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल। टीवी चैनल (TV Channel), न्यूजपेपर और न्यूज साइटों से लेकर आम लोग एग्जिट पोल (Exit Poll) और ओपिनियन पोल (Opinion Poll) की खूब चर्चा करने लगते हैं। लेकिन क्या आपको पता है क्या है यह एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल। आइए हम इस खबर में आपको विस्तार से एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के बारे में बताएंगें। साथ ही यह भी बताएंगे कि एग्जिट पोल कैसे ओपिनियन पोल से कैसे अगल है।
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आखिर क्या होता है एग्जिट पोल
आखिर क्या होता है एग्जिट पोल
आपको बता दें कि एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे (Election Survey) होता है। जो मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं। वह मतदाता से चुनाव को लेकर प्रश्न पूछते हैं। इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल किए जाते हैं। मतदान खत्म होने तक ऐसे सवाल बड़ी संख्या में आंकड़े एकत्र हो जाते हैं। इन आंकड़ों को मिलाकर और उनके जबाव को मिलाकर चुनाव के परिणाम के बार में अंदाजा लगाया जाता है। एग्जिट पोल से यह जानकारी मिलती है कि जनता का मूड किस तरफ है। मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर यह आकंडा निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटों पर जीत सकती है। इसको जारी मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है।
कितने लोगों से सवाल पूछा जाता है
एक खबर के मुताबिक एग्जिट पोल कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वहां वोट देकर निकल रहे लोगों से प्रश्न करता है। इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेगा? आमतौर पर मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है। इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है।
क्या एग्जिट पोल्स हमेशा सही होते हैं
ऐसा नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सही ही हो। पहले भी ऐसा हुआ है कि एग्जिट पोल कुछ बता रहे थे लेकिन चुनाव परिणाम कुछ आया। भारत में एग्जिट पोल के रिजल्ट बहुत सही नहीं निकले हैं। कई बार एग्जिट पोल नतीजों के चुनाव रिजल्ट से एकदम अलग निकलते हैं।
अब जानिए क्या है ओपिनियन पोल
ओपिनियन पोल को हम जनता की राय कह सकते हैं। जनता की राय को समझने या मापने के लिए अलग – अलग तरह के वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है। चुनावी सर्वे में हमेशा रैंडम सैंपलिंग ही की जाती है। देश की बड़ी सर्वे एजेंसी लोकनीति –CSDS भी रैंडम सैंपलिंग ही करती है। इसमें सीट के स्तर पर, बूथ स्तर पर और मतदाता स्तर पर रैंडम सैंपलिंग की जाती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी बूथ पर 1000 मतदाता है। उसमें से 50 लोगों से प्रश्न पूछना है तो इसके लिए 50 लोग रैंडम ही चुने जाते हैं।
इसके लिए सबसे पहले 100 का 50 से भाग कर दिया जाता है तो उत्तर 20 आता है। इसके बाद वोटर लिस्ट में से कोई एक ऐसा नंबर चुना जाता है जो 20 से कम हो। उदाहरण के रूप में जैसे मान लीजिए आपने 12 लिया। तो वोटर लिस्ट में 12वें नंबर पर जो वोटर होगा वो उससे आप प्रश्न कर सकेंगे। जिसका आप इंटरव्यू करेंगे, फिर उस संख्या 12 में आप 20, 20 ,20 जोड़ते जाइये और जो संख्या आए उस नंबर के वोटर्स से सवाल करते जाइए।
ओपिनियन पोल्स और एग्जिट पोल्स के बीच अंतर (Exit Poll vs Opinion Poll)
Exit Poll vs Opinion Poll: ओपनियन पोल्स वोटिंग से बहुत पहले वोटरों के व्यवहार और वो क्या कर सकते हैं, ये जानने के किया जाता है। इससे यह पता लगता है कि इस बार वोटर किसको वोट करने के मूड़ में है। तो वहीं एग्जिट पोल्स हमेशा वोटिंग के बाद किया जाता है।
जानिए एग्जिट पोल को लेकर चुनाव आयोग का नियम
इसके लिए चुनाव आयोग ने कानून बनाया है कि आखिरी चरण की वोटिंग के पहले एग्जिट पोल के जरिए अनुमानित नतीजों को जारी नहीं किया जा सकता है। आखिरी चरण की वोटिंग के बाद चुनाव आयोग चुनाव के बाद बताएगा कि आखिर चरण में कितना मतदान हुआ, उसके बाद ही टीवी चैनल्स या समाचार साइट्स एग्जिट पोल के वो नतीजे जारी कर सकेंगे, जो उन्होंने खुद या एजेंसियों के जरिए कराए होते हैं।
कौन करवाता है एग्जिट पोल
एग्जिट पोल कई समाचार चैनल या सर्वे करवाने एजेंसियां करवाती हैं। इनका एक सैंपल साइज होता है, जैसे मान लीजिए उन्होंने एक लाख लोगों से बात की और उन 1 लाख लोगों से मिले जवाबों के ही आधार पर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाती है। एजेंसिया हर सीट के हिसाब से कुछ लोगों से प्रश्न करती हैं और उसने जवाबों के आधार पर बताया जाता है कि चुनाव के नतीजे क्या रहने वाले हैं।
ये एजेंसी और चैनल कराते हैं सर्वे
- टुडे चाणक्य
- एबीपी-सी वोटर
- न्यूजएक्स-नेता
- रिपब्लिक-जन की बात
- सीएसडीएस
- न्यूज18-आईपीएसओएस
- इंडिया टुडे-एक्सिस
- टाइम्स नाउ-सीएनएक्स
- सीएसडीएस
ओपिनियन पोल के बारे में रोचक तथ्य
दुनिया में चुनावी सर्वे सबसे पहले अमेरिका में हुआ था। जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने अमेरिकी सरकार के कामकाज पर लोगों की राय जानने के लिए ये सर्वे किया था। बाद में ब्रिटेन ने 1937 और फ्रांस ने 1938 में भी चुनावी सर्वे की शुरुआत हुई। और फिर जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम तथा आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए गए।
ओपिनियन पोल के बारे में रोचक तथ्य
एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम द्वारा की गई थी।
वॉन डैम ने पहली बार 15 फरवरी 1967 को इसका पहला प्रयोग किया था। उस समय नीदरलैंड में हुए चुनाव में उनका आकलन बिल्कुल सही निकला था।
भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के चीफ एरिक डी कोस्टा ने की थी।
1996 में एग्जिट पोल सबसे अधिक चर्चा आए। उस समय दूरदर्शन ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज को देशभर में एग्जिट पोल कराने के लिए अनुमति दी थी। 1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया।