Jyoti Shinde,Editor
आज हम आपको ऐसी अदाकारा से मिलवाने जा रहे हैं जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है। नाम है रजनिका गांगुली। जो बेहतरीन एक्ट्रेस के साथ डांस, डबिंग और एक्टिंग की मास्टर भी हैं। रजनिका गांगुली, जिनकी बेहद संजीदा फिल्म चट्टान रिलीज़ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है।
1990 के दशक की थीम पर आधारित फिल्म चट्टान फिल्म रिलीज़ के साथ ही बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है। फिल्म बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात और ईस्ट पंजाब के दर्शकों को बेहद पसंद आ रही है। साथ ही ये फिल्म जल्द ही झारखंड में भी फिल्म रिलीज़ होने वाली है। चट्टान फिल्म की सफलता के बाद इसका पार्ट 2 भी जल्द ही बड़े पर्दे पर नजर आने वाला है। ऐसा वादा किया है रजनिका गांगुली ने।
ख़बरीमीडिया से ख़ास बातचीत में रजनिका ने बताया कि वो फिल्म की लीड एक्ट्रेस के साथ फिल्म की प्रोड्यूसर-डायरेक्टर भी हैं। सुदीप डी.मुखर्जी के लेखन ने फिल्म में जान डाल दी है।
रजनिका गांगुली से उनके करियर और फिल्म चट्टान में हुए अनुभवों को लेकर खास बातचीत
1-चट्टान” किसी तरह की फिल्म है? इसे बनाने का आइडिया कैसे आया ?
रजनिका: बचपन से ही मेरी ख्वाहिश फिल्मों में काम करने की थी। लेकिन बॉलीवुड में मुझे वो ब्रेक नहीं मिल पाया जो उम्मीद मैं कर रही थी। मैं थोड़ी मायूस भी हो गई थी। लेकिन इस मौके पर मेरे पापा ने मुझे लेकर फिल्म बनाने का फ़ैसला लिया। मेरी पहली फिल्म करवट ने कुछ ख़ास सफल नहीं हो पाई । लेकिन दर्शकों को मेरी एक्टिंग लोगों को पसंद आई। मेरे परिवार ने मेरा पूरा सपोर्ट किया। जिसका नतीजा है कि मैं एक्ट्रेस के साथ डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के तौर पर भी पहचानी जाने लगी।
मेरा संघर्ष जारी रहा। आगे चलकर 7 स्टार क्रिएटिव इंटरनेशनल और सर्वमंगला इंटरनेशनल के तहत एक्शन ड्रामा बेस्ड फिल्म “‘चट्टान”‘ बनी। इस फिल्म को पूरा करने में मेरे निर्देशक पति सुदीप डी.मुखर्जी का बहुत अहम रोल रहा। उन्होंने फिल्म के हर हिस्से को संजीदा बनाने में भरपूर मेहनत की । और ईश्वर की कृपा से फिल्म चट्टान 22 सितंबर 2023 को रिलीज़ हो गई।
2-चट्टान में बतौर हीरोइन आपके कैसे अनुभव रहे आज के परिवेश में आप इसे किस रूप में देखती हैं?
“-चट्टान मध्य प्रदेश के कस्बे में तैनात एक जाँबाज़ पुलिस अफसर के इर्दगिर्द घूमती एक सच्ची कहानी पर आधारित है। जिसे अपनी गर्भवती पत्नी के होते हुए भी सिस्टम और समाज के ठेकेदारों से, अपने फ़र्ज़ से जंग लड़नी पड़ती है। जिसमे उसका परिवार बुरी तरह पिस जाता है।
सीन के लिए करनी पड़ी कड़ी मेहनत
सीन में नेचुरल दिखने के लिए मुझे मध्य प्रदेश की औरतों के रहन सहन और उनकी वस्तुगत,स्थितिगत हालत के अनुसार कैरेक्टर की मांग को देखते हुए अपना वजन 70 किलो से 90 किलो तक बढ़ाना पड़ा। जीत उपेंद्र,तेज सप्रू,ब्रिज गोपाल और शिवा ने अपने रोल्स के साथ पूरा न्याय किया है। चूँकि चट्टान कंटेंट बेस्ड फिल्म है और आज के दर्शक रोमानी नहीं हकीकत में डूबी फिल्म देखना चाहते हैं। ऐसे में हम सबने मिलकर फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की है। चट्टान मेरे लिए महज फिल्म नहीं जीवन की आधारशिला है .इसने हममें आत्मविश्वाश और उड़ान दी है “.
3-चट्टान को 90 के दौर की फिल्म कहा जा रहा है आपकी दृष्टि में इसमें ऐसा क्या है जो उस फ्लेवर का सशक्त आइना होने की पुष्टि करती है ?
