Health Tips: आजकल लोगों को माइग्रेन (Migraine) की समस्या जा हो रही है। माइग्रेन (Migraine) मतलब सिरदर्द, जबकि ये सिरदर्द से भी तेज होता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन (Neurological conditions) है। पेनफुल हेडेक इसका एक लक्षण मात्र है। इससे पीड़ित लोग रोशनी, शोर, स्मेल और टच के प्रति भी सेंसिटिव हो जाते हैं। हेल्थ जर्नल JAMA में पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में लगभग 10% लोग माइग्रेन से पीड़ित हैं। 10% यानी लगभग 100 करोड़ लोग इससे परेशान हैं।
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पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में माइग्रेन होने का खतरा 3 गुना ज्यादा होता है। JAMA की इस स्टडी में यह भी बताया गया है कि अमेरिका में लगभग 17% महिलाएं माइग्रेन से पीड़ित हैं तो वहीं 5.6% पुरुष इससे प्रभावित हैं। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की साल 2019 की एक स्टडी के अनुसार, भारत में लगभग 21.3 करोड़ लोग माइग्रेन से प्रभावित हैं, जिसमें 60% महिलाएं हैं।
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, माइग्रेन एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, जिसमें सिरदर्द काफी तेज होता है। यह दर्द अक्सर इतना तीव्र होता है कि व्यक्ति इसके कारण निढाल पड़ने लगता है। इसमें मतली भी आ जाती है, उल्टियां होने लगती हैं। यूं तो माइग्रेन पेन की अवधि एक दिन होती है, लेकिन यह 4 घंटे से लेकर 3 दिन तक बना रह सकता है।
एक्सपर्ट्स अभी तक बहुत स्पष्ट रूप से यह नहीं जान पाए हैं कि माइग्रेन (Migraine) क्यों होता है। हालांकि वे मानते हैं कि इसके पीछे एक बड़ा कारण जेनेटिक हो सकता है। जिन पेरेंट्स में से किसी एक को या दोनों को माइग्रेन की समस्या है, उनके बच्चे को माइग्रेन होने की आशंका अधिक होती है।
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कौन सी हैं माइग्रेन की 4 स्टेज
आपको बता दें कि माइग्रेन (Migraine) का अटैक 4 स्टेज में होता है। ये स्टेज हैं..
प्रोड्रोम
ऑरा
हेडेक अटैक
पोस्टड्रोम
जानिए माइग्रेन अटैक कब करता है ट्रिगर
माइग्रेन (Migraine) एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है तो यह किन्हीं खास स्थितियों में और बाहरी कारणों से ट्रिगर हो सकता है। माइग्रेन होने का अर्थ ये नहीं है कि पीड़ित व्यक्ति को हमेशा ही सिरदर्द होता रहेगा, लेकिन बाहरी कारणों से इसके ट्रिगर होने की संभावना ज्यादा होगी।
माइग्रेन का क्या है इलाज
डॉक्टर आमतौर पर इसके इलाज में हेडेक डायरी बनाने को कहते हैं। इसमें सोने-जागने का समय, खाने का समय, किस तरह का भोजन करते हैं, ऐसे कई सवालों के जवाब हर दिन के लिखने होते हैं। इससे यह पता चलता है कि पेशेंट के माइग्रेन ट्रिगर्स क्या हैं।
इसके बाद कुछ मेडिकेशन और काउंसिलिंग से इलाज होता है।
लेकिन, हमें यह समझना है कि ऐसा क्या करें, जिससे माइग्रेन ट्रिगर ही न हो।
अगर ट्रिगर्स को अवॉइड कर लिया जाए तो माइग्रेन एपिसोड यानी वह समय जिसमें कोई व्यक्ति माइग्रेन की चारों स्टेज से गुजरता है, उससे बचाने में सहायता मिल सकती है।
जानिए कैसे बचें माइग्रेन एपिसोड से
अगर हम अपने माइग्रेन ट्रिगर्स (Migraine Triggers) को जान लेते हैं तो इन्हें अवॉइड करना आसान हो सकता है। अगर अपने ट्रिगर्स नहीं जानते हैं तो कुछ कॉमन ट्रिगर्स होते हैं, उन्हें अवॉइड करके भी माइग्रेन एपिसोड से बच सकते हैं।
बहुत तेज आवाज और तेज रौशनी से बचना चाहिए
कोई भी सेंसरी स्टिमुलेशन माइग्रेन एपिसोड के लिए कॉमन ट्रिगर है। तेज रौशनी, तेज आवाज, तेज धूप, डिस्को क्लब्स वाली जगहों पर ब्लू लाइट्स माइग्रेन ट्रिगर कर सकती हैं। ये इतने तेज सेंसरी स्टिमुलेंट्स हैं कि इनसे एक सामान्य व्यक्ति को भी सिरदर्द दे सकती हैं। माइग्रेन की न्यूरोलॉजिकल कंडीशन से गुजर रहा व्यक्ति इन ट्रिगर्स के प्रति ज्यादा संवेदनशील होता है। इन ट्रिगर्स को अवॉइड करना मुश्किल होता है, लेकिन हम ऐसी एक्टिविटीज कम कर सकते हैं, जो इन ट्रिगर्स से जुड़ी हैं। जैसेकि-
रात में ड्राइव करना
सिनेमा हॉल में मूवी देखना
क्लब, पब, शॉपिंग मॉल या भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाना
तेज धूप में निकलना
टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन ज्यादा देर देखने से भी स्ट्रेस बढ़ सकता है।
आंखों को आराम देने के लिए नियमित ब्रेक जरूर लें।
माइग्रेन ट्रिगर करने वाले फूड को जानिए
कुछ चीजें माइग्रेन ट्रिगर करने में सहायक होती हैं। अगर हमें यह पता हो किस फूड से हमारा माइग्रेन ट्रिगर होता है तो उन्हें अवॉइड करना आसान होगा।
कुछ कॉमन माइग्रेन ट्रिगरिंग फूड ये हैं
रेड वाइन
कैफीन
प्रॉसेस्ड मीट
स्वीटनर्स
चॉकलेट
चीज
हेडेक जर्नल बनाएं
अगर हम जर्नल बना लें तो यह पता लगाने में आसानी होगी कि किस एक्टिविटी से हमारा माइग्रेन ट्रिगर होता है। जर्नल में डेली रूटीन की ये बातें नोट कर लें-
दिन भर में क्या खाना खाया
किस तरह के इमोशन और फीलिंग से गुजर रहे हैं
कौन सी दवाएं ले रहे हैं
सिरदर्द कब हुआ, कब बढ़ा, कितने घंटे या दिन तक रहा
ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का टाइम
एक्सरसाइज रुटीन और शेड्यूल
बदलते मौसम की डीटेल्स
इससे माइग्रेन की वजह और पैटर्न को समझने में मदद मिलेगी। कारण पहचानकर उन्हें अवॉइड किया जा सकता है।
खाने और सोने के शेड्यूल फॉलो करें
फास्टिंग करने और मील स्किप करने से माइग्रेन ट्रिगर कर सकता है। माइग्रेन से परेशान ज्यादातर लोगों को जागने के एक घंटे के भीतर कुछ खाने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही उन्हें दिन में हर 3 से 4 घंटे के अंतराल पर कुछ-न-कुछ खाते रहना चाहिए। इसके साथ ही डिहाइड्रेशन भी माइग्रेन की वजह बन सकता है। इसलिए दिन में कम से कम 7-8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
नींद पूरी न होने पर भी माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है। इसलिए रोज कम-से-कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।