Haryana News: हरियाणा की सियासत से बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार पर विरोधी पार्टी अल्पमत में होने का आरोप लगा रहे हैं। हरियाणा सरकार (Haryana Government) से जेजेपी ने पहले ही समर्थन वापस ले लिया था। सैनी सरकार की प्लोर टेस्ट (Floor Test) कराने की मांग कांग्रेस पहले कर रही थी लेकिन अब इससे पीछे हटती दिखाई दे रही है। हालांकि हरियाणा के सीएम नायब सिंह (CM Nayab Singh Saini) कहते हैं कि उनके पास विधायकों का समर्थन है, फ्लोर टेस्ट में सरकार पास हो चुकी है। पिछले दिनों तब राज्यपाल के साथ कांग्रेस (Congress) के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की तो माना जा रहा था कि वह फ्लोर टेस्ट की मांग राज्यापाल से कर सकती है। लेकिन बात सिर्फ ज्ञापन देने के साथ ही समाप्त हो गई। अब सवाल उठ रहा है कि अगर नायब सिंह सैनी (CM Nayab Singh Saini) की सरकार अल्पमत में है तो कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की मांग क्यों नहीं कर रही है? आइये विस्तार से जानते हैं….
ये भी पढ़ेंः Haryana वालों के लिए अच्छी ख़बर..2 महीने में 50 हजार नौकरी देंगे CM नायब सैनी
क्यों अल्पमत में आई सरकार
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से दे दिया, जिसके बाद नायब सिंह सैनी को राज्य का नया सीएम बनाया गया। इसके बाद जेजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। बीजेपी को चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। उसके पास कुल 90 में से 41 विधायक थे। ऐसे में सरकार अल्पमत में आ गई।
कांग्रेस क्यों नहीं कराना चाहती फ्लोर टेस्ट
कांग्रेस के फ्लोर टेस्ट की मांग ना करने के पीछे वजहें हैं। पहला यह है कि नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद फ्लोर टेस्ट हो चुका है। उस दौरान सरकार ने आसानी से फ्लोर टेस्ट पास किया था। फ्लोर टेस्ट को लेकर नियम है कि 6 महीने से पहले सदन में दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता है। वहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा समय शेष नहीं है। दूसरा जेजेपी समेत कुछ निर्दलीय विधायक बीजेपी से संपर्क में होने की खबरें हैं। ऐसे में अगर इनमें फूट पड़ती है तो यह विपक्ष के लिए भी अच्छी स्थिति नहीं होगी।
जानिए क्या होता है फ्लोर टेस्ट?
संसद और विधान सभाओं में फ्लोर टेस्ट यह जानने का तरीका होता है कि क्या सरकार को अभी भी विधायिका का विश्वास प्राप्त है। सरल भाषा में कहें तो फ्लोर टेस्ट एक संवैधानिक प्रणाली है। विधानसभा के मामले में फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के द्वारा होता है। राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। यह काम पूरी तरह से स्पीकर की जिम्मेदारी होती है।
ये भी पढ़ेंः दिल्ली को भरपूर पानी दे रहा है हरियाणा – डॉ अभय सिंह यादव
किस पार्टी के पास कितना संख्याबल?
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इनमें से 41 बीजेपी के पास हैं। बात करें कांग्रेस की तो कांग्रेस के पास अभी 29 सीटें हैं। तीसरी बड़ी पार्टी जेजेपी है जिसके पास 10 विधायक हैं। इनके साथ ही 6 निर्दलीय और एक गोपाल कांडा की पार्टी के पास है। फिलहाल 3 सीटें खाली हैं। सरकार को बहुमत के लिए 44 विधायक चाहिए। फिलहाल पार्टी को 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।