-‘चट्टान ‘पूर्णतः 1990 की फिल्म कंटेंट, डायलॉग्स, किरदारों का मैनेरिज्म और ट्रीटमेंट उसी काल का रहा। गीत संगीत संजोने में इसका ध्यान रखा गया है.इस फिल्म को देखने के बाद ऑडियंस खुद ही 90 की फिल्म की तस्दीक कर देगी.”
4-आप चट्टान की अभिनेत्री -निर्मात्री हैं अपने फिल्म प्रोडक्शन सेवन स्टार क्रिएटिव इंटरनेशनल की आगामी फिल्मों की क्या प्लानिंग है ?
“चट्टान” के बाद “चट्टान2” 2024में रिलीज़ करेंगे और “चट्टान” रिलीज् के बाद “जिंघांसा” सेट पर जाएगी उसके बाद “नीलकंठ” अंतराल,अग्निशिखा,धर्म रक्षक,अग्नियुद्ध,डिटेक्टिव रजनी आदि फ़िल्में पाइप लाइन में है । हमारी कंपनी हर भाषा में फ़िल्में बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ।
5- आप कुछ अपने बारे में बताये फिल्मो में रूची कब और कैसे आईं ?
मैंने 4 साल की कम उम्र से विधिवत कत्थक नृत्य सीखी है। मैं बहुत भाग्यशाली रही कि बिरजू महाराज के चाचा जी श्याम लाल मिश्रा के सानिध्य में लगातार 10 साल की उम्र तक आपने नृत्य की विविध बारीकियां सीखी हैं
6- क्या वजह रही कि आपने सोनल मानसिंह और मृणाल साराभाई की तरह डांस को प्रोफेशनली नहीं अपनाया ?
-“नृत्य मुझे बहुत पसंद है और कितने चाव से मैं डांस फिल्मों और टी .वी. पर देखा करती थी काश मैं आपको बता पाती, मेरे माता पिता की कल्चरल बैकग्राउंड थी वे चाहते थे कि मैं आर्ट्स के हरेक फॉर्म्स में पारंगत बनू .वाकई मैं बहुत लकी रही कि मुझे ज़िंदगी में नृत्य गुरु श्यामलाल मिश्र नटराज जैसे लखनऊ घराने के महारथी और बिरजू महाराज के चाचा जगदीश जी की सगंत में पांच साल भारतनाट्यम डांस भी सीखने को मिला….चूँकि मेरा गोल कुछ और ही था इसलिए मैंने इसे प्रोफेशनली अपनाने में महत्व नहीं दिया ।
7-डांस के साथ साथ आप नाटकों में भी काफी एक्टिव रही हैं यह सिलसिला कैसे शुरू हुआ ? क्या स्टेज प्लेज करने से आपका एक्टिंग स्किल्स मजबूत हुई ?
-“मेरे पिताजी सेन्ट्रल सर्विसेस में थे उनके ट्रांसफर होते रहते थे उसके तहत 4 साल हम भूटान रहे वहां रहकर मैं जितना एक्टिव रह सकती रही । तब डेबिट कॉम्पटीशन छोटे छोटे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती रही जिससे आर्टिस्टिक स्ट्रीम से जुडी रहूं .इसी बीच दोबारा1984 मेरे डैडी का ट्रांसफररांची में हो गया।
मैंने वहां ग्रेजुएशन कम्पलीट करने के लिए निर्मला कॉलेज में एडमिशन ले लिया पढाई के साथ साथ कॉलेज की कल्चरल एक्टविटीज में तोआदतन सक्रिय रही ..उसी वक़्त मैं रांची में रांची के स्टेज ग्रुप कला संसार से जुडी और एस के.सिन्हा चन्दा के निर्देशन में नाटकों में विविध रोल्सकिये संवादों की अदायगी भावों के सम्प्रेषण वेशभूषा की तारतम्यता आदि बहुत कुछ नाटकों की दुनिया से सीखा । जिसके फलस्वरूप मुझे रांची के दूरदर्शन और रांची ड्रामा डिवीजन में ड्रामा आर्टिस्ट के तौर पर सेलेक्ट कर लिया गया .मुझमें आत्मविश्वास का खूब संचार हुआ और अब मेरी मंज़िल थी हिंदी फिल्मों में हीरोइन बनना।
7-प्रसिद्ध अभिनेता देव आनंद ने मुंबई में हुई पहली मुलाकात के बारे में कुछ बताइए?
