Jyoti Shinde,Editor
इस ख़बर में दर्द भी है और सिस्टम के ख़िलाफ़ गुस्सा भी। क्योंकि एक हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया। जिसका आरोप स्कूल पर लगा है। जरा सोचिए उस मां-पिता पर क्या बीत रही होगी जिनकी जान से प्यारी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही।
मामला डीपीएस फरीदाबाद19(DPS FARIDAB19) स्कूल की छात्रा आराध्या खंडेलवाल(Aaradhya Khandelwal) का है। ख़बरीमीडिया की टीम ने जब आराध्या के पिता अविलाश खंडेलवाल से बात की तो उनके आंसू थम नहीं रहे थे। किसी तरह हिम्मत जुटाकर जो कुछ उन्होंने हमे बताया वो वाकई रुला देने वाला सच था।
आराध्या खंडेलवाल(Aaradhya Khandelwal) डीपीएस फरीदाबाद 19(DPS FARIDAB) स्कूल की 7वींछात्रा। हर दिन की तरह आराध्या स्कूल बस से स्कूल गईं। पैरेंट्स के मुताबिक आराध्या स्कूल जाते वक्त बिल्कुल ठीक थीं। आराध्या जब स्कूल पहुंचीं तो उनकी तबीयत खराब हो गई। उन्हें कई दफा उल्टियां भी हुई। उस दिन आराध्या का Maths का टेस्ट भी था।
अविलाश खंडेलवाल को जो आराध्या के दोस्तों ने जानकारी दी उसके मुताबिक जब आराध्या को उल्टियां हुईं तो क्लास टीचर ने आराध्या को वॉशरूम भेज दिया। आराध्या वापस आकर टेस्ट देने लगी। लेकिन इस बीच उसकी तबीयत फिर बिगड़ गई। आराध्या को बैक टू बैक कई उल्टियां हुई। पिता अविलाश के मुताबिक इसके बाद भी क्लास टीचर या फिर स्कूल ने पैरेंट्स को आराधया की तबीयत की जानकारी देना जरूरी नहीं समझा। आरोप है कि क्लास टीचर आराध्या को मेडिकल रूम ले जाने की जगह टेस्ट देने के लिए मजबूर करती रहीं। किसी तरह दोपहर 1.30 बजे आराध्या के स्कूल की छुट्टी हुई।
आराध्या के पिता के मुताबिक दोपहर 2.30 आराध्या घर पहुंचीं। आराध्या की मां जो खुद पेशे से डॉक्टर हैं ने आराध्या की ट्रीटमेंट शुरू कर दी। आराध्या की मां ने Child Specialist को भी घर बुला लिया। आराध्या पहले से थोड़ा अच्छा फील कर रही थीं। पूरा दिन बीत गया। रात 8 बजे तक आराध्या अच्छा फील कर रही थीं। उसके बाद आराध्या सो गईं। सुबह 4 बजे आराध्या ने उठकर नींबू पानी पी। तब तक सब ठीक था। लेकिन अगले 2 घंटे बाद आराध्या की तबीयत बिगड़ गई और वो पैरेंट्स को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली गईं।
आराध्या के पिता अविलाश खंडेलवाल जो पेशे से इंजीनियर हैं का यही कहना है कि काश अगर स्कूल ने बच्ची को स्कूल में 8 घंटे रखने की जगह उसकी तबीयत की जानकारी उन्हें दे दी होती तो बच्ची आज जिंदा होती। अविलाश के मुताबिक जब उन्होंने स्कूल से सवाल जवाब किए तो स्कूल की प्रिंसिपल ने मामले पर जांच कमेटी बनाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
ख़बरीमीडिया की टीम ने डीपीएस फरीदाबाद के नंबर पर फोन किए ताकि उनका पक्ष भी सामने आ सके। लेकिन डॉयल किए गए चारों नंबर में से किसी पर भी बात नहीं हो सकी। क्योंकि स्कूल की तरफ से एक भी नंबर पर फोन पिक ही नहीं किया गया।
वजह चाहे जो भी हो लेकिन इसकी कीमत एक बेटी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।