Jyoti Shinde,Editor
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने रैपिड मेट्रो को फंड देने के लिए ‘पैसा नहीं’ होने का दावा करने पर सीएम केजरीवाल और उनकी सरकार को फटकार लगाई।
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केजरीवाल सरकार अपने परंपरागत अंदाज में कोर्ट सें फंड ना होने का हवाला दिया था। जस्टिस संजय किशन कौल मामले की सुनवाई के दौरान ऐक्शन मोड में आ गये और कहा कि 2020 के बाद विज्ञापन पर हुए खर्च का विवरण दो हफ्ते के अंदर पेश करे सरकार ।
क्या है पूरा मामला ?
यह मामला रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) से जुड़ा है। दिल्ली से मेरठ के बीच एक सेमी हाईस्पीड रेल कारिडोर रिजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का निर्माण चल रहा है । यह रैपिड एक्स परियोजना के तीन रैपिड रेल गलियारों में से एक है । इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने बाद दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ जाना काफी आसान हो जायेगा और लोगों को सड़क पर लगने वाले जाम से राहत मिल जायेगी ।
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दिल्ली सरकार के वकील की ओर से यह बताया गया कि धन की कमी है और इस प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय सहायता देने में असमर्थता जताई। इसपर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि क्या आप चाहते हैं कि हम यह जाने कि आपने कौन सी राशि कहां खर्च की । क्या आप इस तरह का आदेश सुनना चाहते हैं । इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से विगत तीन वर्षों में विज्ञापनों पर किये गये व्यय का हिसाब देने को कहा । कोर्ट ने आप सरकार को निर्देश दिया कि वह दो हफ्ते के अंदर फंड्स की गणना की जानकारी के साथ एफिडेविट मुहैया करायें ।
क्या है RRTS(रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम :
आरआरटीएस (RRTS Project) एक नई क्षेत्रीय रैपिड रेल प्रणाली है जो एक समर्पित रूट पर, उच्च गति, उच्च क्षमता और आरामदायक यात्री सेवा के साथ क्षेत्रीय नोड्स को जोड़ेगा| आरआरटीएस (RRTS Project), पारंपरिक रेलवे (भारतीय रेलवे) से अलग है क्योंकि यह विश्वसनीय, एक डेडिकेटेड पथ मार्ग पर अधिक फ्रीक्वेंसी पर चलेगी और उच्च गति पर एक जगह से दूसरी जगह क्षेत्रीय यात्रा प्रदान करेगा| साथ ही आरआरटीएस मेट्रो से भी अलग है क्योंकि यह यात्रियों को कम स्टॉप और उच्च गति के साथ अपेक्षाकृत लंबी दूरी की यात्रा करवाएगा।