Bhopal: नवंबर में रंग विदूषक के साथ बिताए गए दो दिन कलाकारों और रंगकर्मियों से जुड़ी कई यादों के साथ लौटे। इस दौरान विशेष रूप से बंसी दा के साथ बिताए गए समय की बातें याद आईं, जिन्होंने हमेशा नाटकों के प्रदर्शन के बजाय अभ्यास की अहमियत को समझाया। इस बार, रंग विदूषक के नए नाटक ‘झीने अरमां’ के पूर्वाभ्यास में शामिल होने का अवसर मिला, जहां कलाकारों ने अपने समर्पण और ऊर्जा से न केवल नाटक की शुरुआत की, बल्कि उसे जीवंत किया।
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18 नवंबर की शाम, एलबीटी के पिछले हिस्से में रंग विदूषक के कलाकार एकत्रित हुए थे। यहां अधिकांश चेहरे नए थे, जो ‘फूला बाई’, ‘रज्जो’, ‘मंजी’ और ‘साँवरी’ के क़िस्से को मंच पर जीवित करने की कोशिश कर रहे थे। इस नाटक में संगीत निर्देशन अंजना दी द्वारा किया गया था, जिनकी आवाज़ और सामूहिक गान ने रिहर्सल को और भी जीवंत बना दिया।
‘झीने अरमां’ नाटक महिलाओं की उन कहानियों को उजागर करता है जिन्हें समाज ने हमेशा हाशिए पर धकेलने की कोशिश की है। यह नाटक उन स्त्रियों की संघर्षों की कहानी है, जो जीवन की कठिनाइयों के बावजूद अपने हक के लिए लड़ती हैं। अगर आप भी इस नाटक की कहानी देखना चाहते हैं तो 7 दिसंबर की शाम एलबीटी का रुख कर सकते हैं।
नाटक की रिहर्सल में रंग विदूषक के कई पुराने साथी शामिल हुए, जिनमें हर्ष भी एक प्रमुख नाम थे। पिछले दो दशकों में रंग विदूषक में काफी बदलाव आया है। इस दौरान रंगकर्म से जुड़े कई कलाकारों के साथ बातचीत करने का अवसर मिला। खास तौर पर सुदीप प्रधान, जो बंगाल से आए हैं, वर्तमान में रंगकर्म और फिल्म स्क्रिप्ट लेखन में व्यस्त हैं। इसके अलावा संकेत सेजवर, राम सिंह पटेल, विमर्श पटेल और नितिन पांडेय से भी रंग विदूषक के पिछले एक दशक के सफ़र पर बातचीत की गई।
पार्वती पिल्लई, जो हाल ही में हैदराबाद से थियेटर प्रशिक्षण लेकर रंग विदूषक आई हैं, ने भी इस बातचीत में हिस्सा लिया। इन सभी कलाकारों ने भविष्य में रंग विदूषक के और अधिक विकास की दिशा में काम करने की योजना बनाई है।
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रंग विदूषक के नाटक ‘झीने अरमां’ का प्रीमियर 7 दिसंबर को होगा, जिसमें राम सिंह पटेल के निर्देशन में कलाकार अपनी पूरी मेहनत और समर्पण के साथ प्रदर्शन करेंगे। संगीत का निर्देशन अंजना दी ने किया है। यह नाटक दर्शकों को एक नई सोच और संवेदनशीलता से परिचित कराएगा, और रंगकर्म का असली जादू दिखाएगा।