उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Nodia News: दिवाली से पहले यूपी के सीएम योगी सरकार फ्लैट खरीदने वालों का खास तोहफ़ा देने जा रही है। लगातार हो रहे लिफ्ट हादसे को लेकर हाईराइज हाउसिंग सोसायटी में रहने वालों की सुरक्षा को देखते हुए योगी सरकार ने ‘लिफ्ट एक्ट’ का मसौदा तैयार कर लिया है.. काफी समय से गगनचुंबी इमारतों में रहने वाले लोग लिफ्ट एक्ट की मांग कर रहे थे। ऐसे में सरकार द्वारा उठाया गया कदम हाउसिंग सोसायटी के निवासियों के लिए इस दिवाली का सबसे बड़ा गिफ्ट साबित होगा।
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आपको बता दें कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के हाई राइज हाउसिंग सोसायटी में लगातार लिफ्ट के हादसे देखने को मिल रहे हैं। लिफ्ट गिरने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। लिफ्ट की घटनाओं को देखते हुए नोएडा से विधायक पंकज सिंह और जेवर से विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर लिफ्ट एक्ट की मांग की थी।
मानसून सत्र के दौरान उठाई गई थी लिफ्ट एक्ट की मांग
इसके बाद मानसून सत्र के दौरान भी दोनों विधायकों ने लिफ्ट एक्ट की मांग उठाई गई थी। इस एक्ट के तहत पूरे प्रदेश में बिना रजिस्ट्रेशन के कोई लिफ्ट न लगे और हादसा होने के बाद लिफ्ट मालिक पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। लिफ्ट एक्ट को लेकर जेवर विधायक ठाकुर धीरे सिंह ने कहा की अब शीघ्र ही उत्तर प्रदेश में लिफ्ट अधिनियम लागू होने जा रहा है और दिवाली से पहले मसौदा तैयार होगा।
लिफ्ट गिरने से 9 लोगों की हो गई थी मौत
आपको बता दें कि, हाल ही में थाना बिसरख क्षेत्र में आम्रपाली की निर्माणाधीन साइट पीआर सर्विस लिफ्ट गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि पारस टियेरा सोसायटी में लिफ्ट गिरने के कारण एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी। खबर के मुताबिक लिफ्ट में बुजुर्ग महिला काफी देर तक फंसी रही थी। इसमे दम घुटने के कारण महिला की मौत हो गई थी। साथ ही जिले के कई सोसायटी में लिफ्ट फंसने की घटनाएं आम हो गई है।
UP में जल्द लागू होगा लिफ्ट एक्ट
यूपी के ऊर्जा विभाग ने ‘यूपी लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट’ का मसौदा तैयार किया है जिसमे प्रावधान किया गया है कि बिना पंजीकरण के कोई भी राज्य में लिफ्ट नहीं लगा सकेगा. इतना ही नहीं, लिफ्ट या एस्केलेटर से हादसे होने पर एक लाख रुपये जुर्माना और तीन महीने की सजा या दोनों का प्रावधान किया गया है।
लिफ्ट एक्ट आने से जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी
एक समर्पित लिफ्ट अधिनियम डिवेलपर्स, ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए एक स्पष्ट ढांचा स्थापित करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी पक्ष मानकीकृत सुरक्षा, प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं का पालन करें। जब नियमों का पालन होगा और लिफ्ट की देखभाल होगी तो हादसों पर रोक लगेगा।
एक्ट आने से जोखिम होंगे कम, मानक पूरे होंगे
लिफ्ट एक्ट आने से गुणवत्ता में भी सुधार देखा सकता है। लिफ्ट अधिनियम आने से रेसिडेंशियल और कमर्शियल बिल्डिंग्स में स्थापित लिफ्ट उच्च गुणवत्ता के मानकों को पूरा करेगा और तकनीकी विफलताओं के जोखिम को कम करेगा। विधायक का दावा है कि इस एक्ट के आने के बाद बिल्डर्स और रेसिडेंस के बीच एक विवाद भी खत्म हो जाएगा। बहरहाल, देखने वाली बात होगी कि लिफ्ट एक्ट सदन में पेश किया जाता है या नहीं।
कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा
लखनऊ में मंगलवार लिफ्ट एक्ट के प्रस्तावित मसौदे का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता की उपस्थिति में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के सामने पेश किया गया। प्रस्तावित अधिनियम को जल्दी ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान इसे पेश करने की तैयारी भी है। यूपी जो काफी समय से इस लिफ्ट एक्ट की अपेक्षा कर रहा है वह कई राज्यों से इस मामले में पीछे है।
इन राज्यों में लागू है यह नियम
वर्तमान में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित 10 भारतीय राज्यों में लिफ्ट लाइसेंस की आवश्यकता है। प्रत्येक राज्य का लिफ्ट अधिनियम उस राज्य के भीतर लिफ्टों के लिए अलग-अलग प्रावधान है। लिफ्टों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित कोड ऑफ प्रेक्टिस का पालन करना आवश्यक है। नियम के मुताबिक, लिफ्ट के अंदर मिरर का उपयोग किया जा सकता है।