Delhi News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को उत्तरकाशी सुरंग (Uttarkashi Tunnel) बचाव में शामिल रैट माइनर्स से मुलाकात की। ये माइनर दिल्ली जल बोर्ड के लिए काम करते हैं। इस दौरान दिल्ली की मंत्री आतिशी (Minister Atishi) और सौरभ भारद्वाज भी मौजूद रहे। पढ़िए पूरी खबर…
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 17 दिनों तक सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में फंसे रहने वाले 41 श्रमिकों को बचाने के लिए अंतिम बाधा पार करने वाले रैट माइनर्स से शाम 4 बजे अपने आवास पर मुलाकात की। आपको बता दें..इन रैट माइनर्स ने ही उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू में अंतिम 15 मीटर तक मलबा खोदकर 41 मजदूरों को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। इनकी टीम में कुल 12 सदस्य शामिल थे, जिनमें दिल्ली जल बोर्ड के लिए पाइपलाइन और सीवर बिछाने वाले मजदूर भी शामिल हैं।
इस बीच सिल्क्यारा सुरंग से सुरक्षित बचाए गए 41 लोगों में से उत्तर प्रदेश के 8 श्रमिक शुक्रवार सुबह लखनऊ पहुंचे। वे एम्स ऋषिकेश से सड़क मार्ग के जरिए उत्तर प्रदेश की राजधानी पहुंचे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। उन्होंने सीएम योगी से सुरंग के अंदर 17 दिनों तक फंसे रहने के दौरान के अपने अनुभवों को साझा किया। यूपी के मुख्यमंत्री ने सभी श्रमिकों को गिफ्ट दिया।
भारत में प्रतिबंधित है रैट-होल माइनिंग
जब सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए मलबे के बीच से ड्रिल करके पाइप डालने के प्रयास में भारी मशीनरी खराब हो गई थी। तो रेस्क्यू टीम ने रैट-होल माइनिंग का सहारा लिया, जो भारत में प्रतिबंधित है। रैट होल माइनिंग में इंसानों द्वारा बहुत छोटी सुरंगें खोदी जाती हैं। जिसके माध्यम से कुशल श्रमिक प्रवेश करते हैं और कोयला या मलबा बाहर निकालते हैं। रैट माइनर्स के टीम लीडर वकील हसन ने उस पल को याद करते हुए बताया है कि जब हमने श्रमिकों सुरंग में देखा, तो यह उस व्यक्ति को पानी पिलाने जैसा था एहसास था। जो प्यास से मरने वाला हो।
रैट-होल माइनर्स ने बचाई 41 जिंदगियां
रैट-होल माइनिंग टेक्निक (Rat-Hole Mining Technique) को इसमें निहित जोखिम और कई दुर्घटनाओं के कारण अतीत में गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा है. कई ऐसी घटनाएं सामने आईं जिनमें रैट होल माइनर्स को चोटें लगीं और उनकी मौतें भी हुईं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2014 में खनन की इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया. इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई थी, लेकिन 2015 में भी एनजीटी ने रैट होल माइनिंग पर प्रतिबंध बरकरार रखा, लेकिन उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने में यही विधि काम आई, जब अमेरिकी ऑगर मशीन 48 मीटर तक ड्रिलिंग के बाद फंस गई।
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गाजियाबाद पहुंचे
उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकलने तक मौके पर ही जमे रहे केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (Union Minister VK Singh) गाजियाबाद पहुंच चुके हैं। इस दौरान स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका फूल मालाओं के साथ तिलक लगाकर स्वागत किया। 41 श्रमिकों को सुरक्षित टनल से निकालना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, चिंता बढ़ने लगी थी, लेकिन वहां जुटी टीम के प्रयास और टनल में फंसे श्रमिकों की हिम्मत ने इस ऑपरेशन में सफलता प्राप्त करने में मदद की।
इस ऑपरेशन में रेस्क्यू टीम के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री समेत पूरी उत्तराखंड सरकार और कई मंत्रालय के संयुक्त प्रयास शामिल रहे। इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि भारत किसी भी आपदा से निपटने में सक्षम हैं।
श्रमिकों के परिवारों से कैमरे के माध्यम से बात कराई जाती रही
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि एक बार तो समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। बाद में पूरे प्लान के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) किया गया। छोटे से पाइप के सहारे टनल में फंसे श्रमिकों को खाने का सामान, पानी गर्म करने की रॉड, गर्म कपड़े और अन्य जरूरी सामान के साथ ऑक्सिजन की व्यवस्था की गई। श्रमिकों के परिवारों से कैमरे के माध्यम से बात कराई जाती रही, बल्कि बाहर मौजूद साथी श्रमिक भी उनका उत्साहवर्धन करते रहे।
वीके सिंह ने बताया कि शुरुआत में टनल के बाहर एकत्र मलबे को हटाकर अंदर जाने का प्रयास किया गया, लेकिन जब रास्ते में पहाड़ का मलबा आने लगा तो उत्तरकाशी के सिंचाई विभाग से मशीन मंगाकर कार्य शुरू किया गया। चूंकि मशीन की क्षमता कम होने पर वह सफल नहीं हुई तो नजफगढ़ से दूसरी मशीन मंगाकर ऑपरेशन शुरू किया गया। पहली मशीन फंस गई थी, इसके बाद वर्टिकल ड्रीलिंग और मैग्नीशियम मशीन के जरिए ड्रिल का प्रयास कराया गया, परंतु मैग्नीशियम मशीन का तापमान अधिक होने कारण टनल के नुकसान को बचाने के लिए उसे रोक दिया गया।