इंसान एक फ्लैट खरीदने में जिंदगी भर की कमाई लगा देता है। ये सोच कर की बाकी की जिंदगी सुकून से गुजारी जा सके। ऐसा ही कुछ सपना देखा था पारोमिता ने। पारोमिता ने 2017 में इकोविलेज-2 में एक फ्लैट बुक करवाया था। लेकिन उसका पजेशन आजतक नहीं मिला। सबसे दर्द भरी दास्तान ये कि कोरोना ने पारोमिता के पति को छीन लिया। ससुर जी भी बेटे का गम बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनका भी निधन हो गया। घर में पोरोमिता, उनकी सास और एक छोटी बच्ची है। पति के निधन के बाद पारोमिता की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। वो किसी तरह किराए पर फ्लैट लेकर रह रही हैं। बावजूद इसके मैनेजमेंट का दिल नहीं पसीजा। यह कहानी केवल पारोमिता की नहीं है, ऐसे ही बहुत सारे लोग बिल्डर से पीड़ित हैं जिन्होंने आशियाने की तलाश में सुपरटेक प्रोजेक्ट में पैसा लगाया था लेकिन उन्हें फ्लैट की जगह सिर्फ तनाव मिल रहा है।
8 साल की मासूम बिटिया पढ़ना चाहती है। लेकिन किताबों के लिए पैसे नहीं है। बच्ची ने कई दफा पीएम मोदी और सीएम योगी से फ्लैट दिलवाने की गुहार लगा चुकी है।
कोलकाता की रहने वाली पारोमिता के मुताबिक उनके पति ने साल 2017 में घर लिया था, 40 प्रतिशत पैसा बुकिंग के दौरान दिया था. बाकी रकम धीरे-धीरे दिया. साल 2017 से अब तक 90 प्रतिशत पैसा दे चुके थे लेकिन अबतक घर का कोई पता नहीं. बच्चे की स्कूल फीस, घर का रेंट ईएमआई में चला जाता है। ऐसे में वो समझ नहीं पा रही हैं कि सुपरटेक में फ्लैट लेकर उन्होंने क्या गुनाह कर दिया
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