CBSE Exam: CBSE के छात्रों के लिए सामने आई बड़ी खबर
CBSE Exam: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि सीबीएसई अब नौवीं और 10वीं में हिंदी (CBSE Hindi Subject) और अंग्रेजी विषय (CBSE English Subject) के मानक स्तर शुरू करने पर भी विचार कर रहा है। सीबीएसई (CBSE) की तैयारी है कि इन कक्षाओं के प्रमुख 5 विषयों में 2 स्तरीय अध्ययन प्रणाली शुरू हो। बता दें कि गणित में पहले ही ये व्यवस्था लागू है।
ये भी पढे़ंः Lok Adalat: लगने वाली है लोक अदालत..पेंडिंग चालान निबटा लेना
विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के 2 स्तर यानी मानक (Standard) और उन्नत (Advance) शुरू करने के प्रस्ताव को बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति ने कुछ दिन पहले ही मंजूरी दी है। अब बोर्ड की गवर्निंग बॉडी (Governing Body) से मंजूरी मिलना बाकी है। बोर्ड से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी दी कि नौवीं और 10वीं में कुल पांच प्रमुख विषय हैं।
जानिए क्या है सीबीएसई का लक्ष्य
5 मुख्य विषयों में गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिंदी व अंग्रेजी शामिल हैं। एक हफ्ते के अंदर यह साफ हो जाएगा कि 2 अन्य विषय जिन पर दो स्तरीय अध्ययन प्रणाली लागू होगी वो हिंदी और अंग्रेजी होगा या कोई दूसरा विषय। सीबीएसई का लक्ष्य शैक्षणिक सत्र 2026-27 से 2 स्तरों (मानक और उन्नत) पर इन विषयों की पेशकश करना है।
बोर्ड अधिकारियों के अनुसार इस पहल का उद्देश्य छात्रों को उनकी योग्यता और सीखने की जरूरतों के मुताबिक लेवल चुनने की अनुमति देना है। फिलहाल, मानक व स्टैंडर्ड गणित (Mathematic) चुनने वाले छात्रों के लिए पाठ्यक्रम वही है, लेकिन बोर्ड परीक्षा में प्रश्नपत्र और प्रश्नों का कठिनाई स्तर अलग-अलग होता है।
ये भी पढ़ेंः Noida: नोएडा के हॉस्पिटल में बड़ी लूट..लाखों लेकर आरोपी फ़रार
गवर्निंग बॉडी (Governing Body) से मंजूरी मिलने के बाद बोर्ड दो स्तरीय अध्ययन प्रणाली के आधार पर विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार करने को लेकर भी विचार कर रहा है।
आासान नहीं होगा दो स्तरीय अध्ययन प्रणाली लागू करना
हालांकि प्राइवेट स्कूलों के प्रधानाचार्य सीबीएसई की इस योजना के खिलाफ हैं। उन्होंने हाल ही में सामाजिक विज्ञान और विज्ञान में दो स्तरीय प्रणाली को अनुमति देने की आलोचना करते हुए कहा कि स्कूलों में इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं होगा।
10वीं में मानक गणित का विकल्प चुनना है अनिवार्य
आपको बता दें जो छात्र किसी विषय में थोड़ा कमजोर है, उनके लिए यह विकल्प लाभकारी है। अभी तक यह केवल गणित (Mathematic) विषय में ही शुरु हुआ है। इसमें बेसिक और स्टैंडर्ड दोनों का पाठ्यक्रम, शिक्षक, कक्षाएं सब एक जैसे हैं। लेकिन परीक्षा में प्रश्न पत्र समान नहीं होता है, जहां बेसिक गणित की अपेक्षा स्टैंडर्ड गणित में अपेक्षाकृत कठिन प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रधानाचार्यों के मुताबिक 10वीं में ज्यादातर छात्र अच्छे प्रतिशत से पास होने के लिए मानक गणित का विकल्प चुन लेते हैं, लेकिन जब वे 11वीं में आते हैं तब उन्हें गणित समझने में दिक्कत होने लगती है। चूंकि बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिस छात्र को 11वीं व 12वीं में गणित पढ़ना है, उसे 10वीं में मानक गणित का विकल्प चुनना अनिवार्य है।
प्रधानाचार्यों ने बताया कि ये छात्रों को ऐसे समय में एक महत्वपूर्ण चयन करने के लिए मजबूर करता है जब वे इसके परिणामों के बारे में सही तरह से अवगत नहीं होते हैं या जब वे अभी भी अपने स्वयं के कौशल और रुचि के विषय की तलाश में ही होते हैं।