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CJI India: भारत के नए चीफ जस्टिस से मिलिए, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

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CJI India: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की।

CJI India: भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice Bhushan Ramakrishna Gavai) ने शपथ ग्रहण की। बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई ने जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। यह क्षण भारतीय न्यायपालिका और सामाजिक न्याय के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि जस्टिस गवई इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध और अनुसूचित जाति समुदाय से जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद दूसरे व्यक्ति हैं। पढ़िए पूरी खबर…

शपथ ग्रहण समारोह

आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई (CJI Justice Gavai) का शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया।

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जानिए कौन हैं जस्टिस बीआर गवई?

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice Bhushan Ramakrishna Gavai) का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने 1985 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया और अपने करियर की शुरुआत पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजा एस भोंसले के साथ की। 1987 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की।

1992 में उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय, नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। जनवरी 2000 में वे सरकारी वकील और लोक अभियोजक बने। नवंबर 2003 में उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। उन्होंने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में विभिन्न पीठों की अध्यक्षता की और सभी प्रकार के मामलों को संभाला।

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प्रमुख मामलों में योगदान

जस्टिस गवई अपने विवादास्पद और महत्वपूर्ण राजनीतिक मामलों में दिए गए फैसलों के लिए जाने जाते हैं। वे उस संवैधानिक पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2018 की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द किया। इसके अलावा, उन्होंने न्यूजक्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नवंबर 2024 में उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिकों की संपत्तियों को ध्वस्त करना (बुलडोजर एक्शन) कानून के शासन के खिलाफ है।