Punjab News: शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने अपने ताज़ा ट्वीट में कहा है कि कुछ जिलों में शिक्षकों को नियमित क्लेरिकल और प्रशासनिक कार्यों के लिए तैनात किया जा रहा है, जो कि स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शिक्षक केवल सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि ज्ञान के प्रचारक हैं, जो पंजाब के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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शिक्षा मंत्री ने आरटीई एक्ट की धारा 27 का हवाला देते हुए बताया कि शिक्षकों को केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही गैर-शैक्षणिक कार्यों में शामिल किया जा सकता है, जैसे कि जनगणना, आपदा राहत और चुनाव। कक्षा में शिक्षकों की उपस्थिति किसी भी स्थिति में समझौते योग्य नहीं हो सकती। इसलिए, शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षकों को गैर-शिक्षण ड्यूटियाँ न सौंपी जाएँ।
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उन्होंने मुख्य सचिव को लिखा है कि किसी भी शिक्षक को गैर-शैक्षणिक कार्य सौंपने से पहले शिक्षा विभाग की लिखित अनुमति अनिवार्य हो। मंत्री ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों का समय कक्षाओं में बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण में लगना चाहिए, न कि फाइलों या फील्ड कार्यों में। यह कदम शिक्षकों को वही करने की स्वतंत्रता देगा, जो वे सबसे बेहतर कर सकते हैं।

