नोएडा में प्रदूषण कम करने के लिए लागू होगा दिल्ली वाला फॉर्मूला

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नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
Delhi NCR Air Pollution:
दिल्ली एनसीआर में पॉल्यूशन कम होने के नाम नहीं ले रहा है। सरकार की नाकाम कोशिशों में भी लोग जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण (Pollution) को रोकने के लिए ये फैसला लिया जिसमें आर्टिफिशियल (Artificial) तरह से बारिश कराई जाएगी। राजधानी दिल्ली में 20 और 21 नवंबर को आर्टिफिशियल तरीके से बारिश करवाई जाएगी। लेकिन इससे पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Kejriwal government) ने पायलट स्टडी कराने का फैसला लिया जिसमें करोड़ों रूपये खर्च किए जायेंगे।

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केजरीवाल सरकार कृत्रिम बारिश की दो चरण में होने वाली पायलट स्टडी (Pilot Study) का 13 करोड़ रूपये का खर्च उठाने के लिए तैयार हो गई है। गोपाल राय जो कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री हैं इन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई से पहले अदालत में हलफनामे के जरिए प्रस्ताव दें। मुख्य सचिव ने ये भी कहा कि कोर्ट से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार से जरूरी मंजूरी 15 नवंबर तक देने के लिए भी कहे ताकि 20 और 21 नवंबर को कृत्रिम बारिश के पहले चरण की पायलट स्टडी बेहद आसान तरह से हो सके। दिल्ली की सरकार IIT Kanpur के साथ मिलकर तेजी के साथ आर्टिफिशियल तरह से बारिश प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।

वहीं 20-21 नवंबर के पास राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराई जाने की संभावना है। दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने प्लान को रखेंगी फिर केंद्र की सरकार पूरा सहयोग दिलाएगी। अगर सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिल जाता है तो आईआईटी कानपुर 20-21 नवंबर के पास दिल्ली से कृत्रिम बारिश कराने का पहला पायलट प्रोजेक्ट कर सकता है।

आपको बता दें कि गोपाल राय जो की पर्यावरण मंत्री हैं उनके मुताबिक आईआईटी कानपुर का कहना है कि इसके लिए कम से कम 40 फीसदी तक बादल चाहिए होंगें। इससे कम बादल पर आप बारिश नहीं करवा सकते हैं। आईआईटी कानपुर ने ये अनुमान लगाया है दिल्ली में 20-21 नवंबर के आसपास बादल होने की थोड़ी बहुत संभावनाएं तो हैं।
आखिरकार 20-21 नवंबर को ही क्यों किया जाना है प्रयास
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के वैज्ञानिकों के साथ अहम बैठक की है। जिन्होंने उन्हें बताया की क्लाउड सिडिंग का प्रयास केवल तभी ही किया जा सकता है या वातावरण में नमी की परसेंटेज अथवा बादल ज्यादा हो। गोपाल राय का ये कहना है कि विशेषज्ञों का ये अनुमान है ऐसी स्थितियां 20- 21 नवंबर के पास विकसित हो सकती हैं।अब जानिए की क्या है क्लाउड सीडिंग
कृत्रिम वर्षा कराने के लिए क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) एक तरह से मौसम में होने वाले बदलाव का वैज्ञानिक तरीका है। इसके तहत आर्टिफिशियल तरह से बारिश करवाई जाएगी। वहीं इसके लिए विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है और सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और क्लोराइड छोड़ें जाते हैं। इससे बादल में पानी की बूंदे इकट्ठा हो जाती हैं। ये पानी की बूंदें फिर बारिश पर जमीन पर गिरती हैं।

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