कुमार जलज की कलम से
लगता है कि संत प्रसाद राय के जाने के बाद टीवी9 भारतवर्ष के दिन लदने वाले हैं। वजह साफ है। इस चैनल को फर्श से अर्श पर ले जाने वाले लोगों का एक एक करके जाना। जिस चैनल को लॉन्चिंग के तीन साल से भी कम वक्त में टीआरपी की बुलंदियों पर लंबे वक्त तक स्थापित करके रखा, उसका एक और सितारा टूट गया। ‘भारतवर्ष’ में स्क्रिप्ट और स्क्रीन के माहिर प्रोड्यूसर अभिषेक नीलमणि ने इस्तीफा दे दिया है, जो की Tv9 मैनेजमेंट के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
अभिषेक नीलमणि इस चैनल में संत प्रसाद राय के सैनिकों में अग्रणी भूमिका में थे। ऐसा माना जाता है कि बेहद शांत रहने वाले नीलमणि सिर्फ अपने काम से बोलना जानते हैं। TV9 भारतवर्ष में असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के पद पर रहते हुए उन्होंने शाम 6 बजे के डिबेट शो ‘अड़ी क्योंकि हमें है देश की पड़ी‘ कई नए प्रयोग किए। इस शो को लगातार नंबर वन रखा और दर्शकों ने डिबेट की नई विधा को दिल खोलकर पसंद किया।
कहा ये भी जाता है कि टीवी स्क्रीन पर पूरे स्टूडियो का इस्तेमाल करके शानदार ग्राफिक्स के प्रयोग की शुरुआत इन्होंने संत प्रसाद के ही दिशा निर्देश से की थी। भारत चीन विवाद के दौरान पैंगोंग लेक को स्टूडियो में उतारने का पहला श्रेय संत प्रसाद के मार्गदर्शन में इन्हें ही जाता है। अभिषेक नीलमणि का जाना ‘भारतवर्ष’ के लिए एक बड़ी क्षति इसलिए भी हो सकती है क्योंकि ऐसे प्रोड्यूसर्स घंटों में बंधकर कभी काम नहीं किए।
यूक्रेन रूस वार के दौरान सुबह से लेकर देर रात तक TV9 भारतवर्ष पर जो ताबड़ तोड़ खबरें सबसे पहले चलती थी, उनमें संत प्रसाद की अगुवाई में अभिषेक नीलमणि, धर्मेंद्र द्विवेदी और विवेक वाजपाई का बहुत बड़ा योगदान रहा था। ऐसा कहा जा रहा है कि उस दौरान संत प्रसाद राय खुद और उनकी पूरी टीम लगातार 18 घंटे ऑन रिकॉर्ड काम करती थी।
एक वक्त चैनल में खाने और सोने तक की व्यवस्था दफ्तर में ही कर दी थी। मगर ऐसी टीम का एक एक करके जाना चैनल के लिए एक बहुत बड़ा धक्का साबित हो सकता है।
सवाल ये भी है कि अचानक ऐसा क्या हुआ है कि पहले संत प्रसाद और उसके बाद एक एक करके भारतवर्ष को बुलंदियों पर ले जाने वाली टीम जा रही है और मैनेजमेंट किसी को भी रोक पाने में असमर्थ है? बीते एक महीने में चैनल को कई लोगों ने अलविदा कह दिया है (अभिषेक उपाध्याय, धर्मेंद्र द्विवेदी, विवेक वाजपाई, अभिषेक नीलमणि, मधुर राय, बिपुल पांडेय)। कयास ये भी है कि आने वाले वक्त में और भी इस्तीफे होंगे। कहीं जानबूझकर टारगेट होने से खफा तो नहीं हैं लोग?
क्योंकि अंदरखाने से ये भी खबर है कि बेवजह ही संत की टीम को टारगेट किया जा रहा है और उनसे सवाल जवाब भी किए जा रहे हैं। पर यही सवाल तब क्यों नहीं, जब चैनल नंबर वन था और लोग दिन रात एक करके काम कर रहे थे? खबर तो ये भी है की जिस जिस को दो महीने पहले तमाम तरह की उपलब्धियों के लिए नवाजा गया है उन्हें ही इस्तीफे के लिए मजबूर करके कंपनी तीन महीने और दो महीने के नोटिस के नाम पर पैसे ले रही है।
किसी से 25 लाख, किसी से 5 लाख, किसी से 3 लाख। खैर ये जान लीजिए, अभिषेक नीलमणि ने मीडिया इंडस्ट्री में 2005 में कदम रखा था। इंडिया टीवी में 14 साल की लंबी पारी खेलने के बाद टीवी9 भारतवर्ष से फरवरी 2020 में जुड़े। इंडिया टीवी में कई संपादकों के साथ अच्छी पारी खेलने के बाद टीवी9 में आए। दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामचीन हंसराज कॉलेज से पासआउट और ठेठ बनारसी अभिषेक नीलमणि की राजनीति में दिलचस्पी ही उन्हें मीडिया में खींचकर लाई।
अभिषेक से बातचीत में उन्होंने अपनी नई पारी के आगाज का खुलासा नहीं किया। पर हां इतना जरूर कहा कि एक नई शुरुआत एक नए मिशन के साथ होगी और ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं’।
(Disclaimer- ये लेखक के अपने विचार हैं। खबरीमीडिया इस खबर की सामग्री से कोई सरोकार नहीं रखता है।)