नीलम सिंह चौहान, खबरीमीडिया
Anant Chaturdashi: अनंत चतुर्दशी का त्योहार भाद्रपक्ष शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाएगा. इसी दिन भगवान गणेश का भी विसर्जन किया जाता है. वहीं, अनंत चतुर्दशी के त्योहार को उदयव्यापिनी तिथि में मनाया जाता है. दरअसल, गणेश जी के विदाई के दिन भगवान श्री हरि विष्णु अनंत भगवान की पूजा होती है.
वहीं, अनंत चतुर्दशी के व्रत को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत के बाद छात्र जिस भी विषय के ज्ञान को लेना प्रारंभ करेंगे, उन्हें उस विषय का उत्तम ज्ञान अवश्य प्राप्त होगा. जो भी लोग धन की इच्छा रखते हैं उनके ऊपर श्रीहरि विष्णु की ऐसी कृपा बरसेगी की उनका पूरा जीवन सुख और संपत्ति के साथ-साथ सुखों से भर जाएगा. ऐसे में यदि आप इस व्रत का विशेष लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो 14 वर्षों का विशेष व्रत करना चाहिए.
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मान्यता के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन नित्यक्रिया से निवृत होकर स्नानादि का पवित्र होकर के व्रत का संकल्प भगवान हरि विष्णु को ध्यान में रखकर करना चाहिए. उसके बाद किसी भी नगी, मंदिर, सरोवर या घर में पूजा स्थान को लीप-पोतकर वहां सर्वतोभद्र मंडल का निर्माण करना चाहिए. इसके बाद उस जगह पर कलश को स्थापित करना चाहिए. भगवान श्री विष्णु जी की शेषनाग के छत्र वाले अनंत स्वरूप प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए.
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इसके बाद वहां प्रतिमा के समक्ष 14 गांठों वाला रेशम के धागे या कच्चे सूत वाला अनंत रखना चाहिए. जानकारी के लिए बताते चलें कि इन 14 गांठों के पीछे का रहस्य ये है कि इसमें कुल 14 देवताओं स्थान माना गया है. इसके बाद गवान अनंत की पूजा सभी तरह के विधि-विधानों से करना चाहिए. कथा सुनना भी बहुत आवश्यक माना जाता है. कथा सुनने के बाद हवन करें और इच्छानुसार दान करें. फिर आपको केले के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए. आप ब्राह्मणों को भोजन करवा सकते हैं, इसके बाद व्रत का समापन करें. माना जाता है कि इस दिन आपको नमक का प्रयोग खाने में बिल्कुल नहीं करना चाहिए. जब पूजा खत्म हो जाए अनन्त को पुरुष दाहिने और औरत को बाईं भुजा पर बांध लेना चाहिए. ऐसे में अनंत फल की प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले जातकों को ये व्रत जरूर करना चाहिए.