नोएडा एक्सटेंशन के बिल्डरों पर मुंहमांगी रकम लेकर फ्लैट बेचने और सुविधाएं ना देने को लेकर बिल्डरों पर नकेल कसनी शुरू हो गई है। प्रदूषण विभाग ने पहली बार ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों के खिलाफ वाटर एक्ट (जल अधिनियम) के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। इससे पहले उद्योगों पर वाटर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है।
सात बिल्डरों को वाटर एक्ट की धारा 33ए के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ ही 80 लाख रुपये के करीब का जुर्माना लगाया है। इनमें वीवीआईपी होम्स, अरिहंत आर्डेन, नोवेल वैली, लकी पाम, बुलंद एलिवेट्स, चेरी काउंटी, एपेक्स गोल्फ एवेन्यू और पंचशील हाइनिश शामिल हैं।
बिल्डरों द्वारा बिना शोधित किए सोसायटी का घरेलू सीवेज का पानी नाले में डाला जा रहा था। नाले से पानी हरनंदी और यमुना नदी में गिर रहा था। पानी के सैंपल की जांच में पीएच लेवल, आयल-ग्रीस, बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड, केमिकल आक्सीजन डिमांड, सस्पेंडेड सालिड्स, डिजाल्वड सालिड्स, टोटल सालिड्स मानकों से अधिक पाए गए। कार्रवाई के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ने मुख्य प्रदूषण अधिकारी को जांच रिपोर्ट की कापी के साथ कार्रवाई को पत्र लिखा है।
प्रदूषण विभाग ने 14 फरवरी से 28 फरवरी के बीच वीवीआईपी होम्स, अरिहंत आर्डेन, नोवेल वैली, लकी पाम, बुलंद एलिवेट्स, चेरी काउंटी, एपेक्स गोल्फ एवेन्यू और पंचशील हाइनिश द्वारा सीवेज के पानी को शोधित करने को ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया था। इसी दौरान घरेलू सीवेज के पानी का सैंपल लिया और नोएडा स्थित लैब में जांच के लिए भेजा गया। जांच में नमूने की गुणवत्ता मानकों से अधिक पाई गई।