Diwali

सिर्फ लक्ष्मी गणेश पूजन नहीं दीपावली के दिन जो हुआ वो शायद भूल गए हम!

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लेखक- निहारिका माहेश्वरी

Diwali 2024: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि हिंदू धर्म ही नहीं अलग अलग धर्म मानने वालों के लिए भी महत्वपूर्ण है। अलग-अलग कालखंडों में कई कथाओं को सहेजे 5 दिन का यह उत्सव भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।कल आज और कल में दीपावली का क्या महत्व है उसका प्रमाण कई कथाओं से मिलता है क्योंकि हम लोग भगवान राम का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस लौटना और महालक्ष्मी प्राकट्य को दीपावली मानते हैं लेकिन यह त्यौहार युगों की अलग अलग महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है।
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  1. रामायण की कथा: यह सबसे प्रसिद्ध कथा है जो भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की है। जब भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास पूरा किया और रावण का वध किया, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। इस प्रकार दीपावली का पर्व मनाया गया।
  2. समुद्र मंथन और लक्ष्मी प्रकट: एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं और उनके स्वागत के लिए दीप जलाए गए। इस दिन लक्ष्मी पूजा का भी विशेष महत्व है, जहां लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और धन, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं।
  3. कृष्ण और नरकासुर: एक और कथा भगवान कृष्ण और नरकासुर की है। नरकासुर एक दुष्ट राक्षस था जिसे भगवान कृष्ण ने मारा था। नरकासुर की मृत्यु के बाद, लोगों ने खुशी में दीप जलाए थे। इसे नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
  4. पांडवों की वापसी: महाभारत के अनुसार, जब पांडव अपने 12 वर्षों के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद वापस लौटे, तब उनके स्वागत में दीप जलाए गए।
  5. गोवर्धन पूजा: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने और इंद्र देवता के प्रकोप से गोकुलवासियों को बचाने की घटना को याद करने के लिए मनाया जाता है।
  6. बंदी छोड़ दिवस: इस दिन सिखों के गुरु हरगोबिंद साहिब जी द्वारा 52 राजाओं को मुगलों की कैद से मुक्त कराने की याद में मनाया जाता है। सिख समुदाय में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है।
  7. जैन धर्म में दीपावली: इस दिन जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर के मोक्षदिवस के रूप में मनाया जाती है। माना जाता है कि महावीर जी ने दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए जैन मंदिरों को दीपों से सजाकर धार्मिक कार्यक्रम का होता है।
  8. आर्य समाज में दीपावली: स्वामी दयानंद सरस्वती ने आज ही के दिन आर्य समाज की स्थापना की थी इसलिए वेदों के अध्ययन और उपदेशों पर विशेष ध्यान दिया जाता है, और यज्ञ और हवन का आयोजन किया जाता है

P ज़ाहिर है दीपावली के दीपक, भारत के प्रवासियों एवं विभिन्न मतों के अनुयायियों के साथ-साथ, विश्व के अनेक देशों को भी प्रकाशित करते हैं इससे जुड़ी सतयुग द्वापर त्रेता और कलयुग की कहानियां भारतीय संस्कृति और परंपरा की बहुरंगी विविधता का एक समृद्धशाली प्रतीक हैं।