Toll Tax: टोल प्लाजा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि एक बार फिर से वीआपी कल्चर (VIP Culture) पर सरकार कड़ाई करने की तैयारी कर रही है। आपको बता दें कि सरकार अब राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) पर लगे उन होर्डिंग को निकालने की हटाने की योजना है, जिसमें टोल टैक्स से छूट हासिल करने वाले लोगों के नाम लिखे होते हैं। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर अभी कुछ जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन संभावनाएं जताई जा रही हैं कि नई सरकार इस पर प्राथमिकता से फैसला ले सकती है।
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एक खबर के मुताबिक बीते सप्ताह हुई सचिव स्तर की बैठक में यह सुझाव पेश हुआ है। ऐसा करने के लिए सरकार के सिर्फ एनएच फी रूल्स में ही संशोधन करना पड़ेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे होर्डिंग्स का बहुत ज्यादा मतलब नहीं है और जनता के रुपयों का दुरुपयोग है। इसकी वजह से टोल प्लाजा पर जिन लोगों को छूट मिलने का अधिकार है, उनके वाहनों को सरकार पहले ही ‘एग्जेम्प्टेड’ FASTags उपलब्ध कराए हैं। इसके साथ ही ऐसी सूची देखने में भी कुछ ही लोगों को कोई रुचि नहीं होती है कि किसे टोल टैक्स से छूट मिलने का अधिकार है। खास बात है कि NHAI छूट हासिल वाहनों के लिए एक लेन तैयार करने पर भी विचार कर रहा है।
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जानिए मौजूदा नियम
आपको बता दें कि मौजूदा नियमों के अनुसार हाईवे अथॉरिटी को हिंदी और अंग्रेजी में 22 गणमान्यों के नाम टोल प्लाजा के 1 किमी पहले प्रदर्शित करने होते हैं, जिनके वाहनों को छूट दी जा रही है। इसके साथ ही अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में टोल प्लाजा से 500 मीटर की दूरी पर भी नाम प्रदर्शित करने होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्र बताते हैं कि की बार जब अधिकारी और वीआपी के प्राइवेट वाहनों में सफर करते हुए छूट की मांग करते हैं, तो टोल संचालकों के साथ उनकी कहासुनी के भी मामले देखे गए हैं।
जानिए कौन उठाया मुद्दा
जयपुर के रहने वाले पृथ्वी सिंह कंधल ने इस मुद्दे को पहली बार NHAI के सामने जनता के रुपयों के गलत इस्तेमाल करने को लेकर उठाया था। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि ये साइन सिर्फ हमारा VIP कल्चर ही नहीं दिखाते, बल्कि सरकार की तरफ से जनता के रुपयों की बर्बादी भी दिखाते हैं…।
पत्र में उन्होंने आगे लिखा कि जिन लोगों को टोल देने से छूट मिली है, वे इसे जानते हैं क्योंकि सरकार ने उनके दफ्तरों को जानकारी दी है। जो VIPs नहीं हैं या गणमान्य नहीं हैं, वे जानते हैं कि उनका नाम वहां नहीं लिखा है।
मैंने उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की भी यात्रा की है। मैंने कभी ऐसे बड़े-बड़े साइन नहीं देखे। आमतौर पर सभी VIPs टोल देते हैं, रसीद हासिल करते हैं और फिर यात्रा का खर्च दिखाकर उस राशि को हासिल करते हैं। वहां VIP कल्चर नहीं है।