लेखक- निहारिका माहेश्वरी
Canada News: सोशल मीडिया में Hindus In Canada/Justin Trudeau Resign क्यों ट्रेंड कर रहा है। कारण है कि कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर को खालिस्तान समर्थकों द्वारा निशाना बनाना। यह हमला दीपावली और इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के समय को निशाना बनाते तब हुआ जब एक असफल पीएम जस्टिन ट्रूडो के कार्यालय द्वारा हिंदू विरासत दिवस मनाया जा रहा है। जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा में रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर उनके धर्म के पालन में किसी भी तरह के व्यवधान को खत्म करने की बात कही थी लेकिन हमला तीन दिन बाद हुआ जिससे अब चिंतित भारत सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है।
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रूढ़िवादिय़ों द्वारा हमले को लेकर जहां भारत-कनाडा के रिश्ते बहुत खराब मोड़ पर आ गए हैं वहीं आने वाले चुनाव में कुर्सी जाने के डर से ट्रूडो ने चरमपंथियों द्वारा मंदिर पर किए गए हमले की कड़ी निंदा कर घड़ियाली आंसु बहाए।
सवाल यह है कि कनाडा जिसे मिनी पंजाब भी कहा जाता है वहां का मुखिया खालिस्तानियों को सिर्फ वोटबैंक समझ कर कानून व्यवस्था को हाशिए पर ले आया है। धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व को समझते हुए विपक्ष ट्रूडो के खिलाफ जहां लामबंद है और हिंदुओं पर हुए हमले और पुलिस द्वारा एक पक्षीय कार्रवाई को गलत नाजायज ठहरा रहा है।
वहीं कनाडा की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण रोल निभाने वाले हिंदुओं को अपनी आस्था का पालन स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से नहीं करने दिया जा रहा है। जस्टिन ट्रूडो हिंदुओं की रक्षा करने में वैसे ही विफल रहे हैं, जैसे वो ईसाई और यहूदी कनाडाई लोगों की रक्षा करने में विफल रहे…क्या यह हमला भी प्रतिबंधित संगठन एसएफजे के मुखिया खालिस्तानी आतंकी पन्नू के कहने पर हुआ जो पहले भी भारत के खिलाफ कनाडा पीएम को जानकारी देने का कबूलनामा कर चुका है। छिपकर रहने वाले इस कायर ने तो कई वीडियो बनाकर हिंदू मंदिरों पर हमले की चेतावनी भी दी थी।
रूढ़िवादियों और जस्टिन ट्रूडो के इस कथित साथ से कनाडा के हालात साथ चिंताजनक है जहां हिंदू-सिख एकता को चोट पहुंची है। भारत में जहां तिरंगा ओढ़ Dil-Luminati’ tour कर रहे दिलजीत दोसांझ और कई सेक्यूलर चेहरों की चुप्पियां खल रही है वहीं हमले से आहात हिंदू कब तक सहिष्णुता के नाम पर झेलेंगे। पहले भारत में गुलामी और जुल्म फिर बांग्लादेश हो या कनाडा हिंदू अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है।
खालिस्तानी चरमपंथियों से लेकर आतंकवादी कॉस्प्लेयर तक, कनाडा मिनी पाकिस्तान बन गया है जो कट्टरपंथियों के लिए एक सुरक्षित बंदरगाह है। जहां कनाडा पीएम हिंदुओं की सुरक्षा की बात करते हैं वहीं इस हमले में उनकी पुलिस हिंदुओं को ही पकड़ कर बंद कर मारपीट कर रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस वीडियो को देख यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की हुंकार से हिंदू जाग गया है। बुराई पर अच्छाई की जीत हो या गलत के खिलाफ खड़ा होना है अब कनाडा के तमाम एनजीओ, एकता संगठन और विपक्ष सामने आ गए हैं। इससे पहले, विंडसर, मिसिसॉगा और ब्रैम्पटन में मंदिरों को भी इसी तरह की तोड़फोड़ का सामना करना पड़ा था इसलिए सच सबके सामने है कि हमला सरकार प्रायोजित था या नहीं।
कनाडा की राष्ट्रीय हिंदू परिषद और हिंदू फेडरेशन ने मंदिर के नेताओं और हिंदू समूहों के साथ मिलकर हिंदू मंदिर पर हमले के बाद एक आधिकारिक बयान जारी किया है इसमें कहा गया है कि अब किसी राजनीतिक दलों के किसी राजनेता को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मंदिर की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
गुस्साए हिंदू पुजारी लोगों से नारे लगाते हुए कहते हैं कि ‘ये हमला कोई अकेला हमला नहीं है। ये हमला हिंदू सभा पर हमला नहीं है। ये हमला पूरे विश्व में जितने हिंदू हैं उनके ऊपर है। आज समय आ गया है जब हमें अपने लिए नहीं बल्कि अपनी संतति के बारे में सोचना पड़ेगा। सबको एक होना पड़ेगा। हम किसी का विरोध नहीं करते हैं लेकिन कोई हमारा विरोध करता है तो हम छोड़ेंगे नहीं उसे तोड़ेंगे’ ज़ाहिर है कि ब्रैम्पटन में मंदिरों के बाहर आतंकवाद के खिलाफ मोर्चे की गर्जना है। ‘बंटोगे तो कटोगे’ का नारा शायद यूपी से निकलकर हरियाणा चुनाव में जीत दिलाने के बाद अब कनाडा की ज़मीन पर सत्ता परिवर्तन की ओर इशारा दे रहा है।