सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Delhi Air Train: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Airport) में अब हवा में उड़ने वाली ट्रेन देखने को मिलेगी। यह ट्रेन टर्मिनल 1 से टर्मिनल 3 के बीच चलाई जाएगी जिससे यात्रियों (Passengers) को काफी फायदा हो सकता है।
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राजधानी दिल्ली में अब हवा में चलने वाली ट्रेन देखने को मिल सकती है। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Indira Gandhi International Airport) के टर्मिनल 1 से टर्मिनल 3 के बीच इस ट्रेन को चलाया जाएगा जिसमें 4 स्टॉप हो सकते हैं। इस ट्रेन से यात्रियों को फायदा होगा। उन्हें एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल तक जाने के लिए शटल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
एयर ट्रेन के चालू होने के बाद कम समय में टर्मिनल्स के बीच की दूरी तय हो जाएगी। इसके लिए 3400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह योजना लंबे समय से विचार में थी लेकिन लगातार विलंब होने के चलते इसे शुरू नहीं किया जा सका। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड की ओर से पहले 6 स्टॉप करने का विचार था लेकिन आठ किलोमीटर लंबे ट्रैक पर यह ज्यादा है। अब केंद्र सरकार जल्द ही इसके रूट और स्टॉप पर अंतिम फैसला लेगी।
जानिए 6 स्टॉप नहीं हो सकते हैं 4 स्टॉप, क्यों है जरूरी?
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने के 6 स्टॉप को 8 किलोमीटर ट्रैक पर ज्यादा माना गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एयरोसिटी में 2 स्टॉप सहित इतने सारे स्टॉप होने के लिए डायल का मॉडल न केवल टी1 और टी2/3 के बीच यात्रा के समय को बढ़ा देगा, क्योकि गैर-टर्मिनल स्टॉप पर फुलप्रूफ सुरक्षा की भी जरूरत होगी।
सरकार के मुताबिक दिल्ली हवाई अड्डा (Delhi Airport) भारत का सबसे व्यस्त केंद्र है। इस वित्तीय वर्ष में 7 करोड़ से अधिक यात्रियों की क्षमता वाला यह एयरपोर्ट अगले 6 से 8 सालों में अपनी क्षमता को दो गुना कर 13 करोड़ से अधिक कर लेगा। इसलिए एक हवाई ट्रेन की जरूरत है। अधिकारी ने कहा कि यह अनुमान है कि आईजीआईए पर 25 प्रतिशत यात्री तब तक ट्रांजिट यात्री होंगे। टी1 और टी3/2 के बीच बिना रुकावट स्थानांतरण सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है।
राजधानी को क्यों पड़ी एयर ट्रेन की जरूरत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1986 से निर्मित टी2 में सालाना 1.5 करोड़ यात्रियों (Passengers) को संभालने की क्षमता है। 2030 या 2032 तक टी4 टर्मिनल भी बनकर तैयार होने की खबर है। टी4 में प्रति वर्ष 4 करोड़ यात्रियों की क्षमता होगी। आईजीआईए (IGIA) की क्षमता अब से 7.4 सीपीए से बढ़कर अगले फरवरी में 10.9 सीपीए हो जाएगी और फिर 2030 या 2032 तक 13.4 सीपीए तक हो जाएगी। इन वॉल्यूम को टर्मिनलों के बीच एयर ट्रेन के बिना संभालना संभव नहीं है।
2028 तक आ सकती है एयर ट्रेन
डायल के सीईओ वीदेश कुमार जयपुरियार (Videsh Kumar Jaipuriar) ने बताया कि अगर काम अब शुरू होता है। तो एयर ट्रेन काम शुरू होने के लगभग 4 साल में तैयार हो जाएगी। इसका मतलब है कि एयर ट्रेन 2028 तक ही आ सकती है। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक यात्री डीटीसी बसों से सड़क मार्ग से टी1 और टी2/3 के बीच आवागमन करते रहेंगे। डायल ने एयर ट्रेन के लिए अपना प्रस्ताव विमानन मंत्रालय को भेजा था। वहीं एएआई-अनुमोदित 6 किलोमीटर लंबी लाइन 4 स्टेशनों-टी1, एयरोसिटी, कार्गो टर्मिनल और टी3 के साथ, जिसकी लागत लगभग 3,400 करोड़ रुपये होगी।
बता दें कि ये दो अतिरिक्त स्टॉप कुछ फंडिंग विकल्प (Funding Options) देते हैं क्योंकि फुटफॉल बढ़ जाएगा और डायल को परियोजना लागत का 2,500 करोड़ रुपये कवर करने में सक्षम होना चाहिए। जिससे यूडीएफ के माध्यम से लगभग 1,000 करोड़ रुपये की वसूली होनी बाकी है। लागत के मामले में, यह उड़ान भरने वालों के लिए बेहतर होगा। वैश्विक स्तर पर एयर ट्रेन आमतौर पर टर्मिनलों के बीच निर्बाध पारगमन सुनिश्चित करने के लिए यात्रियों के लिए निःशुल्क उपयोग की जाती हैं।