ग्रेटर नोएडा वेस्ट की आबादी करीब 4 लाख लेकिन सिक्योरिटी ना के बराबर। यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों ने लाखों-करोड़ खर्च करके फ्लैट तो ले लिए लेकिन असुरक्षा का भाव आज भी इनके दिल में नश्तर की तरह चुभ रहा है।
सड़क पर लगीं स्ट्रीट लाइटें जो यहां रहने वालों के लिए सिर्फ शोपीस हैं। ऐसे में शाम होते ही सड़कों पर अंधेरा छा जाता है, अंधेरा होने के कारण सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। यही कारण है कि आम जनता शाम के बाद घरों में कैद हो जाती है। सड़कों पर चलते हैं. कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे पता चलता है कि हमारी जिंदगी कितनी सस्ती है. साल 2020 में इसी क्षेत्र में गौरव चंदेल की हत्या कर दी गई थी. उसके बाद यहां पहली बार कमिश्नरी बनाई गई थी.
वर्किंग वुमन सबसे ज्यादा असुरक्षित
रूबिका जो ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसाइटी में रहती हैं का कहना है कि शाम होते ही लगता है हम किसी गांव में आ गए हों. सड़कें अंधेरी कोठरी जैसी दिखती हैं. ऐसे में यदि हम लोगों के साथ किसी तरह की कोई अनहोनी हो गई तो कौन जिम्मेदार होगा। अथॉरिटी बिल्डरों से मोटा पैसा वसूल रही हैं लेकिन आज भी व्यवस्थाएं उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ रही है जितनी की यहां के लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं। रात तो छोड़िए दिन में चेन स्नेचिंग, मोबाइल लूट की घटनाएं आम है। ऐसे में यहां रहने वाले लोग फरियाद करे तो आखिर किससे ?