Ashwini Vaishnaw Biography: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) के नेतृत्व में NDA ने लगातार तीसरी बार में केन्द्र में सरकार बना ली है। भले ही लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिला हो लेकिन इस बार भी मोदी कैबिनेट में कई पूर्व मंत्रियों को शामिल किया गया है तो वहीं कई पूर्व मंत्रियों को तगड़ा प्रमोशन मिला है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम भी इसी लिस्ट में शामिल है, वह लगातार दूसरी बार रेल मंत्री (Railway Minister) बने। इसके साथ ही आईटी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे दो और भारी-भरकम विभाग भी मिले। आपको बता दें कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने IAS की नौकरी छोड़ी, फिर कॉरपोरेट की दुनिया में आए और यहीं से पीएम नरेंद्र मोदी के करीब आए और राजनीति में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।
ये भी पढ़ेंः चुनाव के बाद एक्शन में CM योगी.. कैबिनेट बैठक में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर फैसला मुमकिन
जानिए कौन हैं अश्विनी वैष्णव
आपको बता दें कि अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) का जन्म 18 जुलाई 1970 को राजस्थान के पाली जिले में हुआ। कुछ ही समय के बाद उनका पूरा परिवार जोधपुर शिफ्ट हो गया। वैष्णव की शुरुआती पढ़ाई सेंट एंथोनी कान्वेंट स्कूल जोधपुर से हुई। इसके बाद एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किए। यहां गोल्ड मेडल भी मिला। इसके बाद आईआईटी कानपुर चले आए। यहां उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री प्राप्त की।
27वीं रैंक के साथ बन गए IAS
अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) का 1994 में सिविल सर्विस परीक्षा में भाग लिए और ऑल इंडिया 27वीं रैंक ले आए। और फिर बनगए IAS अफसर। अश्विनी वैष्णव को सबसे पहले ओडिशा कैडर मिला। वैष्णव की शुरुआती पोस्टिंग बालासोर और कटक जिले में डीएम के तौर पर हुई। जब ओडिशा में साल 1999 में भीषण चक्रवर्ती तूफान आया, तब वैष्णव पहली बार चर्चा में आए थे। उन्होंने राहत और बचाव के लिए फौरन कदम तो उठाया ही, साथ की निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को इसकी सूचना फौरन भिजवाई। इससे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी।
ऐसे हुई PMO में एंट्री
साल 2003 में अश्विनी वैष्णव पहली बार दिल्ली आए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पीएमओ में बतौर डिप्टी सेक्रेटरी नियुक्ति हुई। यहां उन्होंने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP Model) को लेकर जो पॉलिसी बनाई, उसकी पूरे देशभर में खूब चर्चा हुई। 2004 में जब वाजपेयी की सरकार हट गई तो, वैष्णव तब भी उनके साथ रहे और बतौर प्राइवेट सेक्रेटरी काम करते रहे। वैष्णव को जानने वाले तमाम लोग कहते हैं कि एक तरीके से यहीं से उनकी बीजेपी से नजदीकी बढ़ी।
ये भी पढ़ेंः श्रमिकों के लिए हरियाणा के CM नायब सिंह का बड़ा ऐलान
क्यों दिया IAS से इस्तीफा
अश्विनी वैष्णव ने साल 2008 IAS की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अमेरिका चले गए। वहां यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया की वॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली। फिर वापस लौटे तो उनकी दूसरी पारी शुरू हुई। ब्यूरोक्रेसी के बाद कॉरपोरेट जगत में कदम रखा और कम से कम एक दर्जन नामी कंपनियों के साथ काम किया। ज्यादातर में सीनियर मैनेजमेंट में थे और डायरेक्टर का पद संभाला।
वैष्णव ने साल 2012 में मारुति और उसके बाद होंडा जैसी कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने में मदद की। इसी साल उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनकी पहली कंपनी का नाम थ्री टी ऑटो लॉजिस्टिक्स (Three Tee Auto Logistics) था, जो देश भर में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सर्विस उपलब्ध कराती थी। इस कंपनी में दिनेश कुमार मित्तल उनके पार्टनर थे। अश्विनी वैष्णव साल 2017 तक इस कंपनी के डायरेक्टर रहे।
कैसे आए नरेंद्र मोदी के करीब?
गुजरात में कामकाज के दौरान ही अश्विनी वैष्णव की नरेंद्र मोदी से नजदीकी बढ़ी। मोदी उनसे काफी प्रभावित हुए और टेक्नोलॉजी से जुड़े तमाम मसलों पर उनसे सलाह लिया करते थे। जानकार बताते हैं कि नरेंद्र मोदी की वैष्णव को पसंद करने की एक वजह यह भी है कि वह धड़ल्ले से गुजराती लिख, पढ़ और बोल लेते हैं। वैष्णव के वंशज गुजरात के भावनगर से ही राजस्थान गए थे।
वाइब्रेंट गुजरात समिट में हिस्सा
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक Three Tee Auto Logistics, नरेंद्र मोदी के गुजरात का सीएम रहते हुए लगातार वाइब्रेंट गुजरात समिट में हिस्सा लेते रहे। साल 2017 में उनकी कंपनी ने गुजरात के हालोल और पंचमहल में भारी भरकम इन्वेस्टमेंट का ऐलान किया। वैष्णव की एक और कंपनी वी जी ऑटो कॉम्पोनेंट्स, सुजुकी मोटर्स की अहम पार्टनर थी और कॉम्पोनेंट्स वगैरह सप्लाई करती थी। वैष्णव इस कंपनी के भी साल 2017 तक डायरेक्टर थे।
मंत्री बने तो बदलवा दी ऑफिस टाइमिंग
अश्विनी वैष्णव के साथ काम कर चुके ओडिशा के पूर्व चीफ सेक्रेटरी सहदेव साहू कहते हैं कि वैष्णव जब एक बार कोई चीज ठान लेते हैं तो पूरा किए बगैर पीछे नहीं हटते। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, वैष्णव तब भी उनके संपर्क में रहे। मोदी के चलते ही वह नेशनल पॉलिटिक्स में सक्रिय हुए। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में दूसरी बार रेल मंत्री बनने के बाद वैष्णव 11 जून को सुबह 8:00 बजे ही कार्यभार ग्रहण करने पहुंच गए।
वैष्णव टाइम के काफी पाबंद माने जाते हैं। जब पहली बार रेल मंत्री बने तो अपने ऑफिस की टाइमिंग बदलवा दी। ऑफिस स्टाफ को दो शिफ्ट में काम करने को कहा। पहली शिफ्ट सुबह 7:00 बजे शुरू होती थी और दूसरी शाम को 4:00 बजे से आधी रात तक। ताकि हर वक्त कोई न कोई ऑफिस में उपलब्ध रहे।