Noida News: नोएडा में यूनिटेक बिल्डर के फ्लैट खरीदारों के लिए गुड न्यूज है। आपको बता दें कि यूनिटेक बिल्डर (Unitech Builder) की आधा दर्जन सेक्टरों में स्थित लगभग 10 परियोजनाओं में 6 हजार फ्लैट और प्लॉट बनने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने बिल्डर से बिना बकाया लिए परियोजनाओं के संशोधित नक्शे पास किए हैं। अब इन परियोजनाओं में काम शुरू हो सकेगा, जिससे जल्द ही लोगों को अपने फ्लैट मिल सकेंगे।
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परियोजनाओं में लगभग 8-9 साल से काम बंद पड़ा था। लगभग 16 साल से लोग फ्लैट पाने की इंतजार में हैं। साल 2006-07 में नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने यूनिटेक को जमीन आवंटित करनी शुरू की थी। प्राधिकरण ने सेक्टर-96, 97, 98, 113 और 117 में अलग-अलग परियोजनाओं के लिए जमीन आवंटित की थी। जमीन आवंटन के बाद से ही कुछ साल बाद बिल्डर ने प्राधिकरण को जमीन की कीमत देनी बंद कर दी। इससे बिल्डर पर बकाया खूब बढ़ गया। इस बीच कुछ साल किसी मामले में यूनिटेक के चेयरमैन सहित दूसरे लोग जेल चले गए।
कुछ सालों से यह मामला बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर बिल्डर के पक्ष में फैसला दे दिया है। इसके बाद प्राधिकरण ने पुनर्विचार याचिका दायर की, उसमें भी प्राधिकरण के ही पक्ष में निर्णय आया है। ऐसे में अब नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बिल्डर की परियोजनाओं के नक्शे पास करने शुरू कर दिए हैं। अधिकारियों ने कहा कि बिल्डर ने परियोजना लॉन्च करते समय पहले नक्शे पास करा लिए थे, लेकिन इनकी समय सीमा मात्र 5 ही साल होती है। जो बीत चुका है। ऐसे में बिल्डर से नए तरीके से नक्शे के लिए आवेदन लेकर मंजूरी दी गई है।
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प्राधिकरण अधिकारियों ने कहा कि सेक्टर-96, 97, 98 में ग्रुप हाउसिंग के साथ ही विलोज 1 और 2 के नाम से प्लॉट की स्कीम भी है। इन सेक्टर में मुख्य रूप से यूनिटेक गोल्फ एंड कंट्री क्लब, अंबर, बरगंडी आदि परियोजना में 897 फ्लैट और प्लॉट शामिल हैं। सेक्टर-113 में 6 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं हैं जिनमें 1621 फ्लैट हैं। सेक्टर-117 में अलग-अलग परियोजना में 3327 फ्लैट बनने हैं।
179 में से 90 हेक्टेयर जमीन खाली
प्राधिकरण ने बिल्डर को बीते सालों में अलग-अलग जगह पर लगभग 179 हेक्टेयर जमीन आवंटित की थी। बड़ी बात यह है कि इसमें से लगभग 90 हेक्टेयर जमीन अभी खाली पड़ी हुई है। महत्वपूर्ण यह है कि प्राधिकरण ने अपना बकाया लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़ी जमीन का आवंटन कैंसिल कर अपने कब्जे में लेने की भी तर्क दिया था, लेकिन यह भी बात नहीं बन पाई।