ज़रा सोचिए..थोड़े से जाम में हम कितना परेशान हो जाते हैं। वहीं अगर 40 गांव के किसान चक्का जाम कर दें तो नोएडा-ग्रेटर नोएडा की क्या हालत होगी ये सोच से भी परे है। लेकिन ये बात सौ फीसदी सच है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में किसानों का हल्लाबोल जारी है। किसानों ने तेवर तल्ख करते हुए साफ कह दिया है कि अगर 15 दिनों में मांगें नहीं मानी गई तो नोएडा-ग्रेटर नोएडा का चक्का जाम कर देंगे।
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ये उन आंदोलनकारी किसानों की भड़ास है जो पिछले 24 दिनों से इस चिलचिलाती गर्मी में भी उचित मुआवज़े और रोज़गार के सवाल को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
किसानों के इस धरने को बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है। 15 मई को अखिल भारतीय किसान सभा की अगुवाई में 40 गांव के लोगों ने भारी संख्या में भाग लिया। इस किसान महापंचायत के लिए किसानों का जुलूस जैतपुर गोल चक्कर से इकट्ठा होकर विप्रो गोल चक्कर होते हुए धरना स्थल प्राधिकरण पर पहुंचा।
महापंचायत में पीड़ित किसान और उनके परिवार लोग शामिल थे। नोएडा के इन किसानों के आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा ने भी अपना समर्थन दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हन्नान मौल्ला ने किसानों के बीच पहुंच उन्हें अपना समर्थन देते हुए सरकार को चेतावनी दी की, “किसानों की मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज़ होगा।”
किसान क्यों कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन?
अखिल भारतीय किसान सभा के मुताबिक “हम 4 गुना सर्किल रेट मुआवज़ा, 10 फीसदी आबादी प्लॉट और बच्चों के लिए रोज़गार संबंधित पांच सूत्री मांगों को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।” किसानों ने साफ कह दिया है कि अगर 15 दिनों के अंदर मांगें नहीं मानी गई तो आर-पार की लड़ाई होगी।
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आर पार की होगी लड़ाई
संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश जफरगढ़ ने बताया कि पिछले कई वर्षों से क्षेत्रीय किसान मुआवजे की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करते आ रहे हैं। लेकिन प्राधिकरण में शासन स्तर से कोई भी उनकी मदद नहीं की जा रही है। साथ ही उनके समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है। जिसकी वजह से क्षेत्रीय किसानों में रोष है। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाएंगी। तब तक वह धरने से नहीं उठेंगे। जिसके चलते अन्य गांवों से भी सैकड़ों किसान धरने पर पहुंचेंगे।
किसानों की मांगे इस प्रकार हैं:
* वंचित किसानों को तुरंत 10 प्रतिशत आबादी प्लॉट दिया जाए
* सर्किल रेट का 4 गुना मुआवज़ा, 24000 रुपये प्रति वर्ग मीटर, घोषित किया जाए
* आबादी के मामलों का निस्तारण करते हुए बैकलीज़ कराई जाए
* आवासीय योजनाओं में किसानों का दोनों तरह का कोटा बहाल किया जाए, रोज़गार नीति लागू कर स्थानीय युवाओं को कंपनियों में रोज़गार तय किए जाएं
* किसानों और उनके परिवार के लिए निःशुल्क शिक्षा व चिकित्सा की सुविधा नीति लागू की जाए
* भूमिहीन परिवारों को 40 वर्ग मीटर आबादी के प्लॉट दिए जाएं।