देव आनंद से मुंबई में हुई पहली मुलाकात में कभी नहीं भूल सकती। उन्होंने मेरे डांस और एक्टिंग को देखते हुए मेरा आत्मविश्वास को बढ़ाया और कुछ बढ़िया कर गुज़रने का जूनून देखकर मुझे रांची से मुंबई आने का आमंत्रण दिया और
बस फिर क्या था मैं फिल्मों में काम पाने के लिए स्ट्रगल करने लगी।
8-रांची से मुंबई का सफर कैसे तय किया और फिर फिल्मों में काम मिलने की दस्तक कब मिली ?
“कोई किसी को दस्तक नहीं देता खुद ही मेहनत करनी पड़ती है। मैं अपने पापा और मम्मी के साथ 1989 में मुंबई आ गयी। मुंबई में अपने पापा के साथ जाकर मैं फिल्म निर्माता निर्देशकों से मिलने लगी काम भी मिला पर मुझे जिस तरह का काम चाहिए था उसमें वक़्त लग रहा था।
8- आपने कई सारे सीरियल्स किए उसके बारे में कुछ बताइए?
1989में सेटेलाइट टी.वी की लोकप्रियता उन दिनों काफी जोरो पर थी एक से एक चैनलों की सीरियल्स बनाने की होड़ प्रोडूसर्स में हो चुकी थी…तभी में टी .वी .सीरियल्स की तरफ रूख किया । मैंने अनगिनत सीरियल्स में काम किया जिनमें -तहकीकात,आशीर्वाद,साँस,अधिकार,सिसकी,बंधन,युग,आहट, शांति,कॉफी हाउस, मोहनदास एल .एल .बी .आदि उल्लेखनीय है।
9- अपने फिल्मी करियर के बारे मैं कुछ बताइए?
स्माल स्क्रीन पर मैंने अपनी एक पहचान बना ली थी पर अब मैं रूख फिल्मों की तरफ करना चाहती थी । उस वक़्त के कुछ बड़े निर्माताओं के तरफ से नए और नामी हीरोस के साथ मुझे सात फिल्म भी हीरोइन के रूप में ऑफर की गई मगर उनकी शर्तों में कुछ खामिया थी,जो मुझे बिलकुल भी मंजुर नहीं थी। बात सही से जम नहीं रही थी इसलिए मैंने वो फिल्में नहीं की और अगले काम की जिद्दोजहद में लग गई ।
10-आपने डबिंग का काम भी किया क्या कहेंगी आप?
सीरियल्स में 12-25 घंटों काम करते करते मैं बहुत थक गई थी एक्टिंग से थोड़ा रिफ्रेश होना चाहती थी. ‘बंधन’ के बाद सी.आई.डी.और आहट के निर्देशक बी.पी.सिंह ने मुझे अपने सीरियल में डबिंग करने का चांस दिया,डबिंग मुझे अच्छी लगी और फिर कुछ सालों तक अपने को अभिनय से दूर रखा और पूरी तरह से डबिंग की दुनियां आ गई।
मैंने सीरियसली अनगिनत फिल्मों और सीरियल्स की डबिंग अलग अलग भाषाओँ में की। मैं इतनी भाग्यशाली हूँ कि मैं किसी भी भाषा और लोक भाषा में डबिंग कर सकती हूँ लिहाज़ा मुझे डबिंग का भरपूर काम मिलने लगा .जिससे मुझे अपने अभिनय को जिन्दा रखने और तराशने का मौका मिला। मेरे डबिंग के काम की चर्चा साउथ में भी तेजी से फैली और साउथ की अनगित फिल्मों और सीरियल्स का मुझे डबिंग डायरेक्टर बना दिया गया lअब तक 500 से अधिक प्रोजेक्टस की डबिंग करा चुकी हूँ ।
11-नृत्य हिंदी फिल्मों को कितना सफल बनाता है ?
बेशक हिंदी फिल्मों की उन टॉप हीरोइन्स को उँगलियों पर गिना जा सकता है जिनके सशक्त अभिनय की आधारशिला डांस रहा हैआशा पारेख, वैजयंती माला , हेमा मालिनी उनमें प्रमुख हैं।
12 एक आखिरी सवाल चट्टान फिल्म को लेकर लोगों से क्या अपील करना चाहेंगी आप?
मैं लोगों से यही अपील करना चाहूंगी कि यह फिल्म जरूर देखिए क्योंकि इस फिल्म में जिन लोगों ने काम किया है ये वही लोग है जिन्हें बॉलीवुड में तरजीह नहीं दी जाती है। और जिन्हें दी जाती है वो शर्तों के साथ मिलती है।
ख़बरीमीडिया की तरफ से रजनिका गांगुली, फिल्म चट्टान और उनकी पूरी टीम को ढेर सारी शुभकामनाएं।