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Election Commission: क्या है आदर्श आचार संहिता..ये कैसे काम करती है?

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आज Election Commission ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी है।

Election Commission: देश के 4 राज्यों में आने वाले महीनों में चुनाव (Election) होने हैं, जिसमें हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू कश्मीर शामिल है। आज चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी है। मुमकिन है कि इन राज्यों में आज ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाए। तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। क्या है आदर्श आचार संहिता (model code of conduct)..ये कैसे काम करती है? पढ़िए पूरी खबर…
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आदर्श आचार संहिता की शुरुआत कैसे हुई?

आदर्श आचार संहिता की शुरुआत 1960 के केरल विधानसभा चुनाव से हुई। राजनीतिक दलों से बातचीत और सहमति से ही आचार संहिता को तैयार किया गया।

इसमें पार्टियों और उम्मीदवारों ने तय किया कि वो किन-किन नियमों का पालन करेंगे।

1962 के आम चुनाव के बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी आचार संहिता का पालन हुआ। बाद में उसमें और नियम जुड़ते चले गए।

चुनाव आचार संहिता किसी क़ानून का हिस्सा नहीं है हालांकि आदर्श आचार संहिता के कुछ प्रावधान आईपीसी की धाराओं के आधार पर भी लागू करवाए जाते हैं।

इन सबके बावजूद राजनीतिक दल और उम्मीदवार इन्हें गंभीरता से नहीं लेते और हर चुनाव में इनके उल्लंघन का एक न एक उदाहरण सामने आ ही जाता है।

चुनाव से कितने दिन पहले आदर्श आचार संहिता लागू होती है?

चुनाव आयोग जैसे ही विधानसभा या लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है वैसे ही मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट यानी आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो जाती है।

आदर्श आचार संहिता उस चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक प्रभावी रहती है।

चुनाव प्रचार के लिए आदर्श आचार संहिता क्या है?

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं। इन नियमों को ही आचार संहिता कहा जाता है।

अगर कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो चुनाव आयोग उनके खिलाफ़ नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है।

इनमें दोषी के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने तक की कार्रवाई शामिल है, ज़रूरी होने पर आयोग आपराधिक मुक़दमा भी दर्ज करा सकता है। यहां तक कि दोषी पाए जाने पर जेल की सज़ा भी हो सकती है।

आचार संहिता में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण, चुनावी सभा, रैली, जुलूस और रोड शो से जुड़े कायदे-क़ानून, मतदान के दिन पार्टियों और उम्मीदवारों के आचरण, मतदान बूथ के अनुशासन, चुनाव के दौरान ऑब्ज़रवर और सत्ताधारी दल की भूमिका का जिक्र इसमें है।

आचार संहिता को लागू कराने में चुनाव आयोग की क्या भूमिका होती है?

चुनाव आयोग, आचार संहिता को सही तरीके से लागू करवाने के लिए प्रेक्षकों की मदद लेता है।

इस काम में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों की मदद लेता है।

इनके अलावा इन सेवाओं के रिटायर्ड अधिकारियों की तैनाती भी चुनाव आयोग प्रेक्षक के रूप में करता है।

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आचार संहिता के प्रमुख प्रावधान

  • आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह की सरकारी घोषणाएं, योजनाओं की घोषणा, परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किया जा सकता।
  • सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।
  • किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी।
  • कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता न ही वह ऐसी किसी गतिविधि में शामिल हो सकता है जिससे धर्म या जाति के आधार पर मतभेद या तनाव पैदा हो।
  • राजनीतिक दलों की आलोचना के दौरान उनकी नीतियों, कार्यक्रम, पूर्व रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए।
  • अनुमति के बिना किसी की ज़मीन, घर, परिसर की दीवारों पर पार्टी के झंडे, बैनर आदि नहीं लगाए जा सकते।
  • मतदान के दिन शराब की दुकानें बंद रहती हैं। वोटरों को शराब या पैसे बाँटने पर भी मनाही होती है।
  • मतदान के दौरान ये सुनिश्चित करना होता है कि मतदान बूथों के पास राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के शिविर में भीड़ इकट्ठा न हों।
  • शिविर साधारण हों और वहां किसी भी तरह की प्रचार सामग्री मौजूद न हो। कोई भी खाद्य सामग्री नहीं परोसी जाए।
  • सभी दल और उम्मीदवार ऐसी सभी गतिविधियों से परहेज करें जो चुनावी आचार संहिता के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ और अपराध की श्रेणी में आते हैं- जैसे मतदाताओं को पैसे देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, फ़र्ज़ी वोट डलवाना, मतदान केंद्रों से 100 मीटर के दायरे में प्रचार करना, मतदान से पहले प्रचार बंद हो जाने के बाद भी प्रचार करना और मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए वाहन उपलब्ध कराना।
  • राजनीतिक कार्यक्रमों पर नज़र रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक या ऑब्ज़रवर नियुक्त करता है।
  • आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग की इजाज़त के बिना किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता है।

सोर्स- बीबीसी हिंदी