इस ट्रेन में यात्री 75 साल से फ्री में सफर कर रहे हैं।
Indian Railways: भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा और दुनिया चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारतीय रेलवे (Indian Railways) से हर दिन लाखों-करोड़ों की संख्या में लोग सफर करते हैं। सफर करने के लिए लोगों (People) को टिकट लेने की आवश्यकता होती है। बिना टिकट के आप रेलवे से सफर करते हैं तो जुर्माना भरना पड़ता है। रेल टिकट के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में बढ़ती महंगाई के बीच अगर आपको ट्रेन (Train) में फ्री में सफर करने का मौका मिले तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। लेकिन भारत में एक ऐसी ट्रेन चलती है। जिसमें आप फ्री में आसानी से सफर कर सकते हैं। इसका नाम भाखड़ा-नांगल ट्रेन (Bhakra-Nangal Train) है।
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इस ट्रेन में यात्री 75 साल से फ्री (Free) में सफर कर रहे हैं। ये ट्रेन चलती है भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra Nangal Dam Train) देखने वालों के लिए। आइए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में और समझते हैं कि क्यों इसमें यात्रा करने के लिए कोई किराया नहीं चुकाना पड़ता है।
फ्री में रेल सफर
भारत में एक ऐसी भी रेल (Rail) चलती हैं। जिसमें सफर करने के लिए आपको न तो रिजर्वेशन करवाने की जरूरत हैं और न ही टिकट कटवाने की। आप फ्री में इस ट्रेन में सफर कर सकते हैं। इस ट्रेन में सालभर लोगों को फ्री सफर की सुविधा मिलती है। हम आपको एक ऐसी भारतीय रेलवे के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बिल्कुल मुफ्त में सफर किया जा सकता है। लगभग 75 साल से लोग इस ट्रेन से लोग फ्री में यात्रा करते है।
75 साल से फ्री सफर
हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर चलने वाली भाखड़ा-नांगल ट्रेन (Bhakra-Nangal Train) बीते 75 सालों से लोगों को बिना किराए के सफर कर रही है। नांगल और भाखड़ा के बीच चलने वाली ट्रेन के लिए यात्रियों को टिकट की जरूरत नहीं होती है। इस ट्रेन के कोच लकड़ी से बने होते हैं। इस ट्रेन में कोई टीटीई नहीं होता। यह ट्रेन डीजल इंजन पर चलती है।
कौन चलाता है यह ट्रेन?
इस ट्रेन का कंट्रोल भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (Management Board) के पास है। इस ट्रेन में सिर्फ 3 बोगियां है, जिसमें से एक बोगी पर्यटकों के लिए और एक बोगी महिलाओं के लिए रिजर्व है। ट्रेन को चलाने में रोजाना करीब 50 लीटर डीजल खर्च होता है। 13 किमी का ये रेल सफर बेहद खूबसूरत है।
भाखड़ा-नांगल ट्रेन की खासियत
भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra-Nangal Dam) को सबसे ऊंचे स्ट्रेट ग्रैविटी डैम के तौर पर जाना जाता है। लोग इस बांध को देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट आते हैं। इस ट्रेन का रूट पहाड़ों को काटकर बनाया गया है। रास्ते में नहीं पहाड़ों, सतलज नदी से होकर गुजरती है। शिवालिक पहाड़ियों से होते हुए 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
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क्यों हुई थी शुरुआत?
साल 1948 में भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra-Nangal Dam) को देखने के लिए इस ट्रेन की शुरुआत हुई थी। इसकी शुरुआत मुख्य तौर पर बांध के कर्मचारियों, मजदूरों, मशीनों को लाने और ले जाने के लिए किया गया था। बाद में इसे पर्यटकों के लिए भी खोल दिया गया।
भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra-Nangal Dam) को देखने के लिए आने वाले सैलानी बिना टिकट, बिना किराए के इस ट्रेन से सफर कर सकते हैं। बिना किराए की चलने वाली इस ट्रेन से हो रहे घाटे के चलते साल 2011 में इसे बंद करने का फैसला लिया गया, लेकिन बाद में इसे विरासत और परंपरा के तौर पर चलाने का फैसला किया गया।
कराची में बने थे कोच
इस ट्रेन (Train) के कोच बेहद खास हैं और इनका निर्माण कराची में हुआ है। इसकी सीटें भी काफी अलग हैं। शुरुआत में यह भाप के इंजन से चलाई जाती थी। बाद में 1953 में अमेरिका से लाए गए तीन आधुनिक इंजनों से चलाया जाने लगा। तब से भारतीय रेलवे ने इंजन के 5 वेरिएंट लॉन्च किए हैं, लेकिन इस अनूठी ट्रेन के 60 साल पुराने इंजन आज भी उपयोग में हैं।