नोएडा के Supertech ट्विन टावर से जुड़ी बड़ी खबर
Noida News: नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि नोए़डा सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) मामले की शुरुआती जांच में में दोषी पाए गए नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के 11 अधिकारियों को अंतिम नोटिस जारी कर दिया गया है। उन्हें अंतिम सुनवाई के लिए 8 अगस्त को तलब किया गया है। इसके बाद इस मामले की पूरी रिपोर्ट तैयार कर सशासन को भेजकर आरोपियों पर कार्रवाई की संस्तुति होगी।
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सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) मामले में शासन की तरफ से बनाई गई एसआईटी की जांच के बाद 26 अधिकारियों पर केस दर्ज हुआ था। शासन ने इनमें से 11 अधिकारियों की जांच 23 मार्च 2023 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव को सौंपी थी।
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मामले की जांच कर रहे एसीईओ
शुरुआती जांच के बाद इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के 11 अधिकारियों को दोषी मानते हुए शासन से मांग की गई थी कि इस मामले की उच्चस्तरीय तकनीकी जांच कराई जाए। शासन ने एसीईओ की जांच से संतोष जाहिर करते हुए उन्हें ही इस प्रकरण में पूरी जांच करने के निर्देश देते हुए फाइल लौटा दी थी। अब एक बार फिर से एसीईओ ही मामले की जांच कर रहे हैं।
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28 अगस्त 2022 को गिराया गया था ट्विन टावर्स
आपको बता दें कि साल 2022 के 28 अगस्त ट्विन टावर्स को गिराया गया था। इस टावर को सुपरटेक ने बनाया था। नोएडा में ध्वस्त किए गए ट्विन टावर्स एपेक्स और सेयेन नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर निर्मित सेक्टर-93 ए में एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का एक हिस्सा था।. ट्विन टावर ब्लिडिंग प्लान को 2009 में नोएडा अथॉरिटी ने अप्रूव किया था, जिसे बाद में सोसाइटी के लोगों ने विरोध किया। लेकिन कंपनी का दावा था कि इस टावर का निर्माण उस समय के भवन नियमों के अनुसार था।
नोएडा ट्विन टावरों मामले में गड़बड़ी के दोषी प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी, बिल्डर और आर्किटेक्ट सहित अब तक कई लोग इसमें नप चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच कराई थी जिसमें प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी, बिल्डर और आर्किटेक्ट सहित 26 लोगों पर कार्रवाई हुई है। नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई इन गगनचुम्बी इमारतों के निर्माण में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और बिल्डर की मिलीभगत की बात सामने आई थी।
क्या था पूरा विवाद ?
नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 93ए में सुपरटेक को ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर-4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया। एमराल्ड कोर्ट में प्रजोक्ट के 14 टावर का नक्शा पास किया गया। ये टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिल के थे। बाद में संसोधन करके इन्हें 11 फ्लोर कर दिया गया। इसके बाद टावर 15 का भी नक्शा पास हो गया। इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 16 टावर का नक्शा पास किया, जिसके तहत कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर की गई।
इसके बाद साल 2009, 26 नवंबर को नोएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर-17 का नक्शा पास किया, जिसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई।
यहां से बढ़ा विवाद
28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया। इसके बाद सुपरटेक को 24 मंजिल यानी करीब 73 मीटर और बिल्डिंग को ऊंचा करने की इजाजत मिल गई। यानी दोनों टावरों (16 व 17) की ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।
दोनों टावरों के बीच की दूरी 16 मीटर की जगह रखी थी 9 मीटर
दो मार्च 2012 को दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल और 121 मीटर की ऊंचाई निर्धारित कर दी गई। नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम मुताबिक दोनों टावरों के बीच में 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए, लेकिन यह दूरी नौ मीटर से भी कम रखी गई। दोनों टावरों को लेकर करीब 13 वर्ष पहले आसपास के टावरों में रहने वाले लोगों ने विरोध शुरू कर दिया था।
2008 में बिल्डर ने लोगों को कब्जा देना शुरू किया
एमराल्ड कोर्ट सोसायटी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष यूबीएस तेवतिया ने बताया कि मास्टर प्लान में एपेक्स व सियान टावर की जगह को ओपन स्पेस के तौर पर दिखाया गया था। 2008 में सोसायटी में बिल्डर ने लोगों को कब्जा देना शुरू किया। 2009 में ही लोगों ने दोनों टावर के निर्माण पर बिल्डर और प्राधिकरण से शिकायत कर नक्शा पास करने के बारे में जानकारी मांगी गई। इसेक बाद खरीदारों और बिल्डर के बीच विवाद बढ़ गया।
सोसायटी के लोगों ने किया था चंदा इकट्ठा
इस मामले में दिसंबर 2012 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए सोसायटी के 600 घरों से 17 हजार रुपये का चंदा लिया गया। 11 अप्रैल 2014 में प्राधिकरण ने दोनों टावर को तोड़ने का आदेश दिया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी।