Modi 3.0: लोकसभा चुनाव 2024 में आए परिणाम में तीसरी बार नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में NDA को बहुमत मिला है। NDA के नेतृत्व में नरेंद्र मोदी 9 जून को शाम 6:00 बजे तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। लेकिन इस बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को 240 सीटें मिली है। लिहाजा नई सरकार को NDA के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निर्भर रहना होगा। नई सरकार में मंत्रीपदों को लेकर भी सहयोगियों की ओर से बीजेपी पर दबाव बनाने की खबरें सामने आ रही है। कोई सहयोगी दल लोकसभा स्पीकर का पद मांग रहा है, तो कई रेल और कृषि मंत्रालय मांग रहा है। सवाल है कि NDA सरकार में बीजेपी को कितने मंत्रालय मिलेंगे? चंद्रबाबू नायडू और बिहार के सीएम नीतीश कुमार कितने मंत्रियों की मांग करेंगे? किस पार्टी के हिस्से कौन सा मंत्रालय जाएगा?
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पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के पिछली दो सरकारों में भी NDA सहयोगियों को तरजीह दी गई थी। लेकिन तब मंत्रियों की संख्या पांच या इससे कम ही रही। लेकिन इस बार नई गठित होने वाली NDA सरकार में मंत्रियों की संख्या 16-18 के बीच हो सकती है। हालांकि, सही आंकड़ा कैबिनेट के शपथ लेने के बाद ही सामने आएगा।
2024 के लोकसभा चुनाव में BJP बहुमत तक नहीं पहुंच पाई। बीजेपी को 240 सीटें ही मिली हैं। जबकि NDA की 293 सीटें। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP को 16 और नीतीश कुमार की JDU को 12 सीटें मिली हैं। एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 7 संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की है। तो वहीं चिराग पासवान की LJP रामविलास के पास भी 5 सांसद हैं। इन चारों पार्टियों को मिला दें, तो कुल 40 सांसद होते हैं। जाहिर तौर पर बहुमत से दूर BJP के लिए सहयोगियों के बीच पोर्टफोलियो के बंटवारा बड़ी समस्या हो सकती है। खासतौर पर जब नायडू और नीतीश बड़े-बड़े पोर्टफोलियो की मांग कर रहे हैं।
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लोकसभा स्पीकर मांग रही है TDP
खबर यह भी आ रही है कि TDP लोकसभा स्पीकर का पद भी चाहती है, लेकिन इस बात की बहुत कम गुंजाइश है कि BJP इसके लिए राजी होगी। ज्यादा जोर देने पर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को डिप्टी स्पीकर का पद मिल सकता है। तो वहीं JDU के पास पहले से ही राज्यसभा में डिप्टी चेयरमैन का पद है। जबकि जीतन राम मांझी ने एक मंत्री पद मांग लिया है।
लोकसभा चुनाव 2019 में नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग की थी, ऐसा न होने पर वो सरकार में शामिल नहीं हुए थे।
BJP अपने पास रखना चाहेगी ये मंत्रालय
बहुमत न हासिल होने के बाद बीजेपी की भी कुछ मजबूरी है। शायद वो कुछ शर्तों पर समझौता कर ले। बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को BJP अपने ही पास रखना चाहती है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर, गरीब कल्याण, युवाओं से जुड़े विभाग और कृषि मंत्रालयों को भी BJP सहयोगियों के हवाले नहीं करना चाहेगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि यही वो मंत्रालय हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी की बताई गई चार जातियों- गरीब, महिला, युवा और किसान के लिए योजनाओं को लागू करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री अपनी रैलियों में अक्सर इन चार जातियों का जिक्र करते सुने गए।
रेलवे और सड़क परिवहन भी देना नहीं चाहेगी बीजेपी
खबर आ रही है कि बीजेपी रेल और सड़क परिवहन को भी अपने ही पास रखना चाह रही है। इन क्षेत्रों में मोदी सरकार ने रफ्तार के साथ काम किए हैं। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि सुधार में किसी नए प्रयोग की वजह से ब्रेक लग जाए। ऐसा देखने में आया है कि रेलवे जिस किसी भी गठबंधन सरकार में सहयोगियों के पास रहा है। मंत्रालय का काम काज लोकलुभावन नीतियों की वजह से प्रभावित हुआ है।
सहयोगियों को दिए जा सकते हैं ये मंत्रालय
मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल को देखें तो सहयोगी दलों को नागरिक उड्डयन, भारी उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, स्टील और खाद्य, जन वितरण और उपभोक्ता मामले जैसे मंत्रालय दिए गए थे। खाद्य, जन वितरण और उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 2014 में राम विलास पासवान के पास था। भारी उद्योग और पब्लिक एंटरप्राइज शिवसेना के पास था। ऐसे ही खाद्य प्रसंस्करण पहले अकाली दल और बाद में एलजेपी के पास रहा। तो वहीं इस्पात मंत्रालय JDU को दिया गया था।
JDU को मिल सकते हैं ये मंत्रालय
लोकसभा चुनाव के नतीजों को अगर देखें तो इस बार बीजेपी अपने सहयोगियों के आगे कुछ हद तक झुकना पड़ सकता है। खबर यह आ रही है कि पंचायती राज्य और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय JDU को दिए जा सकते हैं। इसी तरह नागरिक उड्डयन और स्टील मंत्रालय का जिम्मा TDP को दिया जा सकता है, जबकि भारी उद्योग शिवसेना के हिस्से में जा सकता है।
TDP कर सकती है इस मंत्रालय की मांग
बताया जा रहा है कि वित्त और रक्षा जैसे अहम मंत्रालयों में सहयोगियों को राज्य मंत्री का पद दिया जा सकता है। यह भी हो सकता है कि तेलुगू देशम पार्टी की तरफ से MEITY यानी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मांग की जाए। वैसे पर्यटन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, स्किल डेवलपमेंट, साइंस टेक्नॉलॉजी एंड अर्थ साइंसेज जैसे मंत्रालय भी सहयोगियों के हिस्से में जा सकते हैं। इसमें बीजेपी की ओर से कोई परेशानी सामने आने की उम्मीद नहीं है।