बच्चों की आखों का रखें ख्याल..नहीं जा सकती है रोशनी, पढ़िए Aiims के डॉक्टर की चेतावनी
Kids Eyes Safety Tips: त्यौहारों का सीजन चल रहा है। दीपावी का पर्व आने वाला है। त्यौहारों के दौरान जो सबसे ज्यादा मस्ती करते हैं वो हैं बच्चे। बच्चे मस्ती के मूड में हमेशा रहते हैं। दीपाली पर होने वाली स्कूलों में छुट्टियों से ही पटाखे, फुलझड़ी चलाने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। त्योहारी सीजन (Festive Season) जितना मजेदार होता है, बच्चों की सेहत और खासतौर पर आंखों के लिए उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। बच्चों की आंखों में चोट लगने के सबसे ज्यादा मामले इन्हीं दिनों अस्पतालों में आते हैं। वहीं कभी कभी इतनी गंभीर चोट लग जाती है कि बच्चे की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है और उस अंधेपन को ठीक भी नहीं किया जा सकता।
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आरपी सेंटर, एम्स नई दिल्ली (AIIMS New Delhi) की प्रोफेसर नम्रता शर्मा के मुताबिक आने वाले 20 दिन फेस्टिव सीजन का है। हर साल ही दशहरा से लेकर दिवाली तक अस्पतालों में बहुत सारे बच्चे आंखों की बीमारी लेकर आते हैं। आंखों की ये चोट अक्सर कैमिकल या मैकेनिकल होती हैं। वहीं दशहरा और दिवाली पर कैमिकल इंजरीज का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है।
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डॉ. नम्रता बताती हैं कि आंख में अगर एक बार कैमिकल इंजरी हो जाती है तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल होता है। वह कई बार कभी न ठीक होने वाले अंधेपन का भी कारण बनती है। ऐसे मरीजों में ट्रांसप्लांटेशन तक करना पड़ जाता है। हालांकि उसका रिजल्ट भी बहुत ठीक नहीं होता है। लिहाजा इस तरह की ब्लाइंडनेस न हो, इसके लिए जरूरी है कि इसे रोकने के लिए बचाव के तरीकों को अपनाएं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेश ने भी बताया गया है कि इस बार सभी पीडियाट्रिक आई केयर पर फोकस करेंगे।
डॉ. के अनुसार जब भी फायर क्रैकर्स इंजरीज होती हैं तो वे मैकेनिकल डैमेज भी करती हैं और कैमिकल डैमेज भी। लेकिन राहत की बात यह है कि आंखों में कैमिकल इंजरीज को होने से रोका जा सकता है, जब भी आप पटाखे चलाएं तो बचाव के कुछ तरीकों को अपनाएं।
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दशहरा और दिवाली (Diwali) पर फायर पटाखे, फुलझड़ी आदि जलाई जाती हैं, इस दौरान पेरेंट्स को बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है। वे बच्चों को अपनी निगरानी में रखकर ही फायर क्रैकर्स या पटाखे जलवाएं।
त्यौहारी सीजन में देखा जाता है कि बच्चों की आंखों में सबसे ज्यादा बीमारी होती है। जैसे दशहरा पर लोग तीर-कमान चलाते हैं उससे भी आंखों में चोट लगती है। इसलिए इन चीजों का भी ध्यान रखें।
एक बार आंख में अगर कैमिकल इंजरी हो जाती है तो उसका सही होना काफी मुश्किल होता है। ये कैमिकल्स आंखों में हाथों से भी लग सकते हैं। फायर क्रैकर्स जलाने के बाद बच्चों के हाथ साबुन से जरूर धुलवाना चाहिए।
. पटाखों से निकलने वाला धुआं और कैमिकल्स आंखों की सेंसिटिव लेयर्स के लिए खतरनाक होता है। कई बार पटाखों से निकलने वाली चिंगारी आंखों में लग जाती है और आंख घायल हो जाती है, ऐसे में बच्चे अगर पटाखों को जलते हुए भी देख रहे हैं तो पर्याप्त दूरी बनाकर रखें। छोटे बच्चों के हाथों में पटाखे बिल्कुल भी न दें।