Bhajanlal Sharma: राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव (By-election) होना है। इसी बीच खबर आ रही है कि उपचुनाव के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Chief Minister Bhajanlal Sharma) राज्य में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रहे है। खबर है कि कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाली गहलोत सरकार (Gahlot Government) के दौरान बनाए गए कुछ नए जिलों पर को खत्म किया जा सकता है। इस पर मुख्यमंत्री भजनलाल (CM Bhajanlal) चुनाव के बाद एक महत्वपूर्ण फैसला ले सकते है। भजनलाल के इस फैसले से राज्य के 5-6 छोटे जिलों अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
दरअसल, राजस्थान सरकार (Rajastha Government) ने इस पर निर्णय लेने के लिए एक रिव्यू कमेटी का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद यह फैसला लिया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ जिले बिना मानक प्रक्रियाओं का पालन किए बनाए गए हैं, जिससे इन जिलों के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं। पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के. पंवार (IAS Lalit K. Panwar) की अगुवाई में गठित इस रिव्यू कमेटी ने सभी नए जिलों का दौरा कर एक रिपोर्ट तैयार की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, छोटे जिलों जैसे कि दूदू (Dudu), सांचौर (Sanchore), गंगापुर सिटी (Gangapur City), शाहपुरा (Shahpura) और केकड़ी (Kekri) पर सबसे अधिक सवाल उठे हैं। यह जिले आकार और संसाधनों के मामले में छोटे हैं, जिससे इनका प्रशासनिक प्रबंधन कठिन माना जा रहा है। वहीं, यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा (Jhabar Singh Kharra) ने भी संकेत दिए हैं कि कोटपूतली-बहरोड़ (Kotputli-Behror), खैरथल (Khairthal), तिजारा (Tijara), सलूंबर (Salumber), अनूपगढ़ (, Anupgarh) और नीम (Neem) का थाना जैसे जिलों पर भी पुनर्विचार हो सकता है।
ललित पंवार कमेटी (Lalit Panwar Committee) की रिपोर्ट के अनुसार, उन जिलों को बरकरार रखा जा सकता है जो मापदंडों को पूरा करते हैं। बड़े और जनसंख्या व क्षेत्रफल में उचित संतुलन रखने वाले जिलों को इस संकट से बाहर रखा जा सकता है।
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राजस्थान में नए जिलों की मांग कई दशकों से होती रही है, खासकर बड़े रेगिस्तानी क्षेत्रों में जैसे कि बाड़मेर (Barmer), जैसलमेर (Jaisalmer) और जोधपुर (Jodhpur), जहां दूरी और आबादी के असंतुलन के कारण प्रशासनिक सेवाओं की पहुंच मुश्किल होती है। हालांकि, पिछले साल मार्च में कई जिलों की घोषणा तेजी में की गई थी, जो अब चर्चा का कारण बन रही है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि गहलोत सरकार (Gahlot Government) इन जिलों को समाप्त करने का फैसला उपचुनाव के बाद करती है या नहीं। ऐसे में राजस्थान के प्रशासनिक नक्शे में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।