उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Israel-Palestine War: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच कई दशकों से हो रहे विवाद अब जंग का रूप ले लिया है। हमास (Hamas) की ओर से इजराइल (Israel) पर 5000 से ज्यादा रॉकेट कल यानी कि 7 अक्टूबर को दागे गए हैं। हमले में इजराइल के कई रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया। इन हमलों में अभी तक 200 से भी ज्यादा लोगों की मौत और 1100 से ज्यादा के जख्मी होने की ख़बर सामने आई है। इस हमले के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने युद्ध की घोषणा करते हुए कहा कि उनका देश अपने दुश्मन से अभूतपूर्व कीमत वसूल करेगा।
ये भी पढ़ेंः इज़राइल- हमास के बीच भयंकर युद्ध..250 से ज्यादा लोगों की मौत
ये भी पढ़ेंः अंडरवर्ल्ड सरगना हाफिज सईद की ‘जिंदगी’ खत्म हो गई!..
वहीं, इजराइल के रक्षा मंत्री (Defense Minister) ने बयान जारी कर कहा कि हमास ने इजराइल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है, इसमें इजराइल की जीत होगी। यह हमला पिछले कुछ वर्षों में इजराइली क्षेत्र में हुआ सबसे घातक हमला बन गया है।
दोनों देशों के बीच हो रहे विवाद ने सभी को हैरान कर दिया है, मगर एक वक्त ऐसा भी आया था जब दोनों देशों के रिश्ते मधुर हो चले थे। बात है साल 1992 की। जब इजरायली प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन ने फिलिस्तीन के साथ हाथ मिलाया था। तब फिलिस्तीन के तत्कालीन राष्ट्रपति यासिर अराफात (Yasser Arafat) ने भी आगे बढ़कर इस पहल का स्वागत किया था। दोनों अपने-अपने देशों के मुद्दे सुलझाने के लिए सामने आए थे। यित्जाक राबिन का मानना था कि यारिस अराफात की संगठन पीएलओ एक आतंकवादी संगठन नहीं है। वे बस अपना देश चाहते हैं इसका सम्मान किया जाना चाहिए। तब के इजरायली पीएम की बात का फिलिस्तीन ने स्वागत किया और दोनों ने एक दूसरे को स्वीकारा।
हुई थी अराफात और राबिन की दोस्ती
इजरायल और फिलिस्तीन की दोस्ती पर साल 1993 में ओस्लो अकॉर्ड पर मुहर लगी। इस दौरान दोनों देशों ने मिलकर इस बात की योजना बनाई की कैसे दोनों देशों में आपस में भू-भाग का बंटवारा बिना किसी विवाद के हो सके। इस बात की भी चर्चा हुई कि कैसे एक बेहतर फिलिस्तीन देश को बनाया जाए। इसके बाद साल 1994 में पहली बार फिलिस्तीन में सरकार बनी। दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर होने की स्थिति में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों – फिलिस्तीन के यारिस अराफात और इजरायल यित्जाक राबिन नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मगर दोनों देशों के बीच शांति का दौर ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका। यित्जाक राबिन का यासिर पुराफात से हाथ मिलाने से इजरायल के कट्टरपंथी काफी नाराज हो गए और उन्होंने यित्जाक राबिन की हत्या कर दी।
कैसे हुआ हमास का जन्म
इस घटना के कुछ साल पहले साल 1987 में फिलिस्तीन में इस्लामिक कट्टरवादी लोग सामने आते हैं और हमास ग्रुप बनाते हैं। हमास ग्रुप का कहना था कि पीएलओ वाले लोग ज्यादा ही सेक्युलर बन रहे और इजरायल के साथ कुछ ज्यादा ही शराफत से पेश आ रहे हैं। पहले के फिलिस्तीनियों की तरह हमास ग्रुप इजरायल को नक्शे से ही मिटाना चाहता था। 90 के दशक में हमास ग्रुप इजरायल में आत्मघाती हमले भी करता रहा। इस तरह से इजरायल और गाजा पट्टी में रह रहे हमास ग्रुप के बीच कट्टरता बढ़ जाती है। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं।
गृह युद्ध में गाजा पर किया हमास ने कब्जा
साल 2002 में दोनों तरफ हिंसा और विरोध को दौर फिर देखने को मिला। जिसमें कई इजरायली और फिलिस्तीनियों की जान चली जाती है। 2006 में हमास ग्रुप फिलिस्तीन में इलेक्शन लड़ता है और जीत जाता है। हमास पीएलओ की पार्टी फतह को इलेक्शन में हरा देता है। 132 सीटों में से हमास का 74 सीटों पर हमास का कब्जा होता है। मगर फिलिस्तीन के अंदर दोनों गुटों में साल 2007 में गृह युद्ध शुरू हो जाता है। इस लड़ाई को गाजा की लड़ाई कहा गया। इसके बाद फिलिस्तीन देश दो हिस्सो में बंट जाता है। वेस्ट बैंक वाला हिस्सा है वहां फतह और पीएलओ का राज हो जाता है। वहीं गाजा पट्टी में हमास का कब्जा हो जाता है।
Read khabrimedia, Latest Greater Noida News,Greater noida news, Noida Extension news, greater noida Society News khabrimedia- Top news-Latest Noida news-latest greater Noida news-latest greater Noida news-latest Noida extension news-latest Delhi Ncr news- Big news of today-Daily News-Greater Noida Society news-Greater Noida News in Hindi