Noida के फ्लैट बायर्स के लिए बड़ी खबर, फ्लैट बुक करते समय करना होगा यह काम
Noida News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के फ्लैट खरीदारों के लिए अच्छी और बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि यमुना विकास प्राधिकरण यानी YEIDA ने नए ग्रुप हाउसिंग प्राजेक्ट्स (Group Housing Projects) के लिए एक बड़ा फैसला ले लिया है। यीडा के नए फैसले के अनुसार अब बिल्डर-बायर समझौते तभी मान्य माने जाएंगे, जब स्टांप ड्यूटी (Stamp Duty) का भुगतान हुआ होगा। यह फैसला यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) की बोर्ड बैठक में लिया गया है। यह निर्णय यमुना सिटी (Yamuna City) की सभी नई आवासीय परियोजनाओं पर लागू होगा।
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जानिए कहां जमा होगा स्टांप शुल्क
नई प्रक्रिया के अनुसार, घर खरीदारों को फ्लैट बुकिंग करने के समय संपत्ति की लागत का 10 प्रतिशत स्टांप शुल्क सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा करना पड़ेगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (UP-Rera) के नियमों के अनुसार भी यह प्रावधान था कि फ्लैट खरीदारों के पास फ्लैट रजिट्रेशन और स्टांप शुल्क का वैध प्रमाण होना अनिवार्य है। यमुना अथॉरिटी द्वारा लिए गए इस फैसले का मुख्य उद्देश्य फ्लैट बायर्स को बिल्डरों द्वारा की जाने वाली मनमानी और विवादों से बचाना है।
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बायर्स के हितों की रक्षा करेगा समझौता
यमुना अथॉरिटी के सीईओ अरुणवीर सिंह के अनुसार इस नियम के लागू होने के बाद घर खरीदारों को फ्लैट बुक करते समय स्टांप शुल्क जमा करना होगा। यह इस बात को सुनिश्चित करेगा कि बिल्डर-बायर समझौता कानूनी रूप से मजबूत हो और भविष्य में बायर्स को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। हालांकि, इससे बायर्स द्वारा किया जाने वाला शुरुआती निवेश थोड़ा बढ़ जाएगा, लेकिन यह आगे बायर्स के हितों की रक्षा करेगा। उन्हें बिल्डरों द्वारा किए जा रहे किसी भी तरह के मनमाने बदलावों से भी दूर रखेगा।
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नहीं होगा सरकार को राजस्व का नुकसान
इस नियम का उद्देश्य बायर्स के हितों की रक्षा करने के साथ ही सरकार को मिलने वाले राजस्व को भी बढ़ाना है। कई बार बिना रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के प्रॉपर्टियां कई घर खरीदारों को बेच दी जाती थीं, जिससे काफी समय तक कानूनी विवाद चलते हैं। अथॉरिटी के इस फैसले से इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगेगी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस महीने की शुरुआत में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को यह निर्देश दिया था कि सभी प्रॉपर्टी एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराया जाए, जिससे अनरजिस्टर्ड एग्रीमेंट से सरकार को होने वाले राजस्व के नुकसान से बचाया जा सके।